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यहां हैं 5 रियल वीमेन की रियल फिटनेस स्टोरी, जानिए कैसी रही इनकी ट्रांसफाॅर्मेशन जर्नी

सोशल मीडिया के रील्स की दुनिया से अलग भी कई महिलाएं ऐसी हैं, जो दिन रात अपनी फिटनेस को लेकर मेहनत कर रही हैं। तो आज हम आपके लिए ऐसी ही 5 महिलाओं की रोचक कहानी लेकर आये हैं। जानें किस तरह संघर्ष करते हुए इन महिलाओं ने पूरी की अपनी फिटनेस जर्नी।
5 बहुत साधारण महिलाओं की असाधारण फिटनेस स्टाेरी।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 18 Jan 2023, 13:35 pm IST
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फिटनेस न तो जीरो फिगर है और न ही यह भारी मात्रा में वेट लॉस करना है। एक ही फिट टीशर्ट में ‘बिफोर’ और ‘आफ्टर’ की पिक्चर खिंचवा लेना भी फिटनेस नहीं है। यह उससे कहीं अधिक है। कई महिलाएं है जिन्होंने वजन कम किया है, वहीं कइयों ने वजन बढ़ाया है, साथ ही कई सिर्फ फिट रहना चाहती हैं। अपनी फिटनेस यात्रा की सबकी एक प्रेरक कहानी है। इसलिए सेलेब्स की फिटनेस स्टोरी से अलग आज हम हेल्थ शॉट्स पर आपके लिए लाए हैं 5 बहुत साधारण महिलाओं की असाधारण फिटनेस स्टाेरी (Inspiring fitness story)।

हर महिला कहीं न कहीं से प्रेरणा प्राप्त करके यहां तक पहुंचती हैं। पर सोशल मीडिया की चकाचौंध भरी दुनिया की वजह से कुछ वास्तविक कहानियां अक्सर अनकही रह जाती हैं।

यह आपके फोन स्क्रीन के पीछे छिपी वह महिलाएं हैं, जो अपने फिटनेस को हासिल करने के लिए नियमित रूप से संघर्ष कर रही हैं। घर, बच्चे, ऑफिस की जिम्मेदारियों के साथ गिरते संभलते उन्होंने अपनी फिटनेस को बनाये रखने का फैसला लिया। तो चलिए जानते हैं इन 5 प्रेरक महिलाओं के बारे में। साथ ही जानेंगे उन्होंने अपनी इस यात्रा को किस तरह शुरू किया और इसके परिणाम स्वरूप उन्हें क्या मिला।

1  दिनेश्वरी लॉन्गजाम : कोरोना लॉकडाउन में एक्स्ट्रा लार्ज हो गया था मेरा साइज़

कोविड-19 लॉकडाउन ने हम सभी को आलसी बना दिया है और दिनेश्वरी की कहानी भी इससे कुछ खास अलग नहीं है। जब कोरोनावायरस शांत हुआ तब तक दिनेश्वरी ने यह रियलाइज किया कि उन्होंने अपने शरीर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया है और उनका वजन पूरी तरह अनियंत्रित हो चुका है।

“मैं मीडियम से एक्स्ट्रा लार्ज पर पहुंच चुकी थी। साथ ही गंभीर रूप से मुहांसो से पीड़ित थी। जिसके लिए में त्वचा विशेषज्ञ से मिली, उन्होंने बढ़ते मोटापे को इसका कारण बताते हुए कहा कि यदि आप मुहांसों से निजात पाना चाहती हैं, तो सबसे जरूरी अपने वजन को कम करना।”

इस बात ने उन्हें जिम ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया और दो महीने के भीतर, उचित व्यायाम और आहार के साथ उन्होंने लगभग 5 किलो वजन कम कर लिये। वे आगे कहती है कि “ जिमिंग के साथ-साथ दवाइयों ने भी मेरी मुहांसों को कम करने में मदद किया साथ ही नियमित रूप से वर्कआउट करने, हेल्दी डाइट लेने से मेरी त्वचा पर एक अलग सा प्राकृतिक निखार नजर आने लगा।”

