वेट लॉस, हाइपोथायरायडिज्म और टाइफाइड के साथ ये है मेरे स्वास्थ्य का 11 साल लम्बा सफर

रिद्धिमा का मीठे से प्यार और हाइपरथायरोइडिस्म से जंग का अंततः परिणाम हुआ अनियंत्रित वजन। जब स्वास्थ्य की बात आई तो रिद्धिमा ने फिटनेस के भरसक प्रयास किए और 5 महीने में 15 किलो वजन कम करके दिखाया। यह है रिद्धिमा की कहानी।
ये है हेल्‍थ के लिए रिद्धिमा के संघर्ष की कहानी। चित्र: रिद्धिमा

जैसा कि मेरे माता-पिता बताते हैं, मैं बचपन से ही काफी गोल मटोल बच्ची थी। मुझे बहुत लाड़ प्यार मिला, जिसमें मेरी हर जिद पूरी करना भी शामिल था।

ऐसे में मेरी टॉफी-चॉकलेट से लेकर मिठाई खाने की जिद भी हर बार पूरी की जाती थी। बचपन में यह समझ नहीं आता कि स्वास्थ्य के लिए क्या अच्छा है क्या बुरा! और मुझे थोड़ा भारी होने में कोई समस्या भी नहीं लगी। मुझे फर्क नही पड़ता था कि मैं कैसी दिखती थी, मैं खाने-पीने में ही मस्त रहती थी।

मेरी समस्या बढ़नी तब शुरू हुई जब मैं 8 साल की थी

मेरे आठवें जन्मदिन तक मेरे खाने-पीने पर मेरे मम्मी-पापा ने कोई रोकटोक नहीं की थी। घर का हेल्दी खाना खाने को मुझे कहा जाता था, लेकिन कोई दबाव नहीं था। इसलिए मैं अक्सर जंक फूड खाती रहती थी।

लेकिन जब मैं 8 साल की हो गयी तो सभी चीजें बदल गईं। मेरे सर पर बाल्ड पैचेज आने लगे और बहुत ज्यादा बाल झड़ने लगे। हमनें टेस्ट कराए, और पता चला कि मुझे हाइपोथायरोइडिज्‍म है । मेरी बीमारी बहुत रेयर थी, जिसमें शरीर में थायराइड हॉर्मोन नहीं बनता, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। यही कारण था कि मुझे कम उम्र में मोटापा और बाल झड़ने की समस्या होने लगी थी।

जंक फूड का मेरा शौक मेरे लिए परेशानी ले आया। Gif: giphy

इस डायग्नोसिस के बाद मेरे पेरेंट्स मेरे वजन पर नियंत्रण रखने लगे और मैं स्टेरॉइड्स युक्त भोजन खाने लगी। ताकि बाल ना झड़ें। मेरा वजन मेरी उम्र के हिसाब से ज्यादा था, लेकिन मैं सोचती थी कि बढ़ती उम्र है, वेट अपने आप मैनेज हो जाएगा।

18 साल तक मुझे कभी अपने वजन से समस्या नहीं हुई

मेरा वजन बढ़ता रहा और नौंवी क्लास में मैं 70 किलो की हो गयी थी। जैसे मैं बड़ी हो रही थी, मुझे अपने वजन की चिंता होने लगी थी। मैं अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों से अलग दिखती थी- उनसे ज्यादा भारी, ज्यादा मोटी। मेरी बीमारी के कारण ओबेसिटी मेरे लिए बहुत बड़ी चिंता थी।
10वीं में महज 15 साल की उम्र में मेरा वजन 80 किलो था।

बढ़ता वजन और उससे जुड़ी समस्याएं

जहां दवा से समय के साथ मेरे बाल आ रहे थे, हाई स्कूल में मैं खुद को बहुत नीची नजरों से देखने लगी थी। मेरे अंदर बिल्कुल आत्मविश्वास नहीं था। मैं खुद को आईने में देखकर चिढ़ने लगी थी। मुझे दूसरी लड़कियों से जलन भी होती थी, मुझ पर मजाक बनने लगे थे और मेरे मोटापे पर हंसने वालों की कमी नहीं थी। मैं अक्सर इन जोक्स में खुद भी हंस देती, क्योंकि अपने लिए आवाज उठाने की मुझमें हिम्मत नहीं थी।

जब 11वीं में मैं 81 किलो की थी, तो मैंने तय किया कि मैं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दूंगी और अपने शारीरिक रूप को तो बदलूंगी ही, अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ाऊंगी।

मैंने अपना वजन अपने हाथों में लिया…

मेरी मां मुझे एक डायटीशियन के पास ले गयीं जिन्होंने मेरी डाइट और एक्सरसाइज पर मुझे निर्देश दिए और नियमित रूप से मेरे वजन को निर्देशित करने लगीं।

