सेक्सुअल शेम हमारे समाज में इतने गहरे से धंसी हुई है कि डॉक्टर, इंजीनियर और उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी इस पर बात नहीं करते। कितने ही जोड़े सेक्सुअल शेम के कारण घुटन भरी जिंदगी जीते रहते हैं। तो सोचिए क्या होगा जब कोई लड़की सेक्सोलॉजिस्ट बनने का फैसला करें। डॉक्टर्स डे (National Doctor Day) के अवसर पर हमने बात की भारत की पहली महिला सेक्सोलॉजिस्ट (Woman Sexologist) डॉ. शर्मिला मजूमदार से। जिन्होंने किसी की भी परवाह किए बगैर सेक्सुअल हेल्थ (Sexual Health) के लिए काम करना शुरू किया।
तेलंगाना राज्य में पली-बढ़ी और हैदराबाद शहर की रहने वाली डॉ. शर्मिला मजूमदार, ने कभी नहीं सोचा था कि वे एक सेक्सोलॉजिस्ट बनेंगी। हमारा सामाजिक ताना-बाना ही ऐसा है कि यहां लड़कियों के रोल मॉडल भी परिवार ही तय करता है।
बेहद शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखने वाली डॉ. शर्मिला बचपन से ही एक होनहार विद्यार्थी रहीं थी। उनके दादाजी चीफ जस्टिस (कलकत्ता हाई कोर्ट) और पिता इंजिनियर हैं। दादा जी की यही इच्छा थी कि वो भी एक जज बने, परंतु डॉ. शर्मिला की इस क्षेत्र में कोई रूचि नहीं थी। इसलिए उन्होंने विज्ञान विषय से पढ़ाई की।
जिस समय सब कार्डियोलॉजिस्ट या जनरल फिजीशियन बनने की सोच रहे थे, उन्होंने अपना स्पेशलाइजेशन ‘सेक्सुअल साइकाइट्री’ (Sexual Psychiatry) में करने की सोची।
पढ़ने में तो वे होशियार थी ही, उन्होंने अपनी फैकल्टी में टॉप करने के साथ – साथ पूरे (Kuvempu Vishwavidyanilaya, Shimoga, Karnataka) विश्वविद्यालय में टॉप किया था। साथ ही, माउंट सिनाई, न्यूयॉर्क में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन (Icahn School of Medicine at Mount Sinai) से अपनी फ़ेलोशिप पूरी की।
वे कहती हैं कि “उस समय मुझे यही सही लगा और यही समय की मांग थी। हर क्षेत्र के बारे में सभी इतने जागरूक हैं, मगर हम डॉक्टर्स के बीच भी सेक्सुअल हेल्थ को लेकर कभी कोई बात नहीं होती थी। किसी को भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं था, लेकिन मुझे पता था कि भारत को सेक्सोलॉजिस्ट की ज़रुरत है।”
सेक्सुअल शेम के बारे में बात करते हुए डॉ. शर्मिला बताती हैं कि – “ जब मैंने ‘सेक्सुअल साइकाइट्री’ में अपना स्पेशलाइजेशन करने का फैसला किया, तो मेरे करीबी लोगों ने भी मुझसे बात करना छोड़ दिया। यहां तक कि मेरी सहेलियों नें भी। मगर माता-पिता और टीचर्स का साथ और आशीर्वाद हमेशा बना रहा।”
“आज भी मेरे पास कई लोग अपनी परेशानी लेकर आते हैं और कहते हैं कि हम 6 महीने से सिर्फ यही सोच रहे थे कि कैसे किसी डॉक्टर को दिखाएं।”
डॉ. शर्मिला का मानना है कि सेक्सुअल हेल्थ संबंधी समस्याएं किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही हैं और इनका इलाज कराने के लिए झिझकना नहीं चाहिए।”
सेक्सुअल हेल्थ का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कोविड – 19 के दौरान बहुत से जोड़ों को आपसी अलगाव का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान बढ़ते हुए स्क्रीन टाइम और फोन के इस्तेमाल की वजह से जोड़ों के बीच इंटिमेसी न के बराबर हो गयी है, जिसकी वजह से रिश्तों में तनाव बढ़ा है।
डॉ. शर्मिला विश्व के 7 बड़े सेक्सोलॉजिस्ट के साथ मिलकर इसी सेक्सुअल शेम को खत्म करने के लिए काम कर रहीं हैं। उनके समूह का नाम है वीवॉक्स (The VVox) यानी वात्सायन वॉक्स। जिसका उद्देश्य है भारत की सेक्सुअल हेल्थ को पटरी पर लाना, सेक्सुअल पॉजिटिविटी को बढ़ावा देना और जागरूकता फैलाना, जो ऋषि वात्सायन के दौर में हुआ करती थी।
वे स्पष्ट करती हैं, “सेक्सुअल हेल्थ पुरातन काल से ही हिन्दू सभ्यता और भारत के दर्शनशास्त्र का हिस्सा रही है। मगर विभिन्न कारणों की वजह से इसने लोगों के बीच अपना महत्व खो दिया है। सेक्सुअल हेल्थ के बारे में यही सभ्यता वापस लाने का प्रयास है – वीवॉक्स।’’
हाल ही में ऐसा सुनने को मिल रहा है कि कोविड – 19 से पीड़ित हुए लोगों में, इनफर्टिलिटी ज्यादा बढ़ रही है। डॉ. शर्मिला कहती हैं, “जिस तरह से कोरोना हर अंग को प्रभावित करता है, उसी तरह हमारी सेक्सुअल लाइफ को भी कर सकता है। अगर हम शारीरिक रूप से मज़बूत रहेंगे और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएंगे, तो हम इस पर भी विजय पा सकते हैं।
हमें दोबारा से शारीरिक व्यायाम, स्वस्थ खानपान को अपनाना होगा और स्मोकिंग और जंक फ़ूड से दूर रहना होगा। यह बात स्त्री और पुरुष दोनों पर लागू होती है।’’
फिजिकल, मेंटल और सेक्सुअल हेल्थ ये तीनों हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं और एक तरह से फंडामेंटल राईट भी! हम सभी को हक है एक अच्छी सेक्सुअल, मेंटल और फिजिकल हेल्थ का, क्योंकि अगर इनमें से एक चीज़ भी सही नहीं है, तो इसका मतलब हमारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। सेक्सुअल हेल्थ भी उतनी ही ज़रूरी है, जितनी मेंटल और फिजिकल हेल्थ।
अभी भी देर नहीं हुई है अगर आपको लगता है कि आपकी सेक्सुअल हेल्थ ठीक नहीं है, तो मदद मांगने में शर्माएं नहीं। फिर चाहें वे चिकित्सीय सलाह ही क्यों न हो। जल्द से जल्द आपका रोग मुक्त होना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि देर करने से किसी भी स्वास्थ्य समस्या की गंभीरता बढ़ सकती है।
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