डॉ. डिंपल जांगड़ा बचपन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझती रहती थीं। उनकी इसी समस्या ने उन्हें आयुर्वेद के बारे में सही जानकारी जुटाने और जानने के लिए प्रेरित किया। आयुर्वेद जैसी पुरानी विज्ञान की उपचार शक्ति से उनके जीवन में जो अंतर आया, उसके अनुभव के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
डॉ. डिंपल जांगड़ा की सोशल मीडिया पर जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है। वे प्राण हेल्थकेयर सेंटर और प्राण एकेडमी फॉर आयुर्वेदिक लाइफ-साइंसेज की फाउंडर हैं। उनका टीवी शो ‘आयुर्वेद डायरीज़’ अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगु में प्रसारित किया गया था। हाल ही में उन्होंने ‘हील योर गट’, ‘माइंड एंड इमोशन्स’ किताबें (ayurved and gut coach Dimple Jangda) लिखी हैं।
बचपन से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के कारण डिंपल खुद ब खुद आयुर्वेद से जुड़ गईं। डिंपल जांगड़ा हेल्थ शॉट्स को बताती हैं, “मुझे 11 साल की उम्र तक मिर्गी (Epilepsy) थी। फिर 20 साल की उम्र से मैं माइग्रेन से परेशान होने लगी। मेरी कई सर्जरी हुई। 20 साल की उम्र तक मुझे स्वास्थ्य के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ी। अच्छा स्वास्थ्य न होने के कारण मेरे निजी जीवन में भी विनाशकारी घटनाओं की एक श्रृंखला है। संघर्षों को अपमानजनक विवाह ने और भी बदतर बना दिया था।’’ संभवतः परिवार के दबाव के कारण डिंपल को शादी करनी पड़ी।
अपने जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए एलोपैथी और पश्चिमी चिकित्सा की खोज में उन्होंने काफी समय बिताया। वे आगे बताती हैं, “मुझे जितनी सर्जरी करानी पड़ी और दवाओं, स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक्स के रूप में जितनी दवाएं लेनी पड़ी, वह हास्यास्पद बात थी। इन सभी इलाज में से कोई भी मुझे इस बात की गारंटी नहीं दे सका कि मुझे दोबारा कभी उसी बीमारी के लक्षण नहीं दिखेंगे। इसलिए मैं अपनी समस्या का मूल कारण और उसका समाधान चाहती थी। यह मैंने आयुर्वेद में पाया। यह बात आंखें खोलने वाली थी। इसके माध्यम से भोजन, पोषण और योग का उपयोग करके आप अपनी बीमारी के मूल कारण और उसके समाधान तक पहुंच सकती हैं।
पेशे से इन्वेस्टमेंट बैंकर डिंपल ने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए अपना क्लिनिक शुरू किया। उन्हें जल्द ही जीवन में अपने उद्देश्य का एहसास हो गया। वे बताती हैं, “मैंने मरीजों को बीमारियों से उबरने में मदद करने के लिए डॉक्टरों और विशेषज्ञों को भी काम पर रखा। लेकिन डॉक्टरों ने जो बताया और मरीज़ों ने जो समझा, उसके बीच एक अंतर था। मैंने खुद शोध करना शुरू कर दिया।
मैंने नेचुरोपैथी का अध्ययन करना शुरू कर दिया। इससे मुझे अपने रोगी के लिए आहार योजना डिज़ाइन करना शुरू करने का विचार मिला। मैंने दैनिक जीवन के लिए फ़ूड केमिस्ट्री और आयुर्वेद पर शोध कर थीसिस तैयार करने में छह साल बिताए। यह फ़ूड केमिस्ट्री में मेरी पीएचडी थीसिस का विषय बन गया। यही वह चीज़ है जो मुझे आयुर्वेद के बारे में अपना ज्ञान अन्य लोगों के साथ साझा करने की अनुमति देती है।’’
डिंपल जांगड़ा का इंस्टाग्राम पेज ओवरआल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए कई आयुर्वेद टिप्स बताता है। स्किन हेल्थ और पाचन से लेकर बालों की देखभाल और मधुमेह तक- वह सभी के लिए सुझाव देती हैं। अपनी पुस्तक ‘हील योर गट, माइंड एंड इमोशन्स’ में डिंपल विशेष रूप से इस बारे में बात करती हैं कि कैसे आपकी आंत पूरे शरीर का केंद्र है। दूसरा स्थान मस्तिष्क का है। इसमें कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने की क्षमता है। वे बताती हैं कि फाइव पॉइंट अप्रोच के साथ अपने गट को हेल्दी रखा जा सकता है।
एनर्जी क्लोक प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और दिन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए दिन को छह भागों में विभाजित करने के बारे में है। डिंपल जांगड़ा मानती हैं कि ऐसा करने से आपको अपने खानपान और गट हेल्थ पर ध्यान देने में मदद मिल सकती है। व्यक्ति पहले से क्या खाने और क्या करने की योजना बना लेता है। यह गट हेल्थ के लिए हमेशा अच्छा रहता है। क्योंकि यह अन्हेल्दी बिंग सेशन को दूर रखता है।
फ़ूड पिरामिड आम तौर पर यह बताता है कि किस फ़ूड का कितना सेवन करना है। यह आपको अपने शरीर के ख़ास प्रकार की पहचान करना बताता है। साथ ही, गट हेल्थ को नियंत्रित रखने के लिए क्या खाना चाहिए-यह भी बताता है।
डिंपल जांगड़ा बताती हैं कि लोगों को विभिन्न फ़ूड ग्रुप के पचने में लगने वाले समय की गहरी समझ जरूर होनी चाहिए। इससे उन्हें कॉण्ट्राडिक्टरी खाद्य पदार्थों के मिश्रण से दूर रहने में मदद मिलेगी। इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या आप जानती हैं कि हाथ से खाना, नीचे बैठकर खाना और पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है? ऐसे सरल और सदियों पुराने उपचार (age-old remedies) और डीटोक्सीफाय करने के रीचुअल (detoxification rituals) हैं, जिनका आप दैनिक आधार पर अभ्यास कर सकती हैं।
इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि खाद्य समूहों के कौन से संयोजन खाने चाहिए और किन खाद्य पदार्थों के संयोजन से बचना चाहिए। ये टोक्सिक होते हैं और बीमारियों को ट्रिगर करते हैं। सिर्फ खाने के कॉम्बिनेशन पर ध्यान देकर आप बीमारियों से बच सकती हैं।
हर भोजन अच्छा होता है। डिंपल जांगड़ा बताती हैं, ”आप इसे कैसे खाती हैं, इससे फर्क पड़ता है।” डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें, जिनमें प्रिजर्वेटिव होते हैं। कुछ भी जो खेत में उगाया गया हो जैसे कि फल, सब्जियां, दालें, फलियां, ड्राई फ्रूट्स और सीड्स खाने के लिए सबसे बढ़िया हैं। यह गट हेल्थ के लिए भी बढ़िया है।
आंत कोई मांसपेशी नहीं है, जिसके लिए किसी तरह की एक्सरसाइज की जा सके। इंटेसटाइन अंगों का समूह है। पाचन प्रक्रिया में योगदान देने वाली हर चीज गट हेल्थ का हिस्सा है। इसलिए ऐसा कोई एक्सरसाइज नहीं है, जिसे आप कर सकें। आंत शरीर का इंजन है। इसके लिए कोई त्वरित समाधान या व्यायाम नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार गट हेल्थ के लिए कंसिस्टेंसी जरूरी है।
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