मिलिए एक ऐसी कोरोना विजेता से, जिसने सूझबूझ से किया कोविड-19 का मुकाबला

कोविड-19 के खिलाफ आपका हौसला, हिम्मत, इम्यूनिटी, दोस्तों के अलावा एक कोई बेहद क़रीबी जिसके लिए आप कभी अस्पृश्य नहीं हो सकते, ही आपका सम्पूर्ण अस्त्रागार है। इन्‍हें सहेजिए।
कोरोना विजेता, सुजाता। चित्र: सुजाता

सुजाता लेखिका हैं, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के एक कॉलेज में पढ़ाती हैं और स्‍त्री अधिकारों के लिए पितृसत्‍ता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती हैं। पर इस बार उनका मुकाबला हुआ एक ऐसे दुश्‍मन से जिसे देख पाना भी संभव नहीं था। जी हां, यह अदृश्‍य दुश्‍मन था कोविड-19 कोरोना वायरस। सुजाता ने बहुत समझदारी से इस हमलावर पर विजय पाई। आइए जानते हैं क्‍या रहीं उनकी रणनीति, उन्‍हीं की जुबानी।

कोविड-19 से मेरी मुठभेड़

नमस्‍कार, मेरा नाम सुजाता है। अभी हाल ही में कोरोना वायरस से बाहर आ पाई हूं।

पता था यह कभी भी किसी के भी पास आ सकता है। लेकिन कोरोना से युद्ध ऐसा है कि न आप शत्रु की क्षमता से पूरी तरह परिचित होते हो न अपनी लड़ने की क्षमता से। आप नज़र नदी के पार टिकाए हो सुसज्ज होकर युद्ध के लिए, लेकिन पहाड़ी के दूसरी तरफ़ से आपको शत्रु सेना की कुछ मुण्डियां दिखाई देती हैं। हिसाब नहीं लगता कि कितने पैदल हैं, कितने घुड़सवार, कितने तोप के गोले और बारूद हैंं। अपने अस्त्र-शस्त्र का तो एकदम अंदाज़ा नहीं होता। जो होता है बस हौसला होता है।

सुजाता ने हिम्‍मत और सूझबूझ से इस खतरनाक वायरस का मुकाबला किया। चित्र: सुजाता

लगा कि हल्‍का बुखार हुआ है

तो शुरुआत में मुझे हल्का बुखार हुआ। 100 से नीचे ही रहा तीन-चार दिन और सर में दर्द। लगा सब ठीक हो जाएगा वायरल ही है। ठीक हुआ बुखार, लेकिन एक न जाने वाला जुक़ाम और लगातार का सर दर्द जो चैन नहीं लेने दे रहा था। लगा कि पहले से माइग्रेन है ही मुझे, शायद उसी का असर है। फिर लगा काम करते हुए पसीना बहता है और एयरकंडीशनर में आ जाते हैं। यह सर्द गर्म हुआ है।

जुक़ाम से सर एकदम जकड़ा हुआ था। गरारे और भाप ले रही थी लेकिन सब बेअसर। गरारे करते हुए अब तक लगता है भीतर कोई और बैठा है जो गरारे के गर्म पानी को ज़ोर से बाहर धक्का देता है और मैं खांसने लगती हूं। बुखार के पहले दिन से एक क़रीबी मित्र की सलाह से विटामिन सी (Vitamin C) और डी (Vitamin D) लेना शुरू कर चुकी थी।

गंध और स्‍वाद जाता रहा

जुक़ाम के सबसे बुरे दिन के अगले दिन मुझे कोई भी गन्ध आनी बन्द हो गई। स्वाद जा ही चुका था पहले। यह अलार्मिंग स्थिति थी। अब टेस्ट कराना जरूरी लग रहा था। एक डोज़ एंटीबायोटिक की ले चुकी थी, एक डॉक्टर मित्र की सलाह पर। नेट सर्च किया कि एंटीबायोटिक से भी स्वाद और गन्ध जा सकते हैं और ज़ुकाम से भी। एकाध और डॉक्टर मित्रों से भी बात की। किसी ने कहा अभी टेस्ट ज़रूरी नहीं, किसी ने कहा कराना चाहिए।

स्‍वाद नहीं था तो भूख कम ही लग रही थी। ट्विटर और बाक़ी सब ख़बरें पढ़कर दिमाग़ ख़राब हो चुका था। व्‍यवस्‍था की बदइन्तज़ामी और कोरोना का हाहाकार सब लगातार सुन रही थी। घबरा कर बरखा दत्त को ट्विटर पर अनफॉलो भी कर दिया। न देखूंगी न घबराऊंगी।

