वेटलॉस के लिए अधिकतर लोग वॉक करते है, जिम जाते है और इंटरमिटेंट फास्टिंग करने लगते हैं। मगर फिर भी वेटगेन की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। न्यूरोफ़िज़ियोथेरेपिस्ट पूजा मलिक भी कुछ वक्त पहले ऐेसी ही स्थिति का सामना कर रही थीं। ब्रेकफास्ट स्किप करने, स्वीमिंग करने और दिन में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ करने के बावजूद भी शरीर का वज़न 100 किलो से कम नहीं हो पा रहा था। अब उनके शरीर का वज़न उनके लिए तनाव का कारण साबित हो रहा है। ऐसे में पूजा ने अपने बॉडी मकेनिज्म को समझा और प्रॉपर हेल्दी डाइट लेकर 6 महीने के भीतर 25 किलो वज़न कम करके दिखाया। जानते हैं पूजा मलिक की वेटलॉस जर्नी की एक झलक (Pooja Malik weight loss journey) ।
कोविड के दौरान लंबे वक्त तक घर पर रहने से शरीर का वज़न बढ़ता चला गया। उस दौरान अपना ख्याल न रख पाने से खानपान पूरी तरह से अनियमित हो चुका था और तनाव की स्थिति बनी हुई थी। दरअसल, उम्र के साथ शरीर में बढ़ने वाला हार्मोनल इंबैलेंस इस समस्या का कारण साबित हो रहा था। वज़न को घटाने के लिए जिम, योग और फास्टिंग की मदद ली मगर शरीर का वज़न पूरी तरह से स्थिर बना हुआ था। ऐसे में सेल्फ केयर और दोस्तों की मदद से मैनें इस चुनौती का सामना किया और वेटलॉस में मदद मिली।
डिलीवरी के बाद से यानि 10-12 साल से शरीर का वज़न बढ़ा हुआ है। अब इसे कम करने की सभी कोशिशें नाकाम हो रही थीं। एक दिन किसी दोस्त से बात हुई और उसके बाद डाइट प्लान को फॉलो करना शुरू किया। पूजा बताती हैं कि मैं सालों पहले ब्रेक्फास्ट करना छोड़ चुकी थी। लेकिन अब मैं अपने लिए थाली सजाने लगी थी। उसमें कार्ब्स, प्रोटीन, प्रोबोयोटिक फूड और विटामिन और मिनरल सभी को एड किया जाता था। इससे शरीर में बढ़ी हुई पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद मिली। प्रोगनेंसी के बाद से बढ़ा हुआ वज़न अब धीरे धीरे कम होने लगा था।
वज़न के कारण हर पल तनाव और एंग्ज़ाइटी बनी रहती है। इससे मन में हर पल अजीबोगरीब ख्याल आते रहते थे। पूजा बताती हैं कि उन्होंने सेल्फ केयर की ओर ध्यान देना शुरू किया और अपने लिए वक्त निकालने लगीं। अब मैं जान चुकी थीं कि बॉडी क्लॉक को नियमित बनाए रखने के लिए समय पर खाना खाने के अलावा समय पर सोना भी ज़रूरी है। इससे सोच में भी सकारात्मकता बढ़ने लगी और अब मैं पहले से ज्यादा खुश रहने लगी थी।
डिप्रेशन से राहत मिलने के अलावा सालों पुरानी माइग्रेन की समस्या भी दूर हो रही थी। अब शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ रहा था, जिसका असर कार्यक्षमता पर भी नज़र आने लगा था। खानपान का पूरा ध्यान रखने के अलावा दिन में दो बार व्यायाम भी करती थी। इससे शरीर पूरी तरह से एक्टिव रहने लगा। अब मुझे भूख और प्यास दोनों समय से लगने लगे। अब लाइफ हेल्दी हो रही थी और वज़न भी कम हो रहा था।
मेरी वेटलॉस जर्नी में न्यूट्रीशन का अह्म रोल रहा। अब मैनें कैलोरीज़ को काउंट करना बंद कर दिया और आहार में दही, अचार, पापड़, सब्जी और रोटी हर चीज़ को शामिल किया। इसके अलावा शरीर में एंटीऑक्सीउेंट्स की मात्रा को बए़ाने के लिए अब ग्रीन टी पीना शुरू किया। इससे बॉडी एक्टिव रहने लगी। वहीं हेल्दी स्नैकिंग के लिए कलरफुल डाइट को महत्व दिया और सैलेड को मील में शामिल करना शुरू किया। इससे शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण की प्राप्ति हुई।
सेल्फ केयर पर फोकस करने पूजा मलिक ने 6 महीने में 25 किलो वेटलॉस किया। वो बताती हैं कि हेल्दी मील्स लेने के अलावा मैनें वॉटर इनटेक भी बढ़ाया, ताकि बॉडी को डिटॉक्स रखा जा सके। पूरी वेटलॉस जर्नी में जहां 80 फीसदी डाइट का योगदान रही, वहीं 20 फीसदी व्यायाम का भी रोल रहा। इस जर्नी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया था। पूजा बताती हैं कि मैं इस जर्नी के दौरान ये समझ चुकी हूं कि यूअर बॉडी यूअर रिस्पासिबीलिटी को मानकर हेल्दी लिविंग में मदद मिलती है।
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