16 साल की उम्र में मुझे टायफॉइड हो गया। मैं अब तक जो एक्सरसाइज कर रही थी, सब पर लगाम लग गया। यह मेरी लाइफ का सबसे बुरा समय था। मैं 6 महीने से हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाए थी और एक हफ्ते के टायफॉइड से मेरी न सिर्फ 6 महीने की मेहनत खराब हो रही थी, बल्कि अगले 6 महीने तक उसका असर रहा।

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टायफॉइड से मैं कमजोर हो गयी थी, मेरे चेहरे की चमक चली गयी थी। वजन कम होने से मेरी त्वचा लटक गई थी जिसके कारण मुझे अपने शरीर को लेकर और नफरत होने लगी थी। इसके साथ ही मेरे बाल दोबारा बहुत झड़ने लगे थे। टायफॉइड के कारण मेरा एक हफ्ते में 4 किलो वजन कम हो गया था। यह मेरे जीवन का लोएस्ट पॉइंट था। और जैसा कहते हैं, इसके बाद एक मात्र रास्ता ऊपर जाने का ही होता है। मेरे बाल गिर रहे थे, लेकिन मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा था। मैंने खुद से कहा कि अब मेरा वक्त है।

सही बॉडी बनाना और स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम

एक महीने आराम करने के बाद, मैंने जिम जाना शुरू किया। मेरा शरीर टोन होने लगा और मेरी ताकत वापस आने लगी। धीरे-धीरे मेरी मांसपेशियां बढ़ने लगीं और लटकती त्वचा कम होने लगी। मुझे हेल्दी महसूस भी होता था। यहां से मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मेरा फिटनेस रूटीन और हेल्दी वेट के लिए कमिटमेंट

पिछले दो सालों से मेरा डेली रूटीन मेरे स्वास्थ्य के इर्दगिर्द ही बना हुआ है। मैं सुबह 5 बजे जिम जाती हूं और 7:30 बजे कॉलेज जाती हूं। मैं जंक फूड को हाथ भी नहीं लगाती और सिर्फ हेल्दी खाना ही खाती हूं।

रिद्धिमा ने खुद से किया स्‍वस्‍थ होने का वादा। चित्र: रिद्धिमा

लॉकडाउन के दौरान मैंने अपने वर्कआउट को घर पर ही मेंटेन रखा। मैं ऑनलाइन जुम्बा क्लासेस करती हूं, मसल्स ट्रेनिंग और अपर बॉडी एक्सरसाइज भी करती हूं। मैं बहुत सख्त डाइट फॉलो करती हूं और चीनी बिल्कुल नहीं खाती। मेरे इस रूटीन के कारण मेरा हाइपोथायरायडिज्म भी कंट्रोल में है और बाल झड़ने की समस्या पर भी लगाम लग गया है।

मैंने इस सफर में क्या खोया, क्या पाया

मैं अभी 19 साल की हूं, कॉलेज जाती हूं और सेकंड ईयर में हूं। अब मैं खुश रहती हूं, कॉन्फिडेंट हूं और फिट भी हूं। मैंने पिछले तीन सालों में 15 किलो वजन कम किया है। मेरे इस सफर ने मुझे सिखाया कि खुद से प्यार करना कितना जरूरी है। आज मैं सिर्फ शारीरिक रूप से ही स्वस्थ नहीं हूं, मानसिक रूप से भी बहुत स्वस्थ हूं। मैंने सीखा है कि खुद का उत्साह कैसे बढ़ाना है और बुरे वक्त में खुद के लिए कैसे खड़ा होना है।

कई बार ऐसे दिन भी होते हैं जब मैं जरूरत से ज्यादा खा लेती हूं, या जिम में उतना पसीना नहीं बहाती। लेकिन अंत में सिर्फ यह मैटर करता है कि मैं खुश हूं। मैं दूसरों से अलग महसूस नहीं करती। मेरी डायटीशियन हमेशा मुझे समझाती हैं, “परफेक्ट शरीर नहीं, परफेक्ट हेल्थ होना चाहिए। और स्वस्थ होने का मतलब पतला होना नहीं है, शारीरिक और मानसिक रूप से सुखी होना है।”

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ये बेमिसाल और प्रेरक कहानियां हमारी रीडर्स की हैं, जिन्‍हें वे स्‍वयं अपने जैसी अन्‍य रीडर्स के साथ शेयर कर रहीं हैं। अपनी हिम्‍मत के साथ यूं  ही आगे बढ़तीं रहें  और दूसरों के लिए मिसाल बनें। शुभकामनाएं! ...और पढ़ें

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