मासिक धर्म चक्र शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से लड़की के जीवन में बदलाव लेकर आता है, पीरियड्स आना लड़की की जिंदगी का एक अहम पड़ाव है। मैं खुद को खुशकिस्मत समझती हूं कि पीरियड्स के बारे में मुझे मेरी मां ने समय से पहले अवगत करा दिया था, जिससे मैं मानसिक रूप से इस बदलाव के लिए तैयार थी।
मैं 11 साल की थी जब मेरे पीरियड्स की शुरुआत हुई। मैं घर पर ही थी जब मुझे इसका आभास हुआ। मैं मां के पास गयी और उन्हें इस बारे में बताया फिर उन्होंने मुझे पैड्स लाकर दिए और इस्तेमाल करने का तरीका बताया। साथ ही यह हिदायत दी कि आज से मुझे अपनी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है।
पहले दिन अपने शरीर से खून निकलता देखकर थोड़ा डर लग रहा था। साथ ही कमज़ोरी और दर्द भी महसूस हो रहा था। मां ने कहा आज पूरे दिन तुम सिर्फ आराम करोगी और अपने पिताजी से इस बारे में कोई चर्चा नहीं करोगी।
मुझे आज भी वो दिन अच्छे से याद है – मेरा पहला दिन कितने असमंजस में बीता था, न जाने कितने ही प्रश्न दिमाग में उठ रहे थे। एक बार को लगा कि मुझे कोई बीमारी हो गयी है। परंतु मां ने मेरी हर जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश की और इसके पीछे का विज्ञान समझाया। उन्होंने कहा कि यह हमारे शरीर का गन्दा रक्त होता है, जिसका शरीर से बाहर निकलना बहुत ज़रूरी होता है।
पीरियड्स का पहला अनुभव वाकई कठिन होता है, लेकिन मां के लाड़ प्यार और सीख के साथ, हर लड़की इसके प्रति सहज हो जाती है। अपनी सहेलियों के पहले पीरियड्स अनुभवों को मैं हेल्थ शॉट्स के इस लेख में आपके साथ साझा कर रही हूं-
आज़मगढ़ की रहने वाली 21 वर्षीय श्रेया मिश्रा बताती हैं कि, उन्हें सबसे पहले पीरियड्स का पता अपने दोस्तों से चला था। साथ ही उन्होंने स्कूल की किताबों में भी इसके बारे में पढ़ा था, लेकिन फिर भी मन में कई प्रश्न उठते थे- जैसे ऐसे दिनों में क्या करना होता है, कपडा या पैड्स कैसे इस्तेमाल करते हैं आदि।
उनके पहले पीरियड्स 13 साल की उम्र में हुए थे। श्रेया बताती हैं कि: “मैं उस दिन स्कूल में थी और क्लास अटेंड कर रही थी जब मुझे इसका आभास हुआ। पर इससे पहले कि मैं कुछ भी समझ पाती मेरी स्कूल ड्रेस ख़राब हो चुकी थी और मैं काफी डरी हुई थी। घर जाने पर मां को बताया, तो उन्होंने तुरंत कपड़ा लाकर दिया और पीरियड्स के बारे में सारी जानकारी दी। साथ ही ये हिदायत भी दी कि आज से तुम कुछ दिनों के लिए मंदिर नहीं जाओगी।”
प्रयागराज की रहने वाली 20 वर्षीय आराध्या, बताती हैं कि सबसे पहले उन्हें इसके बारे में उनकी योगा टीचर ने बताया। पर जब यह बात उन्होंने मां को बताई और इसके बारे में पूछा तब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि पहले पीरियड्स होने के बाद ही इसके बारे में सही से बताएंगी। उनका कहना है कि उनके पहले पीरियड्स की शुरुआत काफी लेट हुई, जिससे उन्हें पहले से ही इसके बारे में काफी कुछ पता चल गया था।
15 साल की उम्र में उनका पहला पीरियड आया। इसके बावजूद आराध्या इसके लिए तैयार नहीं थी। एक अजीब तरह की पर्देदारी थी इस मुद्दे पर। जिसके कारण मैं तैयार नहीं थी और स्कूल यूनिफॉर्म पूरी तरह खराब हो गई।
फिर स्कूल में टीचर्स ने उनकी मदद की, कपड़े बदलवाए, पैड्स लगाना सिखाया और उनकी मां को इस बारे में जानकारी दी। आराध्या कहती हैं कि: ” मेरी मां ने मेरी उन दिनों बहुत देखरेख की। गर्म पानी से पेट की सिकाई भी की। पर मैं सोचती हूं कि अगर मुझसे पहले इस विषय में बात की जाती, तो इसे संभालना और आसान हो जाता।”
जया शर्मा, आगरा की रहने वाली हैं और इनकी उम्र अभी 21 साल है। अपने पहले पीरियड का अनुभव साझा करते हुए वे बताती हैं कि उन्हें स्कूल में हुए एक सेमिनार से पता चला था कि पीरियड्स क्या हैं और ऐसा क्यों होता है। अभी तक पीरियड हमारे लिए सिर्फ क्लास के पीरियड हुआ करते थे। सेमिनार में जाना कि अब ये शब्द हर महीने हमारे शरीर से जुड़ने वाला है।
फिर 12 वर्ष की उम्र में उन्हें पीरियड्स आये और उन्होंने अपनी मां को बताया। जया कहती हैं कि ” शुक्र है मैं पहले से ही इसके बारे में काफी कुछ जान गई थी पर मां ने मुझे इस समय को धैर्यपूर्वक डील करना सिखाया।”
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