कोरोना महामारी के बीच जब हर व्यक्ति अपने घर में बंद है तथा जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहा है। ऐसे में 22 वर्षीय एडलिन कैस्टेलिनो अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। लीवा मिस डीवा 2020 की विजेता रही एडलिन के दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि मुझे मिस यूनिवर्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना है और यह खिताब हासिल करना है।
हालांकि वो यह खिताब अपने नाम नहीं कर पायीं, परंतु मिस यूनिवर्स ब्यूटी पैजेंट में एडलिन थर्ड रनरअप रहीं, जो भारत के लिए एक ख़ास लम्हा था। 73 देशों की सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने टॉप 5 मैं अपनी जगह बनाई। एडलिन ने हर राउंड में अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से सभी प्रतियोगियों को कड़ी टक्कर दी।
एडलिन सिर्फ एक मॉडल ही नहीं हैं, बल्कि महिलाओं की सामाजिक स्थिति के प्रति काफी जागरूक रहती हैं। फिर चाहें वो गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा हो या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लिए सामाजिक चेतना जगाना, वे सदैव इसके लिए तत्पर रही हैं। भारत आने पर हमने उनसे उनकी उपलब्धियों और मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे (Menstrual Hygiene Day) पर एक एक्सक्लूसिव बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश –
मैं बचपन से ही सामन्य बच्चों की तरह बड़ी हुई हूं। मेरे शरीर पर हर जगह निशान थे और बचपन से, मैं कभी साफ नहीं बोल पाती थी इसलिए मुझमें आत्मविश्वास की कमी थी। शुरुआत से कभी मैंने मॉडल या मिस यूनिवर्स बनने का सपना नहीं देखा था।
मैं अपने देश के लिए हमेशा से ही कुछ विशेष करना चाहती थी, जिससे कि उन्हें गर्व महसूस हो। मुझे कभी लगा नहीं था कि में यहां तक पहुंच पाऊंगी। मुंबई आकर ही मैंने मॉडल बनने के बारे में सोचा। इसकी तैयारी करते समय मैंने अपने उच्चारण पर काफी ध्यान दिया, क्योंकि मुझे स्पीच इश्यूज थे।
इस पूरे सफर ने मुझे सकारात्मक रूप से परिवर्तित किया है और मैं इन सब के लिए मिस डीवा ऑर्गेनाइजेशन की तहे दिल से शुक्रगुजार हूं। उन्होंने मुझे मौका दिया कि मैं खुद को निखार पाऊं।
पेंडेमिक की वजह से हमारे लिए सब कुछ बहुत सीमित हो गया था। जहां तक ट्रेनिंग की बात आती है, हमें सब कुछ ऑनलाइन करना था और मेरे सहयोगियों ने मेरे ऊपर काफी मेहनत की थी। उनके लिए मुझ तक पहुंचना काफी मुश्किल हो गया था। ये सब एक तरह से मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि मुझे हर चीज़ को दोबारा से सोचना समझना पड़ा और एक नये सिरे से शुरुआत करनी पड़ी।
इन सभी चीजों नें मुझे जिंदगी को देखने का एक नया नज़रिया दिया, क्योंकि कई बार हम सिर्फ खुद में मगन होकर रह जाते हैं। हमें ऐसा लगने लगता है कि सब कुछ सिर्फ हमारे बारे में हैं! मगर इस महामारी ने मुझे अपने काम और लोगों के प्रति संवेदनशील और विनम्र होना सिखाया। साथ ही चीजों को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
ट्रेनिंग के दौरान मुझे बैक इंजरी भी हो गयी थी, जिसकी वजह से मैं दो महीने सिर्फ बिस्तर पर ही रही और जिम भी नहीं जा पायी। उसके बाद मैं कोविड पॉजिटिव हो गयी। यह वो समय था जब मुंबई में कोरोना की दूसरी लहर अपने पैर पसार चुकी थी। परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपने पैनलिस्ट की सभी गाइडलाइन्स को फॉलो किया।
