कथक न होता, तो मैं उस दुख से उबर न पाती, अपने नाना और कथक गुरु पं. बिरजू महाराज पर शिंजनी कुलकर्णी के मन की बात

कथक सिर्फ आपको शारीरिक रूप से ही फिट नहीं रखता, बल्कि आपकी मेंटल हेल्थ के लिए भी इसके ढेरों फायदे हैं। खजुराहो फेस्टिवल, कालिदास समारोह, चक्रधर उत्सव, संकटमोचन संगीत समारोह, कथक महोत्सव, वसंतोत्सव जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में शामिल हो चुकी शिंजिनी कुलकर्णी साझा कर रही हैं कथक के साथ उनकी यात्रा।
kathak dancer shinjini kulkarni apne guru Pt birju Maharaj ko yad kar rahi hai
गुरू और नाना पंडित बिरजू महाराज का जाना शिंजिनी के लिए दोहरी चुनौती का समय था। चित्र : शिंजिनी कुलकर्णी
Updated On: 26 Nov 2024, 01:42 pm IST
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शिंजिनी कुलकर्णी कथक कलाकार और पंडित बिरजू महाराज की नातिन हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएट शिंजिनी सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती थीं। पर कुछ और था जो उनकी रगों में तैर रहा था। जिसका प्रशिक्षण उन्हें खेल-खेल में मिला और जिसने हर सुख-दुख में उनका साथ दिया। यह कथक ही था, जिसकी तालीम उन्हें पंडित बिरजू महाराज से मिली। पर 2022 में जब पंडित बिरजू महाराज का निधन हुआ, तो वह उनके लिए दोहरे दुख का समय था। वे इस दुख से कैसे उबरीं और कैसे वापस मंच पर लौटीं, आइए उन्हीं से जानते हैं।

कौन हैं शिंजिनी कुलकर्णी

मैं एक कथक डांसर हूं और कालका बिंदादिन घराने की नौंवी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हूं। मैंने कथक की शिक्षा अपने नाना पद्म श्री पंडित बिरजू महाराज जी से ली। मैं दिल्ली-एनसीआर में अपना कथक स्कूल चलाती हूं। देश-विदेश में अपनी एकल और समूह प्रस्तुतियों के माध्यम से कथक को दुनिया भर में पहुंचाता चाहती हूं।

हालांकि मैं पहले सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती थी और इसी उद्देश्य से इतिहास में ऑनर्स किया था। मगर शायद मुझे कथक के साथ ही रहना था और आज यही मेरी पहचान है।

कैसे हुई कथक की शुरुआत

मैंने 3-4 साल की उम्र से कथक सीखना शुरू कर दिया था। इसकी शुरुआत भी बिल्कुल बचपन के किसी खेल की तरह हुई। मैंने अपने परिवार में खेल-खेल में ही काफी कुछ सीख लिया। मैंने अपने नाना पंडित बिरजू महाराज से तालीम ली है। इसके अलावा मेरे घर में सभी कलाकार हैं, मेरे आंट्स, अंकल सभी।

Shinjini Kulkarni kathak ki ek jani mani dancer hain
शिंजिनी कुलकर्णी एक जानी-मानी कथक कलाकार हैं। चित्र : शिंजिनी कुलकर्णी

कथक के एक बड़े घराने से हुई शुरुआत 

शुरुआत में तो पता भी नहीं चला कि मैं कथक सीख रही हूं, यह बिल्कुल कोई खेल खेलने की तरह था। मगर जैसे-जैसे मैं इसको और सीरियसली लेती गई, वैसे-वैसे मुझे समझ आने लगा कि यह कितनी बड़ी विरासत है, जिसमें मैं शामिल हो रही हूं। कथक की नौंवीं पीढ़ी से होना, जो एक ही आर्ट को डेडिकेट कर रही है, यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी और सम्मान की बात है।

आठ पीढ़ियों ने अपनी लाइफ, अपना करियर इसी में बिताई और इतने सारे बेंचमार्क सेट किए!मेरी इनिशियल जर्नी इसी भाव को समझते, महसूस करते हुए बीती। जहां तक प्रेशर की बात है, तो वह हर कॉन्सर्ट में फील होता है।

