scorecardresearch

मिलिए शाहिदा से, एक ऐसी पुलिस अधिकारी, जिसे कोविड-19 महामारी ने योग प्रशिक्षक बना दिया

कोविड-19 महामारी ने दुनिया को एक बड़ा सबक दिया है। जिसमें बड़े हथियारों का जखीरा जमा करने से ज्यादा जरूरी है हर व्यक्ति का सेहतमंद रहना। पुलिस में सेवारत शाहिदा परवीन गांगुली इसके लिए योग को सशक्त हथियार मानती हैं।
Updated On: 15 Nov 2023, 03:27 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
ये हैं ए.सीपी शाहिदा गांगुली जिन्हें कोविड-19 महामारी ने योग प्रशिक्षक बना दिया. चित्र : शटरस्टॉक
ये हैं ए.सीपी शाहिदा गांगुली जिन्हें कोविड-19 महामारी ने योग प्रशिक्षक बना दिया.

एक समय जब ज़्यादातर भारतीय महिलाओं को घर में ही रहने का दबाव था, विशेष रूप से इस्लाम में और आतंकवाद जम्मू में चरम पर था, तब शाहिदा गांगुली ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल होने का फैसला किया। हालांकि यह राह आसान नहीं थी।

शुरू से साहसी प्रवृति की शाहिदा ने हर चुनौती को स्वीकार किया। आज जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Covid-19) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है, तब ए.सीपी शाहिदा ने एक कोरोना वॉरियर की तरह योग प्रशिक्षक का कार्य भी बखूबी संभाल रखा है।

पुंछ के छोटे से शहर से ए.सीपी बनने का सफर

पुंछ में जन्मी और पली-बढ़ी, छह भाई-बहनों के परिवार में शाहिदा सबसे छोटी थी, मगर उनके सपने बहुत बड़े थे। जब वे चार साल की थी तभी उनके पिता का देहांत हो गया और घर चलाने की सारी ज़िम्मेदारी उनकी मां पर आ गयी। उस समय सामाजिक रूढ़ियों और पारिवारिक ढांचे की वजह से शाहिदा की मां काम पर नहीं जा सकीं और घर का सारा कार्यभार भाई के कंधों पर आ गया।

ए.सीपी शाहिदा कहती हैं कि ‘’कई कठिनाइयों के बावजूद, मेरी मां ने तय किया कि हम सभी अपनी पढ़ाई पूरी करें।’’

एसीपी शाहिदा - ''मेरे सपने कभी किसी के मोहताज नहीं थे''
एसीपी शाहिदा – ”मेरे सपने कभी किसी के मोहताज नहीं थे”

हिजाब से पुलिस भर्ती तक

‘’हमारे घर में औरतें हिजाब पहनकर रहती थी और उनको कभी बाहर काम – काज करने नहीं दिया जाता था। उस वक़्त महिलाओं के लिए टीचर बनना ही एक मात्र प्रोफेशन हुआ करता था, परंतु शुरुआत से ही मैं लीक से हटकर कुछ करना चाहती थी। पारिवारिक हालात कुछ ठीक नहीं रहते थे। इसके बावजूद मेरे सपने कभी किसी आर्थिक स्थिति के मोहताज नहीं बने।’’

पुंछ डिग्री कॉलेज से गणित में स्नातक करने के बाद भी उनके सामने कई आर्थिक समस्याएं आईं, इसलिए उन्होंने बच्चों को टयूशन पढ़ाना, रेडियो स्टेशन में भी उद्घोषक का कार्य किया।

इसी बीच वे अपने भाई के साथ शिफ्ट हो गयी थी, जहां उन्होंने खाना बनाना भी सीखा। हालांकि खाना बनाना कभी भी उनकी प्राथमिकता नहीं थी और वह काफी असहज महसूस करती थी।
इसी दौरान अचानक उन्होंने पुलिस भर्ती का फॉर्म देखा और किसी को बिना बताये भर दिया। घर में इस तरह का माहौल नहीं था कि वो अपनी इच्छा सबके सामने ज़ाहिर कर सकें।

