मदरहुड लाइफ का एक बेहतरीन अनुभव है। ये ऐसा उत्सव है, जो बच्चे के जन्म के साथ एक मां की जिम्मेदारियों को बढ़ाता चला जाता है। काम के स्ट्रेच होने के साथ-साथ न्यू बॉर्न बेबीज़ की देखभाल के लिए सही प्रोडक्टस का चुनाव करना भी न्यू मॉम्स के लिए एक टफ टास्क है। इस सिचुएशन से बाहर आने के लिए आइए जानते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर से इंटरप्रेन्योर तक का सफर तय करने वाली प्रियंका रैना (Journey of Priyanka raina) और उनके नेचुरल बेबी केयर ब्रैण्ड माटे के बारे में ।
लाइफ में फोकस्ड रहने वाली प्रियंका इंफॉर्मेशन टेक्नोलाॅजी से बीटेक करने के बाद नीदरलैंड्स में बैंकिंग इंडस्ट्री में काम करने लगीं। प्रियंका बताती हैं कि माटे हर मां के लिए एक अविश्वसनीय एक्सपीरिएंस है, जो उन्हें यह चुनने की अनुमति देता है कि उनके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है।
प्रियंका बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। स्कूल टाइम से ही पढ़ाई के प्रति उनका लगाव रहा है। उनका कहना है कि वो जानती थी कि मुझे आगे चलकर क्या करना है। उन्होंने अपने प्रयास से एक सॉफ्ट वेयर इंजीनियर के तौर पर खुद को साबित कर दिखाया।
प्रियंका अपने मिशन को लेकर पूरी तरह से फोकस्ड थीं। वो बताती हैं कि स्कूल से लेकर कॉलेज तक मेरा अधिकतर समय किताबों में ही गुज़रना था। बुक रीडिंग करना मुझे बहुत पसंद था। इसके अलावा क्लासिक्ल डांसिग में भी मेरी खास रूचि रही। इसके चलते स्कूल के दिनों में मैंने भरतनाट्यम सीखा।
उन्होंने बताया कि मेरी बेहतर अपब्रिंगिंग मे मेरे पेरेंटस का बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने बचपन से ही मुझे नैतिक मूल्यों से जोड़ा है। पेरेंट्स ने हमेशा एथिकल लिविंग पर ज़ोर दिया और समाज की वैल्यूज और संस्कारों के साथ हमे कनेक्ट किया। उन्होंने हमेशा यही सिखाया कि लोगों के प्रति इंसानियत, दयालुता और उनकी मदद करनी चाहिए। कुछ करने के जज्बे के साथ मुझे आगे बढ़ाया और हर कदम पर प्रोत्साहित किया।
नीदरलैंड्स में बैंकिंग इंडस्ट्री में काम करने के दौरान मुझे काफी ज्यादा टैक्निकल नॉलेज हासिल हुई। बहुत से लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, जो अलग अलग देशों से ताल्लुक रखते थे। प्रियंका बताती हैं कि उस दौरान ऐसी बहुत सी सक्सेसफुल महिलाओं के संपर्क में भी आई। उन्होंने अपने दम पर जीवन में बहुत कुछ अचीव किया और आगे बढ़ीं। जब मैं भारत वापिस लौटी, तो अब मेरे पास खूब सारे सपने थे और मैं कुछ खुद का अलग करना चाहती थी। सबसे पहले मैंने ग्रेसिया फाउनडेशन की शुरूआत की। उस वक्त मेरी एक बेटी थी।
बचपन के पल हर बच्चे के जीवन का वो सुनहरा दौर होता है, जब हम हर दिन कुछ नया सीखते है। बच्चे के फाउंडेशन ईयर्स इस बात को तय करते हैं कि आपकी परवरिश कैसे हुई। आपने जीवन में क्या सीखा। प्रियंका तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है, प्रियंका के दो बड़े भाई हैं। वो बताती हैं कि मेरे माता-पिता ने कभी भी हमारे मध्य भेदभाव नहीं किया है।
कभी भी ऐसा नहीं हुआ। जब उन्होंने कहा हो कि तुम लड़की हो, घर रहो, वो लड़के है, उन्हें बाहर जाने दो। तीनों बच्चों को बराबरी का दर्जा मिला। हमेशा हर काम साथ किया। माता पिता ने मुझे समझाया कि आप कैसे इंडिपेंडेंट हो सकते हो। उन्होने मेरे रास्तों को कभी खुद तय नहीं किया। करियर से लेकर शादी तक। किसी भी चीज़ के लिए मुझे कभी फोर्स नहीं किया।