बड़े घराने और विरासत का दबाव 

हम जब भी परफॉर्म करने के लिए स्टेज पर जाते हैं, तो उससे ठीक पहले हमारे गुरु का नाम लिया जाता है। यह एक कलाकार से पहले एक शिष्य का परिचय होता है। मैं जब भी परफॉर्म करने के लिए स्टेज पर जाती हूं, तो मेरे गुरु के परिचय के साथ यह भी कहा जाता है, कि वे मेरे नाना भी हैं। इससे ऑटोमेटिकली लोगों की एक्स्पेक्टेशन बहुत बढ़ जाती हैं।

लोग एक्सपेक्ट करते हैं कि आप हर बार इतना अच्छा काम करेंगे कि आपके गुरु का नाम सार्थक हो सके। आपको अच्छा प्रदर्शन करना है, सिर्फ इसलिए नहीं कि आप एक अच्छे कलाकार हैं, बल्कि आप इतनी बड़ी विरासत का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं। एक दबाव तो महसूस होता है, पर मुझे लगता है कि यह एक तरह का प्रिविलेज भी है, कि मैं उनके नाम का प्रतिनिधित्व कर रही हूं। उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का सौभाग्य मिल रहा है। ऐसा हर किसी को कहां मिल पाता है।

नाना, गुरु के अलावा परिवार का माहौल 

मेरी मां और पिता विजुअल आर्टिस्ट हैं। मैं उनकी इकलौती बेटी हूं। पिता अनुशासन के मामले में काफी सख्त थे और मां स्नेहिल। एक तरह से दोनों की संतुलित परवरिश मुझे मिली। काफी सुरक्षित माहौल मिला, जहां सभी कला जगत से थे। मिलते थे, तो कला पर, उसके विभिन्न आयामों पर बात होती थी। कितनी भी व्यस्तता हो, हमेशा इस बात का ख्याल रखा जाता था कि रियाज न छूटे। यही अब मेरी आदत हो गई है।

Shinjini ke parents visual artist hain
शिंजनी के माता-पिता भी कलाकार हैं। चित्र : शिंजिनी कुलकर्णी

एक महिला के तौर पर यहां भी हैं चुनौतियां

यकीनन चुनौतियां सब जगह हैं। पर यहां, एक महिला के तौर पर मेरे लिए सबसे बड़ा वरदान यह था कि मुझे सुरक्षित माहौल मिला। जब मैंने मंच प्रस्तुतियां शुरु कीं, तो मेरी मां हमेशा मेरे साथ होती थीं। पूरे 6 साल उन्होंने अपने सब काम छोड़कर मेरे साथ यात्राएं कीं। हर प्रस्तुति में आगे की पंक्ति में वे बैठी होती थीं और मुझे हमेशा इस बात का ख्याल रहता था कि वे बैठी हैं। एक तरह की सुरक्षा, एक तरह की चेतनता। और कुछ बेहतर करने की प्रेरणा हमेशा मेरे साथ रही।

फिटनेस और मेंटल हेल्थ के लिए कथक के फायदे 

कथक एक बहुत ही रोचक और सक्रिय कला है, जिसके माध्यम से आप अपने तन और मन के लिए बहुत सकारात्मक रूप से काम कर सकते हैं। आसान शब्दों में कहूं तो यह आपको कार्डियो एक्सरसाइज का अवसर देता है।

जबकि मेंटल हेल्थ के लिए इसके ढेरों फायदे हैं। यह आपका फोकस बढ़ाता है, आपके मन को शांत करता है। यह वास्तव में मेडिटेशन की तरह काम करता है। अपनी हेल्थ के लिए आप कथक के बहुत सारे अलग-अलग प्रयोग कर सकते हैं।

कथक का अभ्यास और प्रस्तुति संगीत के साथ होती है। प्रारंभिक तौर पर ही संगीत आपको रिलैक्स करता है। जब आप इसे लगातार और लंबे समय तक करते हैं, तो आपके दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचार कंट्रोल होते हैं। आपका सारा ध्यान गीत, संगीत, लय और ताल पर फोकस हो जाता है। जिससे आप अपने और अपने आसपास के बारे में पॉजीटिवली फोकस हो जाते हैं।

गुस्सा कंट्रोल करता है कथक

मेंटल हेल्थ के लिए कथक के इतने सारे फायदे हैं कि आप इनके बारे में जितनी बात करें, वह कम है। आप ओवरथिंकिंग से बचते हैं और आपको गुस्सा कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसके कई वैज्ञानिक आधार हैं। बहुत सारे शोधों में यह साबित हो चुका है कि जब भी आप कोई फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो आपकी बॉडी के अंदर एंडोर्फिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है।