बेहद परिश्रमी, साहसी और कभी न हार मानने वाली शाहिदा परवीन गांगुली के नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं।
बेहद परिश्रमी, साहसी और कभी न हार मानने वाली शाहिदा परवीन गांगुली के नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं।

वे कहती हैं कि ‘’मैंने सारे इंटरव्यू भी छुपकर दिए, मगर मेरी मां को हमेशा से पता था, वो रमजान के दिनों में सुबह – सुबह ग्राउंड में मुझे दौड़ाने ले जाती थीं।’’

इस तरह धीरे – धीरे वे अपनी मंजिल की ओर बढ़ती गईं और आज वे दिल्ली में ए.सीपी के पद पर कार्यरत हैं। बेहद परिश्रमी, साहसी और कभी न हार मानने वाली शाहिदा परवीन गांगुली के नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं।

2020 में उन्हें महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा ड्रीम अचीवर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

शाहिदा - ''कोरोना से पीड़ित होने के बाद भी मैंने कभी सूर्या नमस्कार करना नहीं छोड़ा''.
शाहिदा – ”कोरोना से पीड़ित होने के बाद भी मैंने कभी सूर्या नमस्कार करना नहीं छोड़ा”.

कोरोना संक्रमण में योग ने दिया सहारा

पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान वो भी संक्रमित हो गईं। मगर रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के कारण और 20 सालों से नियमित योगाभ्यास करने के कारण उन पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। कोरोना से पीड़ित होने के दौरान भी उन्होंने सूर्या नमस्कार करना कभी नहीं छोड़ा।

उनका कहना है कि ‘यह प्राणायाम ही है जिसने मुझे कोविड – 19 से लड़ने की शारीरिक और मानसिक क्षमता दी है।’

यही वो समय था जब उन्हें यह अहसास हुआ कि योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। तभी उन्होंने अन्य लोगों को भी योग के बारे में जागरूक करने का बीड़ा उठाया।

अपनी पुलिस ट्रेनिंग के दौरान भी वे कई महिलाओं को योग के बारे में शिक्षित करती थीं। परन्तु योग के बारे में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उन्होंने भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से योग विषय में परास्नातक किया।

ड्यूटी के बाद निशुल्क योग सिखाती हैं एसीपी शाहिदा.
ड्यूटी के बाद निशुल्क योग सिखाती हैं एसीपी शाहिदा.

पुलिस की ड्यूटी के बाद सिखाती हैं निशुल्क योग

आज शाहिदा, अपनी ड्यूटी के बाद, हर शाम को रोज़ 6 बजे ऑनलाइन योग की कक्षा लेती हैं, जिसमें वे निशुल्क योगाभ्यास और प्राणायाम सिखाती हैं। उनका मानना है कि यदि हम योग अपना लें तो, कोई बीमारी हमें छू भी नहीं सकती है।

रेस्पिरेटरी सिस्टम को मज़बूत रखने के लिए सबसे ज़रूरी है प्राणायाम और उससे भी ज्यादा ज़रूरी है प्राणायाम को सही तरह से करना। जिसमें – कपालभाति, उज्जायी प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका और भ्रामरी शामिल हैं।

सबसे ज्यादा जरूरी है औरतों का सेहतमंद रहना

ए.सीपी शाहिदा सभी महिलाओं को खुद को शारीरिक तौर पर फिट रहने की सलाह देती हैं और उनका मानना है कि सिर्फ ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना ही काफी नहीं है, बल्कि योगासन और प्राणायाम दोनों को अपने जीवन का अंग बना लेना चाहिए।

यह भी पढ़ें : एडलिन कैस्टेलिनो चाहती हैं कि सिर्फ पीरियड के कारण लड़कियों को न करना पड़े अवसरों से समझौता

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

अगला लेख