मैंने अपनी बिजी शेड्यूल के बावजूद भी नियमित रूप से व्यायाम के अभ्यास को जारी रखा। वहीं मैं आज भी नियमित एक्सरसाइज, स्वस्थ आहार का पालन करती हूं। धीरे-धीरे मैंने खुद को मीडियम साइज के कपड़ों में वापस से देखना शुरू कर दिया और कोई भी मेरी त्वचा को देखकर मेरी उम्र (40 वर्ष) का अनुमान नहीं लगा सकता है।”

एक्टिव रहें, स्वस्थ खाएं, और अधिक मुस्कुराएं… मैं अब खुश रहने और सुंदर दिखने के लिए इस मंत्र का सख्ती से पालन करती हूं, यह संदेश उन सभी के लिए है जो फिट रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जाने स्वेता की वेट लॉस जर्नी। . चित्र शटरस्टॉक।

2 श्वेता भड़ाना : 98 किलो तक पहुंच गया था मेरा वजन, पर हार नहीं मानी

पहली प्रेग्नेंसी के बाद श्वेता का वजन 30 किलो तक बढ़ गया था। जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वह ठीक तरह से सांस नहीं ले पाती थीं और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा था। यह समय उनके लिए काफी संघर्ष भरा रहा।

श्वेता बताती हैं कि “मैंने अपनी प्रेग्नेंसी के कुछ महीनों बाद वर्कआउट करना शुरू किया। जिससे मुझे काफी राहत मिली। मैंने दो महीनों में लगभग 9 किलो वजन कम कर लिया, तब मुझे अंदर से एक अलग सा आत्मविश्वास महसूस हुआ।”

वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए

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इसके तुरंत बाद, वह दूसरी बार गर्भवती हुई और उनका वजन लगभग 98 किलो तक पहुंच गया। “इन सारी समस्याओं ने मेरी परेशानी दोबारा से बढ़ा दी। परंतु मैंने हार नहीं मानी और संघर्ष करते हुए प्रेगनेंसी के कुछ महीने बाद ही एक उचित डाइट प्लान तैयार की और जिम जाना शुरु कर दिया।”

शुरुआत में इन्हें कार्डियो करते वक़्त काफी संघर्ष करना पड़ा पर इन्होंने हार नहीं मानी। वहीं अपनी मानसिक और शारीरिक फिटनेस को लेकर डटी रहीं। इस दौरान कई बार निराशा हाथ लगी, परंतु उन्होंने अपनी दिनचर्या के साथ कभी भी बेमानी नहीं की और अब यह उनकी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है।

काफी इंस्पायरिंग है इनकी कहानी।

3 वर्षा वत्स : पीसीओएस के लिए जरूरी थी एक्सरसाइज

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से जूझ रही वर्षा अपने बॉडी हॉर्मोनल बैलेंस को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही थी। छह यात्रा उनके लिए काफी कठिन रहा, परंतु उन्होंने हर कीमत अदा करते हुए कभी भी हार नही मानी।

“मेरा मूड स्विंग मेरा सबसे बड़ा दुश्मन था। वहीं मैं आमतौर पर कार्डियो नहीं करती क्योंकि यह मुझे बेदम कर देते हैं। इसलिए, मैंने कम तीव्रता वाले व्यायामों के साथ शुरुआत की। कुछ दिनों के बाद मैंने दौड़ना शुरू किया और इसके साथ ही 30 मिनट का नियमित वर्कआउट भी शुरू किया।”

वेट लॉस जर्नी के दौरान पीसीओएस आपको कई बार निराश कर सकता है, लेकिन वर्षा ने हार नहीं मानी। वर्कआउट के बाद की चमक, मूड स्विंग न होना, स्वस्थ भोजन करना, और अपने दैनिक जीवन में सब कुछ आत्मविश्वास के साथ प्रबंधित करना उन्हें अपनी फिटनेस यात्रा के साथ बने रहने के लिए प्रेरित करता है।

