उम्र के साथ शरीर कई समस्याओं से जूझने लगता है। उन्हीं में से एक है मोटापा। इसे कम करने के लिए जहां लोग कई फैंसी डाइट प्लान और जिम पर पूरी तरह से निर्भर रहते हैं। वहीं मुग्धा प्रधान ने जीवन में सामान्य बदलाव लाकर इस समस्या को हल दिखाया और 14 महीनों में 37 किलो वज़न कम कर दिखाया। मुग्धा पेशे से एक फंक्शनल न्यूट्रीशनिस्ट है। कुछ साल पहले तक उनका वज़न 97 किलो था और वो थायरॉइड, डिप्रेशन और प्रीडायबिटीज़ की शिकार थीं। मगर जब एक बार वजन घटाने का निश्चय किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। 14 महीने की इस समर्पित यात्रा में मुग्धा प्रधान ने न केवल अपनी फिटनेस वापस पााई, बल्कि कई बीमारियों से भी निजात पाई (Mugdha Pradhan weight loss journey) ।
शादी में मिलने वाली असफलता के कारण उनका जीवन बिखर चुका था। वहीं परिवार का भावनात्मक सहयोग न मिल पाना उनके डिप्रेशन का कारण साबित हो रहा था। ऐसे में अपने मज़बूत इरादों और वेटलॉस के लिए आगे कदम बढ़ाने वाली मुग्धा ने दृढ़ संकल्प लेकर वेटलॉस जर्नी की शुरूआत की।
ये बात अप्रैल 2016 की है, जब मैं एक पुराने दोस्त से मिलने के बाद पांच मिनट तक शीशे में खुद को देखती रही और मन में पहली बार वेट लॉस का ख्याल आया। उस वक्त मेरा वजन कुल 97 किलो था और डायबिटीज़ की शिकार भी थी। हार्मोनल उतार–चढ़ाव के कारण मन में हर पल उदासी रहती थी और आत्महत्या का ख्याल भी आता था।
दरअसल, शादीशुदा जिंदगी की असफलता भी इसका मुख्य कारण रहा। मगर अब मन ही मन मैं दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ने के लिए खुद को तैयार कर चुकी थी। सबसे पहले मैंने पोषण में रुचि ली और अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के मूल कारणों को खोजने की भी कोशिश की। अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए जून 2017 तक 37 किलो वजन कम करने में कारगर साबित हुई (Mugdha Pradhan weight loss journey)।
मुग्धा बताती हैं कि आईने के सामने खड़े रहकर खुद को निहारना वो मार्मिक क्षण था, जब मैं अपने लिए एक मज़बूत निर्णय लेने में सफल हो पाई। इस अंतर्दृष्टि ने गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद मुझे खुद को तलाशने के लिए प्रेरित किया। मैं अब पीछे मुड़ कर कभी भी खुद को अस्वस्थ महसूस नहीं करना चाहती थी।
वेट लॉस यात्रा शुरू करने से पहले मेरा वजन 97 किलोग्राम था। करीबन एक साल की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ मैंनें 37 किलोग्राम वज़न कम किया। उसके बाद मैं 60 किलोग्राम के तक पहुंचने में कामयाब रही।
वेटलॉस जर्नी के बारे में मुग्धा बताती हैं कि अप्रैल 2016 से जून 2017 तक लगभग 14 महीने में मैने अपने टार्गेट को अचीव किया। इस समय के दौरान मैं अपना वज़न कम कर पाई और आगे बढ़ी। हांलाकि इस दौरान मुझे कई कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ा, मगर मेरी नज़र केवल मेरे लक्ष्य पर थी।
हेल्थ प्रॉबलम्स के कारणों का पता लगाकर उन्हें ठीक करना किसी चुनौती से कम नहीं था। शरीर में बढ़ने वाली कई कमियों की जानकारी जुटाने, स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी पाने और अंडरलाइंग इशूज़ से निपटने में काफी समय लगा। इसके अलावा भावनात्मक और मानसिक सेहत को बनाए रखना भी ज़रूरी था।
शरीर में दिनों दिन बढ़ने वाले मोटापे के चलते चलने फिरने में भी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कई बार खुद को असहाय महसूस करती थी। ऐसे में वेटलॉस यात्रा को शुरू करने के बाद हर दिन मोटापे में आती तब्दीली देखकर मुझे प्रेरणा मिलती है (Mugdha Pradhan weight loss journey) । इसके चलते ये उद्देश्य मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए निरंतर याद दिलाता रहा,चाहे रास्ता कितना भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो।
बढ़ते वज़न को कम करने के बारे में मुग्धा प्रधान बताती हैं कि मैंने एक नियमित और संतुलित आहार का पालन किया। इसके लिए नाश्ते से पहले ब्लैक कॉफी, फिर नाश्ते के लिए तीन घी में पके अंडे, उसके बाद लंच में चावल, ग्रेवी डिश के साथ कबाब होता था। शाम में सीज़नल फ्रूट, रात का खाना दोपहर के समान ही था। वहीं वीकेण्ड पर मछली या प्रॉन को शामिल किया जाता था।
ग्लूटेन, डेयरी प्रोडक्टस, सीड्स ऑयल और किसी भी तरह की चीनी से पूरी तरह परहेज किया। मैंने कई तरह की फिटनेस दिनचर्या का पालन किया। इसके अलावा सप्ताह में दो बार लॉन्ग वॉक, सप्ताह में एक बार योग और हर दूसरे वेट ट्रेनिंग करती थी।
शॉर्ट टर्म टिप्स पर ध्यान केंद्रित करने की जगह लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन पर ध्यान देना चाहिए। वजन घटाने से पहले संपूर्ण स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। इससे व्यक्ति स्वास्थ्य समस्याओं के अंतर्निहित कारणों की पहचान कर सकता हैं और समय पर उनका इलाज करवाना भी संभव होता हैं। इसके लिए समर्पित रहें, धैर्य रखें और गतिशील बने रहें।
अपने वजन घटाने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद जीवन कई मायनों में बदल गया। मुग्धा बताती हैं कि वेटलॉस के बाद शरीर ज़्यादा ऊर्जावान, खुश और स्वस्थ रहता है। इसके बाद कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार आया और अत्यधिक मूड स्विंग, उदासी या आत्महत्या के विचारों से भी मुक्ति मिल पाई। वेट लॉस के बाद शरीर बेहतर महसूस करती हूँ और जीवन के प्रति नज़रिया भी बदला है।