इस मुश्किल दौर में मैं अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। लोगों को यह जीत की ख़ुशी देना चाहती थी, ऐसा कुछ जो उनके चेहरे पर ख़ुशी लाये और वे गौरवान्वित महसूस करें। अपने देश के लिए कुछ करने का ख्याल ही मुझे आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देता था। मेरे साथ-साथ पूरी टीम ने काफी मेहनत की है।
मुझे हमेशा से ही जिम जाना बहुत पसंद है। इसलिए मुझे ऐसी किसी खास दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। अपनी फिटनेस और ट्रेंनिंग के दौरान मैंने पिलाटीज़ करना भी शुरू किया, जो मुझे काफी पसंद हैं। मैं हर रोज़ सुबह पिलाटीज़ क्लास लेती हूं और शाम को वर्कआउट करती हूं।
मैं एक ऐसी लड़की हूं जो अपने वर्कआउट प्रोसेस को एन्जॉय करती है, क्योंकि यह मेरी आदत में शामिल है। मैं खुद को कभी किसी आकार-प्रकार में ढालने के लिए मजबूर नहीं करती।
इंजरी के दौरान मुझे बहुत चिंता होती थी कि कहीं मैं आउट ऑफ शेप न हो जाउं या मेरा वज़न न बढ़ जाए, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं। मुझे इंटरनेशनली कॉम्पीट करना था और उन लोगों की बॉडी बेहद फिट होती हैं। पर मैं खुद को नेचुरल रखने और खुश रहने में ज्यादा विश्वास करती हूं।
इस कैंपेन के दौरान मुझे भी काफी कुछ सीखने को मिला। मुझे पहले पीसीओएस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। इस कैंपेन का हिस्सा होने की वजह से मैं यह समझ पाई कि औरतों को पीरियड्स के दौरान किन तकलीफों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, कैसे एक डिसऑर्डर उनके जीवन में कई मुश्किलें पैदा कर सकता है।
मैं खुद को बहुत लकी मानती हूं कि मैं उन लोगों के लिए आगे आकर कुछ कर पायी और जागरूकता फैला सकी। कई महिलाओं ने इस डिसऑर्डर को समझकर सही कदम उठाये और अपनी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन किये। मैं आगे भी इस विषय पर जागरूकता फैलाने का निरंतर प्रयास करती रहूंगी।
कई महिलाएं आज भी यह समझती हैं कि पीरियड्स के दौरान ज्यादा ऐंठन और फ्लो होना एक सामान्य बात है, पर यह पीसीओएस का संकेत हो सकता है। आपको इस विषय में स्त्री रोग विशेषज्ञों से राय लेनी चाहिए, और इसे नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह आपके सामन्य जीवन को प्रभावित करती है।
यह मानसिक रूप से काफी तनावपूर्ण अनुभव साबित हो सकता है, लेकिन मैं चीजों के बीच में सामंजस्य बिठाना जानती हूं। फिर चाहें मेरा दिन कितना भी हेक्टिक क्यों न हो।
इसलिए, मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि अपने रूटीन से समझौता न करूं। इसलिए, हर रोज़ मैं सुबह 4:30 बजे उठती हूं, ध्यान करने के साथ- साथ कुछ वक्त् खुद के लिए भी निकालती हूं।
खुद के लिए समय निकालना और सेल्फ अवेयरनेस बेहद ज़रूरी है, क्योंकि इस इंडस्ट्री में लोग आपके लुक्स को लेकर टिप्पणी कर सकते हैं। हर कोई एक प्रकार की खूबसूरती को लेकर खुद को बदलने की कोशिश में लगा हुआ है।
इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि खुद के लिए समय निकालकर खुद से मिलना और अपने आप को पूरी सच्चाई के साथ स्वीकार करना।
हमें महिलाओं को कोसने के बजाये उनका साथ देना चाहिए और उनकी पीड़ाओं को समझना चाहिए। अभी भी कई परिवारों में लोग पीरियड्स को एक टैबू मानते हैं। मुझे लगता है कि अब समय है जब हमें पीरियड्स (Periods) को नॉर्मलाइज करना चाहिए।
साथ ही, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी लड़की सिर्फ पीरियड्स और सही मेंसट्रूअल हायजीन सुविधाओं की वजह से आने वाले अवसरों से हाथ न धो बैठें!
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