प्रियंका और उनके पति ने साल 2017 में ग्रेसिया रैना फाउंडेशन की बुनियाद रखी। अपनी बेटी के नाम पर शुरू की गई इस एनजीओ का मकसद महिलाओं की मदद करना है। साथ ही एडोलेसेंट हेल्थ और मेटरनल हेल्थ पर फोक्स करना है। प्रियंका बताती हैं कि उनके पति यानि जाने माने क्रिकेटर सुरेश रैना का हमेशा उन्हें हर कदम पर पूरा साथ मिला।
उन्होंने बताया कि उनके पति ने हर बार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। वे बताती है कि अपने पार्टनर के समर्थन से ही हमेशा उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलती रही है। वे बहुत ज्यादा स्पोर्टिव और एनकरेजिंग हैं। प्रियंका का कहना है कि उनकी सक्सेस में उनके पति का बहुत बड़ा काफन्टरीब्यूशन रहा।
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कस्टमाइज़ करेंबच्चों की परवरिश करने के साथ साथ कुछ नया शुरू करना उतना आसान कदम नहीं था। इस काम में परिवार का पूरा सपोर्ट मिला और मैं आगे बढ़ती चली गई। प्रियंका मानती हैं कि मां बनने के बाद महिलाएं खुद में एक नई एनर्जी महसूस करती हैं। ये वो एनर्जी है, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है। मैंने कभी भी काम के दौरान परिवार की मदद मांगने में हिचकिचाहट महसूस नहीं की।
प्रियंका का कहना है कि मेरे दोनों प्रोजेक्टस मदर्स की लाइफ से जुड़े हुए हैं। वे बताती हैं कि जब ग्रेसिया फाउनडेशन को लॉन्च किया। उस वक्त हमारा पहला प्रोग्राम मेटरनल हेल्थ पर था। हम वहां महिलाओं से मिले उन्हें हर कदम पर मदद की। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उनका साथ भी दिया। दूसरा प्रोजेक्ट भी मदर्स पर था, जिसका मकसद न्यू मॉम्स की जर्नी को आसान बनाना था।
दरअसल, वो ऐसा समय होता है, जब वे इस बात को नहीं समझ पातीं कि उन्हें अपने न्यू बॉर्न बेबी के लिए क्या चुनना है। उनके बच्चे के लिए कौन से प्रोडक्ट्स सही रहेंगे। इसी कॉसेंप्ट के आधार पर ऐसे प्रोडक्ट को लाने के बारे में सोचा जिस पर मदर्स आसानी से विश्वास कर सकें।
जब मेरी बेटी का जन्म हुआ, उसके कुछ समय बाद उसी के नाम से एक वेंचर की शुरूआत की। उसके बाद दूसरे वेंचर को शुरू किया। फिर न्यू बॉर्न बेबी की जिम्मेदारियों को भी साथ-साथ निभाया। मदरहुड एक खूबसूरत अनुभव है। इस दौरान काम को लेकर कभी भी परेशानी नहीं हुई। मेरा फोक्स् पूरी तरह से क्लीहयर था कि मुझे काम करना है।
मेरे बच्चे हमेशा से मेरी प्रीआरिटी रहे हैं। जब भी दिक्कत हुई या परेशानी किया, तो अगली बार और मज़बूती के साथ खड़ी हुई। हर बार लोगों का बहुत प्यार मिला। एक मां के तौर पर आप ज्यादा जिम्मेदार हो जाते हैं। आपको चीजें मैनेज करनी आ जाती हैं। धीरे धीरे अन्य लोगों से कनेक्ट होने लगते हैं। फिर हमें उनकी जर्नी के बारे में पता चलता है। हम जान पाते है कि उन्होंने कितनी मुश्किलें झेली और कैसे आगे बढ़े
रोज़ाना बहुत सारे स्टार्टअप्स शुरू होते हैं और हम एक ऐसी इकोनॉमी से संबंध रखते हैं, जो दिनों दिन बढ़ रही है। मेरे सामने भी बहुत बड़े चैलेंज थे, जब कि चीजें उसके हिसाब से नहीं थी। फिर भी पूरे उत्साह के साथ आगे बढ़े और अपने गोल्स को अचीव किया। लक्ष्य की प्राप्ति के साथ पर्यावरण की स्वच्छता भी हमारी जिम्मेदारी है। हमने भी प्लास्टिक की बजाय ग्लास का प्रयोग करना शुरू कर दिया। मेरी बेटी जो सात साल की होने वाली है। वो भी इस बात ये अवेयर है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल करना गलत है। बच्चों को स्कूल और घर हर जगह इन चीजों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
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