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सुंदरता के लिए कोई नाप-तौल नहीं होता, कहती हैं बॉडी पॉजीटिविटी इंफ्लुएंसर तन्वी गीता रविशंकर

ओवर वेट लोगों को इस समाज में जिस तरह से बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ता है, वह फिगर को लेकर सोसायटी के ऑबसेशन को बयां करता है। जबकि बिकनी में बेशर्म रंग पर डांस करने वाली तन्वी गीता ने साबित कर दिया है कि सुंदरता और प्रतिभा की कोई नाप तौल नहीं होती।
Updated On: 8 Feb 2023, 11:46 am IST
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जानिए कहानी बॉडी पॉजिटिविटी इंफ्लुएंसर तन्वी गीता रविशंकर की।

ओवर वेट होना हमारे समाज में इतना बड़ा अपराध बना दिया गया है कि जो लोग थोड़े भी मोटे हो जाते हैं, वे अपने आप को दूसरों से कमतर समझने लगते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी शख्सियत की कहानी जो न ओवरवेट होते हुए भी अपने शरीर से प्यार करती हैं और इसका खुलकर प्रदर्शन भी करती हैं। चलिए मिलते हैं नीले रंग की बिकनी में बेशर्म रंग गाने के साथ सोशल मीडिया पर धमाल मचाने वाली बॉडी पॉजिटिविटी इंफ्लुएंसर तन्वी गीता रविशंकर (Tanvi Geetha Ravishankar) से।

लोग करते थे बॉडी शेमिंग

तन्वी ने अपने लाइफ के एक्सपीरियंस साझा करते हुए बताया कि उन्हे हर समय अपनी बॉडी को लेकर सुनना पड़ता था कई बार लोग उन्हे मोटी कहकर भी बुलाया जाता था लेकिन उन्हें इस चीज का कभी बुरा नहीं लगा, क्योंकि वह अपनी बॉडी को लेकर हमेशा से कॉन्फिडेंस रही है। तन्वी ने बताया की मोटे होने के बावजूद वह वो सारे काम करती थी उतने ही कॉन्फिडेंस से जितना कि दूसरे बच्चे करते थे। इसलिए उन्हें इस बात से कभी फर्क नहीं पड़ा कि कोई उन्हें मोटी कहता है।

तन्वी अपनी बॉडी को लेकर हमेशा से कॉन्फिडेंस रही है।

2016 में लिया लेक्मे फैशन वीक में हिस्सा

तन्वी ने बताया की 2016 के बाद से बॉडी पॉजिटिविटी की दुनिया मे सक्रिय रूप से सामने आई जब वह लैक्मे फैशन वीक में हिस्सा लेने के लिए पहुंची। वहां तन्वी ने देखा कि बहुत सारी प्लस साइज की मॉडल वहां पहुंची हैं, जिन्होंने अपनी लाइफ में बहुत सारा स्ट्रगल किया है। तन्वी ने बताया कि उन लोगों की कहानी सुनकर तन्वी को लगा कि उनकी सोच दूसरों से अलग है। जिसके बाद उन्होंने बॉडी पॉजिटिविटी पर खुलकर काम करना शुरू कर दिया। यहां से शुरुआत हुई बॉडी पॉजीटिविटी इंफ्लुएंसर तन्वी गीता रविशंकर की।

बॉडी पॉजिटिविटी की शुरुआत अश्वेत मोटे लोगो से हुई थी। जिसके बाद इसे ओवर वेट लोगों को रिप्रेजेंट करने वाला कहा गया। तन्वी ने बताती हैं, “बॉडी पॉजिटिविटी एक आंदाेन है उन सभी लोगों के लिए है, जो किसी भी तरह की बॉडी शेमिंग का सामना करते हैं। फिर चाहें वे ओवरवेट हों या अंडर वेट।

जितनी भी जीरो साइज मॉडल हैं, वे अंडर वेट ही हैं और लोग उनकी तरह बनना चाहते हैं। जो लोग ओवर वेट हैं उनको हमेशा अनफिट समझा जाता है। उन्हें कई तरह की जॉब में मौका नहीं मिलता है, उन्हें बदसूरत कहा जाता है। तो ओवर वेट लोगों को कही न कहीं भेदभाव या फिर बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ता है।

मोटे होने का मतलब अनहेल्दी होना नहीं है

तन्वी बताती है कि सोसाइटी मोटो लोगों को हमेशा अनहेल्दी और अनफिट ही मानते हैं। इसलिए जो लोग थोड़े से मोटे होने लगते हैं वो लोग डिमोटिवेट हो जाते हैं। तन्वी ने बताया कि ओवरवेट होने के बावजूद वे पूरी तरह फिट हैं। हर बार जब भी वे बॉडी चेकअप करवाती हैं, तो उनकी रिपोर्ट बिल्कुल फिट होती है।

इससे लोगों को ये तो समझ जाना चाहिए कि मोटे होने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप अनहेल्दी या अनफिट हैं। अगर आप रोज एक्सरसाइज करते हैं, तो ये सोचकर न करें कि आपको पतला होना है। बल्कि ये सोचकर करें कि आपको फिट रहना है। अगर आप सोचेंगे कि मोटे होने बुरा है और पतले होने की कोशिश करेंगे, तो सामने वाले लोग भी आपके बारे में वही सोचेंगे।

मूवीज में भी होती है बॉडी शेमिंग

बिकनी में बेशर्म रंग गाने पर डांस करने के पीछे का कारण तन्वी ने बताया कि वो लोगो को ये बताना चाहती हैं कि जो लोग ओवर वेट हैं, वे भी मेन कैरेक्टर की तरह दिख सकते हैं। डांस कर सकते हैं, वैसे ही एटीट्यूड रख सकते हैं। तन्वी ने बताया कि उनको बचपन से ही इस तरह के बॉलीवुड गानों को कॉपी करना पसंद है।

तन्वी के अनुसार जब भी कोई फिल्म बनाई जाती है, तो उसमें मोटे इंसान को कभी मेन कैरेक्टर के रूप में नहीं दिखाया जाता। वो कोई बैक ग्राउंड में होगा या वीलेन होगा या कोई दोस्त होगा या कोई गुस्सैल सी आंटी होंगी।

लड़कियां क्यों लेती हैं वजन पर अप्रूवल

खासकर लड़कियों के लिए वजन बढ़ना बहुत मुश्किल होता है। उन्हें समाज में इस चीज को लेकर काफी सुनना पड़ता है। तन्वी इस पर कहती हैं कि लड़कियों को अपनी छोटी-छोटी चीजों के बारे में कभी किसी से अप्रूवल लेने की जरूरत नहीं है। उन्हें खुद इतना कॉन्फिडेंट होना पड़ेगा कि वो अपनी चीजों के बारे में दूसरों से कुछ भी न पूछें। आपको पहले यह समझने की जरूरत है कि आप जैसे हो, ठीक हो आपको किसी के बोलने पर खुद को बदलने की जरूरत नहीं है।

टैलेंट वजन और नाप की मोहताज नहीं

आखिर मे तन्वी कहती है कि मोटा या पतले होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप अपने आप पर काम करो, अपनी नॉलेज बढ़ाने पर, हेल्थ पर, अपने आप को एडवांस बनाने पर। दुनिया को जो बोलना है, वे बाेलेंगे ही। पर सोच बदलना अपने आप से ही शुरू करना पड़ेगा। आपको अपने शरीर से ज्यादा अपने आपको ज्ञान से, स्वभाव से सुंदर बनाना होगा तभी ये सोच खत्म हो सकती है।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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