ये सब चीजें हमारे पूर्वज बहुत अच्छी तरह से जानते और समझते थे। इसलिए उन्होंने नृत्य, संगीत और कला को इतना महत्व दिया। भारतीय संस्कृति जिस विचार पर टिकी है, वह अहिंसा का विचार है। यही हमें अपने शरीर के लिए भी फॉलो करना है।

अपने शरीर के प्रति हिंसा न करें 

नृत्य, संगीत और तमाम कलाओं की खासियत ही यही है कि वह शरीर के प्रति सौम्य होने की वकालत करते हैं। और उसके प्रति अहिंसा के विचार का समर्थन करते हैं।

किसी भी दूसरी एक्सरसाइज में आपको टफ टास्क के लिए पुश किया जाता है। मगर कथक एक ऐसा अभ्यास है, जिसमें अपने शरीर को सुनने और समझने के लिए प्रेरित किया जाता है। सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि हम अपने शरीर पर किसी भी तरह से इतना ज्यादा दबाव न डालें कि वह उस पर हिंसक महसूस हो। यह कहा जा सकता है कि कथक एक ऐसा संतुलित अभ्यास है, जिसके माध्यम से आप अपने सभी गोल्स अचीव कर सकते हैं।

योग और एक्सरसाइज से रहती हूं फिट

कला का यह स्वरूप ताकत, स्टेमिना और फिटनेस मांगता है। जाहिर है, स्वस्थ जीवन, एक्टिव लाइफ को पूरी तरह एन्जॉय करने के लिए सही फिटनेस होनी भी बहुत जरूरी है।

ताकि आप बिना थके, बिना रुके और ब्रीदिंग इश्यू के बिना लगातार परफॉर्म कर सकें। हफ्ते में 6 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के साथ कार्डियो जरूरी है। व्यक्तिगत रूप से मैं योग और स्ट्रेचिंग का मिश्रित वर्कआउट करती हूं। बॉडी फ्लेक्सिबिलिटी के लिए एक्सरसाइज और योगासन का अभ्यास दोनों बहुत जरूरी हैं। इसके अलावा ब्रीदिंग एक्सरसाइज और सही डाइट भी जरूरी है।

मेंटल हेल्थ का ठीक होना है आधी लड़ाई जीत लेना 

जब आप पब्लिक लाइफ में होते हैं, तो आपकी जिंदगी  पूरी तरह खुली हुई होती है सबके सामने। वे लोग आप पर अपना हक समझते हैं , क्योंकि वे आपको पसंद करते हैं, आपसे प्यार करते हैं। जैसे खिलाड़ियों के साथ होता है, उसी तरह एक कलाकार के लिए भी अपनी मेंटल हेल्थ पर काम करना जरूरी होता है। असल में हमारी डांस फॉर्म भी इसमें हमारी मदद करती है। जब आप घंटों एक ही चीज का अभ्यास करते रहते हैं, तो यह आप में धैर्य और फोकस भी बढ़ाता है। यह अपने प्रति समर्पण भी है।

बहुत अच्छी बात है कि लोग अब मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात  करने लगे है। पर बात सिर्फ बात करने तक ही समाप्त ही नहीं होनी चाहिए। अपने लिए आपको रेगुलर प्रयास करने हैं।

मेंस्ट्रुअल पीरियड के दौरान प्रदर्शन 

कलाकार होने का अर्थ यह नहीं है कि महीने के तीसों दिन आपको रियाज करना ही है। एक डांसर होने से पहले आप एक व्यक्ति हैं और आपको अपने प्रति सौम्य होना ही होगा। जब आप खुद को ठीक महसूस नहीं करते, या डाउन फील करते हैं, तब आप अपने लिए ब्रेक ले सकते हैं। माहवारी के दौरान खुद पर जबरन दबाव डालना एक तरह की हिंसा ही है। योग और कथक दोनों ही हमें अहिंसक होने के लिए प्रेरित करता है।

kathak apke tan man ko fit rakhta hai
प्रसिद्ध कथक कलाकार शिंजिनी कुलकर्णी मानती हैं कि कथक एक बेहतरीन फिटनेस व्यायाम है। चित्र : शिंजिनी कुलकर्णी

पर इसमें आलस को शामिल नहीं किया जा सकता। सक्षम न होना और मन न होना, दोनों अलग चीजें हैं। आपको अपने बारे में अवेयर होने और संतुलन बनाने की बहुत जरूरत है। जब-जब भी मुझे जरूरत महसूस हाेती है, मैं अपने शरीर को आराम देती हूं। ताकि पूरी ऊर्जा के साथ अगले दिन बेहतर काम कर सकूं।