इस समय खुद को पॉजीटिव रखना बहुत जरूरी था। चित्र: सुजाता

अगले दिन शाम को मेरा सर फट रहा था सोचा बुखार नापा जाए101.2° f बुखार था। अपने मित्र अशोक को फोन किया और आपात स्थिति जैसी तुरंत कार्यवाही की उसने। इधर फोन उधर फोन। ऐसा नहीं था कि कोविड पॉज़िटिव निकलने पर कोई अनोखा इलाज शुरू होना था। वही सब करना था जो पहले से चल रहा था। लेकिन पता होना ज़रूरी था ताकि कभी भी स्थिति बिगड़ने पर टेस्ट करवाने से शुरुआत न हो। अगले दिन जांच करवाई गई। दो दिन बाद नतीजा पॉजिटिव आया।

न हो ऑक्‍सीजन लेवल की कमी

अब तक ऑक्सीमीटर ले चुकी थी। डॉक्टर ने बताया था कि बाक़ी सब नियंत्रण में है बस ऑक्सीजन लेवल की कमी का तुरन्त पता लगने चाहिए। इसका पता न लगना, घातक बस यही है। तो SpO 2 का लेवल 94 के नीचे नहीं जाए यही पहली चिंता हो गई। बुखार वगैरह सब देख लिया जाता।

क़िस्मत से देह अपना युद्ध लड़ रही थी पूरी ताक़त से और दवा के नाम पर मैंने अब तक कुछ नहीं लिया था। जूस, दूध, ग्लूकॉन डी यानी ख़ूब लिक्विड और विटामिन सी, डी बस। बुखार के तीसरे दिन अचानक डेटॉल की हल्की खुशबू नाक में आई। स्वाद भी लौट आया शाम तक। अशोक लगातार साथ रहे और मैं धीरे-धीरे अपनी चिंता से मुक्त होने लगी।

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कोरोना वायरस से मुकाबला करते हुए बच्‍चों को खुद से दूर रखना जरूरी था। चित्र: सुजाता

कोरोना वायरस के लक्षण

मेरे हिसाब से आज 12वां दिन है, सरकार के हिसाब से 6ठा। हल्की खांसी और जुकाम को छोड़कर बाक़ी लक्षण जा चुके हैं। आज से भूख लगना भी ठीक से शुरू हुई है। अजीब बस यही था कि मैं कोविड (Covid-19) नहीं है वाली मनःस्थिति में रहकर जूझने की कोशिश कर रही थी और एक- एक करके कोविड (Corona virus) के लक्षण प्रकट हो रहे थे। हिम्मत न चाहते हुए भी धीरे-धीरे हर लक्षण पर टूटती थी।

आज बेहतर महसूस कर रही हूंं और थोड़ा एकाग्र कर पा रही हूं पढ़ते हुए मन को लेकिन पिछले दिनों से कन्सन्ट्रेशन एकदम नहीं बन रही थी। न पढ़ पा रही थी न कुछ समझ आ रहा था। स्वाद और गन्ध जाने वाला कोविड कम घातक होने के चांस हैं यह भी एक डॉक्टर की बातों में पता लगा। लेकिन कुछ भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

ख़ैर, अच्छा यह था कि बच्चे इन लक्षणों से सुरक्षित थे। उन्हें मैंने गन्ध जाने के दिन से ही दूर किया। यह सब न पूछिएगा कि सब कैसे मैनेज कर रही हैं। एकाध क़रीबी को छोड़कर कोरोना में कोई मदद कर भी नहीं सकता। डिस्टेंस ज़रूरी है।

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हम शायद कम्यूूनिटी स्प्रेड (Community spread) के फेज़ में हैं। किसे कहां कब मुठभेड़ करनी होगी कोविड-19 से कोई नहीं कह सकता। लापरवाही अपनी ओर से न कीजिए। बुखार, ज़ुकाम को हल्के में न लीजिए। पैनिक भी न कीजिए। थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, पैरासिटामोल पास रखिए।

आपका हौसला, हिम्मत, इम्यूनिटी, दोस्तों के अलावा एक कोई बेहद क़रीबी जिसके लिए आप कभी अस्पृश्य नहीं हो सकते, ही आपका सम्पूर्ण अस्त्रागार है। इसे सहेजिए।

(सुजाता की कामयाबी की यह कहानी हमने उनके सोशल मीडिया अकाउंट से उनकी अनुमति से ली है।)

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ये बेमिसाल और प्रेरक कहानियां हमारी रीडर्स की हैं, जिन्‍हें वे स्‍वयं अपने जैसी अन्‍य रीडर्स के साथ शेयर कर रहीं हैं। अपनी हिम्‍मत के साथ यूं  ही आगे बढ़तीं रहें  और दूसरों के लिए मिसाल बनें। शुभकामनाएं! ...और पढ़ें

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