खुद के व्यक्तित्व को संवारने के लिए तो हर कोई संघर्ष करता है। मगर बात जब बेजुबानों की परेशानियों को महसूस करने की आती है, तो कुछ ही लोग ऐसे हैं, जो आगे बढ़कर उनकी मदद करते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं मानवी राय। जिन्होंने नन्हीं उम्र से ही जानवरों की परेशानियों को न केवल करीब से महसूस किया, बल्कि उनका सहारा बनने का संकल्प भी लिया। बतौर इमेज कंसल्टेंट काम कर रही मानवी राय (Manavi rai) अब स्ट्रीट डॉग्स शैल्टर (Street dog shelter) चलाती हैं। साथ ही वे घायल पशुओं के उपचार में भी मदद करती हैं। मानवी इस वक्त नौ गांवों के स्ट्रीट डॉग्स का ख्याल रख रही हैं। आइए पढ़ते हैं एक इमेज कसंल्टेंट के डॉग और एनिमल एक्टिविस्ट बनने (Manavi Rai inspirational story) तक के सफर की कहानी।
लॉकडाउन के दौरान समाज सेवी कार्यों (Social work) से जुड़ी मानवी दिल्ली में ही पली बढ़ी है। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद मानवी ने दिल्ली के वेंकटेश्वर कॉलेज से सोशियॉलोजी में ग्रेजुएशन की। उनका पहले फैशन की ओर रुझान था। जिसके लिए उन्होंने नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नॉलोजी से फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स किया। इस फील्ड में उन्होंने नामी डिज़ाइनर्स के साथ काम किया और खूब शोहरत बटोरी। मानवी बताती हैं कि उन्होंने निफ्ट (NIFT) में स्टूडेंट्स को दो साल तक इमेज कंसल्टिंग की क्लासेज़ भी दीं। कनाडियन सिटीजनशिप होने के चलते मानवी अक्सर काम के सिलसिले में कनाडा जाती रहती हैं।
जानवरों की समस्याओं और ज़रूरतों को समझने वाली मानवी बताती हैं कि पहले लॉकडाउन के वक्त उन्होंने डाॅग्स को फीड करवाना शुरू किया। उसी दौरान उन्होंने खाना खिलाने के साथ ही कुछ ब्लाइंड, चोटिल और कुछ बुजुर्ग डॉग्स का ख्याल रखना भी शुरू किया। मानवी कहती हैं कि उन्होंने दिल्ली के छतरपुर इलाके में मौजूद भाटी गांव में एक एनजीओ (NGO) की शुरूआत की। उस एनजीओ का नाम उद्गम चैरीटेबल ट्रस्ट एंड लंगर रखा गया। इस संस्था का मकसद जानवरों को भोजन करवाने के अलावा घायल और बीमारी का शिकार जानवरों का इलाज करवाना है।
मानवी बताती हैं, “शुरूआत में हमें इस काम में कई मुश्किलात का सामना करना पड़ा। उस समय यहां कोई मेडिकल हेल्प उपलब्ध नहीं थी। 70 कुत्तों के अलावा पूरे गांव के डॉग्स को फीड करवाना एक जटिल काम था। यहां कुत्तों के अलावा घायल मोर, बंदर, नीलगाय और लक्कडबग्घा का भी इलाज किया गया। ठीक हुए जानवरों को कनाडा में अडॉप्शन के लिए भेजने की पहल हमने की।”
एनजीओ की ओर से प्रतिदिन 150 डॉग्स को फीड करवाया जाता है। इसके अलावा उन्हें रेबीज़ की वैक्सीनेशन भी दी जाती है। जानवरों का ख्याल रखने के लिए संस्था की ओर से आठ लोगों को कार्यरत किया गया हैं।
इसके अलावा महिलाओं को इंडिपेंडेंट बनाने की दिशा में भी ये संस्था लगातार प्रयासरत है। इसके तहत महिलाओं के लिए पैकेजिंग और सिलाई कढ़ाई समेत कई कार्यों को शुरू किया जा रहा है। इससे महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर पूरी तरह से सक्षम हो पाएंगी। इससे वे परिवार का पालन पोषण करने में मददगार साबित हो पाएंगी। मानवी को हमेशा अपने इस नेक काम में अपने माता पिता का पूरा साथ मिला।
वाइल्ड लाइफ हंटिंग से जुड़े मुद्दों पर हमने अदालत का भी दरवाज़ा खटखटाया है। फिर चाहे वो पैरालाइज्ड डॉग का मामला हो या फिर रेप केस विक्टिम हो। डॉग्स की देखरेख के अलावा मानवी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट से भी कॉटेक्ट में बनी रहती हैं। दरअसल, जानवरों को यहां खाने के साथ फर्स्ट एड की सुविधा भी दी जाती है।
एक बार ठीक होने के बाद जानवरों को दोबारा से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट को लौटा दिया जाता है। मानवी का कहना है कि जो डॉग्स ब्लाइंड और हैंडीकैप हैं, उनकी देखरेख के लिए उन्हें भारत से बाहर भी भेजा जाता है।
एक इंटरप्रेन्योर होने के साथ साथ मानवी ने बतौर समाज सेविका अपनी एक मज़बूत छवि तैयार की है। दरअसल, बदहाली की जिंदगी गुज़ार रहे डॉग्स की सेहत से लेकर उनके खान पान तक हर चीज़ का ख्याल रखने वाली मानवी को अपने कामों के लिए हर ओर से सराहना मिलती है। पूर्व क्रिकेटर कपिल देव समेत कई ऐसी जानीमानी हस्तियां है, जो मानवी को प्रोत्साहित करती हैं।
इसके अलावा उनके कार्यो को लोगों तक पहुंचाने के लिए रशियन चैनल आरटी की ओर से एक विशेष डॉक्यूमेंटरी भी बनाई गई है। जिसमें मानवी के प्रयासों की झलक देखने को मिलती है।
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कस्टमाइज़ करेंबतौर एनिमल एक्टीविस्ट जानवरों को महफूज़ रखने के लिए भी मानवी ने प्रयास जारी है। फिर चाहे वाइल्ड लाइफ हंटिंग हो या डॉग रेप केस। हर जगह मानवी ने पुलिस की मदद से जानवरों को प्रोटेक्ट किया है। मानवी एनजीओ चलाने के साथ जानवरों के कई कार्य करती है। मानवी डॉग्स के अलावा बंदर, नीलगाय और मोर जैसे जानवरों के घायल होने पर उन्हें भी फर्स्ट एड देती हैं। उसके बाद उन्हें वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट को सौंप दिया जाता है।
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