4 सताता कर्माकर: एक्सरसाइज ने पॉजिटिव और हेल्दी रहने में मेरी मदद की

अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहने वाली सताता ने कॉन्फिडेंस और पॉजिटिविटी के लिए अपनी एक्सरसाइज जर्नी शुरू की! नियमित एक्सरसाइज करने से उन्हें काफी ज्यादा ताकत और एनर्जी प्राप्त हुई। इसने उसकी मुद्रा पर भी काम किया। कमजोर इम्युनिटी की वजह से वह सर्दी-खांसी से जूझती रहती थीं। लेकिन एक्सरसाइज ने उनकी इन सभी समस्यायों को ठीक करने में मदद की।

वह कहती हैं कि “व्यायाम ने मुझे सभी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ने में मदद की। एक्सरसाइज ने न केवल मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि इसने मुझे खुश और पॉजिटिव रहने की हिम्मत दी। जब आपके पास एक वर्कआउट शेड्यूल होता है, तो आप इसके सेशन को किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना चाहती।

इस फिक्स शेड्यूल से आपको अकेलेपन से जूझने में मदद मिलती है। अब मेरे पास तैयार होने, बाहर जाने और लोगों से मिलने का एक कारण है। इसे करते वक़्त महसूस करेंगी की आप अपने लिए कुछ अच्छा कर रही हैं। यह ऐसा है जैसे आप किसी ऐसी चीज में समय और ऊर्जा लगा रहे हैं जो आपकी है।’

5 निकिता चौहान: सीढ़ियां चढ़ते सांस फूलने लगती थी

जब निकिता को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, वहीं उन्हें 20 सीढ़ियां चढ़ने में भी संघर्ष करना पड़ता था। तब निकिता ने महसूस किया कि उसे व्यायाम शुरू करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि “उस दिन मैंने निर्णय लिया कि मैं ऐसा व्यक्ति बिल्कुल भी नहीं बनूंगा जो अपनी जरूरतों के लिए किसी ओर पर निर्भर रहे। यह एक कठिन यात्रा थी, साथ ही मेरे अंदर कॉन्फिडेंस की काफी ज्यादा कमी थी। वहीं मेरे कपड़े भी फिट नहीं आ रहे थें, और मैं आसानी से बीमार पड़ जाती थी। इस स्थिति ने मुझे एंटीसोशल एक्सट्रोवर्ट वर्ड बना दिया।

यह कोई आसान यात्रा नहीं थी, परंतु संघर्ष करते हुए निकिता 6 महीने के भीतर अपने लक्ष्य तक पहुंच गई। इस दौरान उन्होंने सीखा कि उनके शरीर को क्या चाहिए, और एक सकारात्मक दृष्टिकोण बनाया जिसने उसे बेहतर परिणाम तक पहुंचने में मदद की।

“स्वयं को स्वस्थ रखना न केवल सकारात्मक शरीर की छवि है, बल्कि यह तनाव और चिंता से भी दूर रहने में मदद करती है। ठीक ऐसा ही एक्सरसाइज ने निकिता के लिए किया। उन्होंने कहा कि “अब मैं कम चिंता करता हूं, मैं जो चाहती हूं वह खा सकती हूं, और एक्सरसाइज इसमे मेरी मदद करता है। अब मेरा मेटाबॉलिज्म भी बहुत अच्छा है। मेरे पैर अब हर समय सक्रिय रहते हैं! मेरे पेट की समस्या भी दूर रहती हैं, लेकिन तब तक जब तक मैं चीज या कुछ जंक फूड न खा लूं।

“मैं अपने शरीर के अंदर काम कर रहे सभी अंगों में परिवर्तन देख सकती थी। अब मैं अपनी सभी परेशानियों को हरा चुकी हूं, जैसे कि सीढ़िया चढ़ने में होने वाली परेशानी, दौड़ते वक़्त हांफने की समस्या, इत्यादि। मेरे हिसाब से स्वास्थ्य और शरीर पर ध्यान देने का निर्णय एक सबसे अच्छा निर्णय था। यह कठिन है लेकिन इससे भी ज्यादा यह हमारे लिए फायदेमंद है।”

क्या आप इन अद्भुत महिलाओं की ट्रांसफॉर्मेशनल जर्नी से प्रेरित हुईं? यह समय आपका है, खुश और पॉजिटिव रहने के लिए आगे आएं और शारीरिक गतिविधियों में भाग लें।

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टीम हेल्‍थ शॉट्स

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