30 के बाद और भी ज्यादा जरूरी है अपना ध्यान रखना 

यकीनन 30 के बाद फिटनेस मेंटेन कर पाना महिलाओं के लिए थोड़ा मुश्किल होता है। उनके हॉर्मोन्स बदलते हैं, वे फैट गेन करने लगती हैं। मगर डांस के लिए अपनी फिटनेस मेंटेन करना बहुत जरूरी है। इस उम्र में एक्सरसाइज के साथ आपको अपनी डाइट का बहुत ज्यादा ख्याल रखना होता है।

हॉर्मोनल बदलाव इस तरह होते हैं कि सिर्फ डाइट से आपको पूरा पोषण नहीं मिल पाता। इसलिए मैं सप्लीमेंट्स भी लेती हूं। मैं अपने लिए जिंक सप्लीमेंट लेती हूं, क्योंकि मेरी डाइटीशियन ने मुझे इसकी जरूरत बताई। यह फिटनेस और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए जरूरी है।

आप भी अगर किसी तरह की कमजोरी, थकान या तनाव महसूस कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि डायटीशियन से कंसल्ट करें और अपने लिए सही पोषण और डाइट चुनें। असल में समय के साथ  मिट्टी की गुणवत्ता, एयर क्वालिटी सब कुछ बहुत खराब हो रहा है। इसलिए अतिरिक्त हेल्थ सप्लीमेंट्स जरूरी हैं। शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक जीवन में सक्रिय और खुश रहने के लिए बहुत जरूरी हैं।

पंडित बिरजू महाराज का जाना और तनाव की दस्तक

वह मेरे लिए बहुत कठिन समय था, जब नाना जी का देहांत हुआ। अगर मेरे पास डांस नहीं होता, तो शायद मैं उस तनाव से कभी उबर नहीं पाती। परिवार के स्तर पर तो यह हमारी निजी हानि थी ही, मेरे लिए मेरे गुरू का जाना भी था। वे मेरे दोस्त थे, जिनसे मैं अपनी सब बातें शेयर कर सकती थी । मेरे लिए यह बहुत मुश्किल हो रहा था कि उनकी आवाज में रिकॉर्ड गानों पर परफॉर्म करूं और उनकी सिखाई हुई चीजों से फिर से गुजरूं।

pt Birju Maharaj ka jana Shinjini ke liye stress bhara samay tha
अपने दोस्त, अपने गुरू और नाना के जाने के दुख से उबारने में कथक ने ही शिंजिनी की मदद की। चित्र : शिंजिनी कुलकर्णी

इससे भी बढ़कर उनके जाने के बाद की मंच प्रस्तुतियां मेरे लिए मुश्किल थीं। लोग उन्हें याद कर रहे थे, उनकी स्मृति में कार्यक्रम कर रहे थे और चाहते थे कि हम उनका हिस्सा बनें। यह दोहरी चुनौती का समय था।

पर शायद उन्हीं चुनौतियों ने मुझे इसे दुख से उबारने में मदद की। मेरे लिए यह साधना भी है और अपने नाना को याद करने का तरीका भी। मैंने अपने आप को पूरी तरह कथक को समर्पित कर दिया। जैसे यही मेरा मेरे गुरू और नाना के साथ कनेक्ट है। हम इसी तरह एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।

देर कभी नहीं होती 

किसी भी व्यक्ति के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। मैंने बहुत कम उम्र से ही कथक करना शुरू कर दिया था। पर इसका यह अर्थ नहीं है कि आप बढ़ती उम्र के साथ कुछ कर नहीं सकते। अपने लिए समय निकालना, अपने प्रति सौम्य होना हम सभी के लिए जरूरी है। मैं मानती हूं कि देर कभी नहीं होती, अगर आपको 30 में, 40 में, या 50 की उम्र के बाद भी कुछ करने का मन है, तो आपको जरूर करना चाहिए। अपनी सेहत और अपने मन के लिए कोई भी समय अच्छा हो सकता है।

हम सभी का यह दायित्व है कि हम अपने जीवन में एक ऐसा झरोखा जरूर रखें, जहां से हमें सुकून और शांति मिलती रहे। कथक मेरे लिए ऐसा ही एक पुरसुकून झरोखा है।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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