अगर आप हार्डकोर फूडी हैं और डेस्सेर्ट्स से आपका कुछ ज़्यादा ही प्यार है, तो संभावना है कि आप पहले से ही मियाम पेट्सरी, हौज़ खास, दिल्ली (Miam Pâtisserie, Hauz Khas, Delhi) में नियमित रूप से जाते होंगे।
फ्रॉस्टेड केक और मुंह में पिघल जाने वाले मैकरून से लेकर मनोरम क्रोइसैन और पुडिंग्स तक, यह कैफ़े आपके क्रेविंग को दूर करने के साथ ये आपके और साथियों के लिए खास ट्रीट साबित होता होगा।
मियाम के बारे में सोच कर ही मुंह में पानी आने लगता है। इसका स्वाद चखने का मन भी होता होगा, तो आपको इन सभी को बेक करने वाले का चेहरा भी देखना चाहिए।
इनसे मिलिए, यह हैं शेफ बानी नंदा
एक पेस्ट्री शेफ और बिजनेस वुमन, बानी नंदा अपने पति, अक्षय के साथ मियाम पेट्सरी चलाती हैं।
नंदा कहती हैं, “मेरा काम काफी व्यस्त रहने वाला है और कभी-कभी तो यह अत्यधिक व्यस्त हो जाता है, तनाव का स्तर बहुत अधिक होता है। शेफ होने के नाते निश्चित रूप से ओवर टाइम करने की जरूरत पड़ती है। शारीरिक श्रम भी अधिक होता है, जो कभी-कभी मुझे थका देता है”।
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रसोई घर में प्रवेश न करने देने की पुरानी परम्परा व कलंक को छोड़कर, नंदा पूर्ण रूप से मल्टी टास्कर हैं। वे कहती हैं, चाहे मासिक धर्म हो या कुछ और मैं अपने काम पर होती हूं। फिर चाहे रसोई के भीतर हो अथवा बाहर। इसका मतलब यह नहीं है कि यह पांच कठिन दिन, उन्हें परेशान नहीं करते।
नंदा चुटकी लेकर कहती हैं “मैं थोड़ी क्रैंकियर हूं और खासतौर से तब जब मुझे पीएमएस है। तब वास्तव में, मुझे अपने काम के दौरान अधिक गुस्सा आता है।”
वे कहती हैं, “मेरे पीरियड्स कभी भी मेरे काम या लक्ष्य के आड़े नहीं आते हैं। मैं जानती हूं यह महीने का सबसे अच्छा समय नहीं होता, लेकिन मैंने इसपर मजबूत होना सीख लिया है।”
“मेरी माँ ने मुझे सिखाया कि यह कोई बड़ी बात नहीं, इसे दिमाग में मत बिठाओ। उन्होंाने हमेशा मुझे बताया कि मैं अकेली ऐसी लड़की नहीं हूं जिसे हर महीने माहवारी का सामना करना होता है। मुझे पता है कि पीरियड एक अनिवार्य प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसलिए, हमको इसके साथ रहना सीखना होगा।
वह समझती हैं कि हर महिला का मासिक धर्म कैसे अलग होता है। साथ ही साथ वह कार्यस्थल पर मासिक धर्म कि संवेदनशीलता की समान भावना को भी बढ़ावा देती है।
नंदा अपने कार्यस्थल के बारे में विस्तार से बताते हुए कहती हैं, “एक बॉस के रूप में, मैं अपनी फीमेल सहकर्मियों के प्रति बहुत संवेदनशील हूं। जब उन्हें पीरियड्स आते हैं, मैं उन्हें कम्फ र्ट देने की कोशिश करती हूं। क्योंनकि सभी का सायकल अलग होता है। मैं एक बॉस के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना सुनिश्चित करती हूं। अगर वे वास्तव में असहज होती हैं, तो मैं उनसे कहती हूं कि छुट्टी लें या घर जाएं। हमारे ऑफिस के दराज में, सैनिटरी नैपकिन का हमेशा एक अतिरिक्त पैकेट होता है। मेरे पुरुष रसोइये अच्छी तरह से अवगत हैं और वे हमेशा सहायक होते हैं। कभी-कभी उन पर अधिक प्रेशर होता है क्योंकि हम में से कई महिलाएं पीएमएस पर होती हैं!”
बानी की पीरियड-मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी है, उनके पीएमएस लक्षणों को पहचानने की, उसे स्वीकार करने की यही स्ट्रेटेजी उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से रुकने नहीं देती और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करना पसंद करती हैं।
“पीरियड होने पर शर्मिंदा क्यों होना है। हमारी संस्कृति और समाज में, इसे बहुत शर्मनाक माना गया है। केमिस्ट से सैनिटरी नैपकिन खरीदते समय भी आप उसे छुपा कर लाती हैं। क्या आप कोई अपराध कर रहे हैं। मैं सिर्फ यह बताना चाहती हूं कि यह वास्तविकता का एक हिस्सा है। यह दुनिया की आधी आबादी को हर महीने होता है, इसलिए लोगों को अधिक प्रगतिशील होने और इसके बारे में खुलकर बात करने की जरूरत है।”
हर स्थिति पर बानी पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करती हैं। उनका यही आत्मविश्वास बदलते हुए समाज की आत्मनिर्भर नारी का नया चेहरा बन जाता है। शायद इस लेख को पढ़ने वाली महिलाएं भी उसी आत्मविश्वास कि अनुभूति करेंगी।