स्मिता बंसल टेलीविजन और बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं। ज़ी टीवी की “अमानत”, “आशीर्वाद”, “सरहदें” और सोनी सब पर प्रसारित “अलादीन” में उनकी चर्चित भूमिका रही है। वर्ष 2008 में बॉलीवुड फिल्म कार्ज में भी उन्होंने एक्टिंग की। टेली सीरियल “बालिका वधू” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का इंडियन टेली अवार्ड भी वे जीत चुकी हैं। स्मिता बंसल योग और प्राणायाम से खुद को फिजिकल और मेंटल दोनों लेवल पर खुद को फिट रखती हैं। वे मानती हैं कि अपने बच्चों और फैमिली के साथ समय बिताना सबसे मददगार स्ट्रेस बस्टर है। जानते हैं हेल्थशॉट्स के साथ हुई उनकी बातचीत में उनके काम करने के तरीके, फिटनेस मंत्र और स्ट्रगल (smita bansal success story) को… ।
टीवी और सोशल साइट पर लाखों फैन फ़ॉलोविंग हैं टीवी और बॉलीवुड एक्ट्रेस स्मिता बंसल के। स्मिता ने कभी खुद नहीं सोचा था कि वे एक्ट्रेस बनेंगी। वे मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कर रही थीं। बीच में उन्होंने एक साल एंट्रेंस ड्रॉप कर दिया था। इस बीच वे एक रिलेटिव के पास मुंबई आ गईं। उन्हीं के घर के पास एक एक्टिंग लैब था। बातों ही बातों में एक दिन उन्होंने लैब को ज्वाइन कर लिया।
इसके पीछे मकसद था पर्सनेलिटी डेवलपमेंट का। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। स्मिता बताती हैं, ‘कोर्स खत्म होने के साथ ही मुझे पहला शो बालाजी टेलीफिल्म्स का ‘इतिहास’ मिल गया। मैंने इसके लिए ऑडिशन टेस्ट दिया, तो मुझे वह रोल मिल गया। उसके बाद मैंने घरवालों को बताया। पहला रोल मिलने के बाद ही मैंने फैसला लिया कि मैं एक्टिंग को प्रोफेशन के रूप में अपना लूं।’ इस तरह से सफर की शुरुआत हो गई।
इन दिनों स्मिता बंसल जीटीवी पर एक शो कर रही हैं- “भाग्यलक्ष्मी”। यह सोमवार से रविवार तक प्रसारित होता है। स्मिता को काम पाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ा। उन्हें एक-दो ऑडिशन के बाद काम मिल गया। वे बताती हैं, ‘अच्छा काम करते रहने और अच्छे किरदार मिलने के लिए बहुत सारी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। यह सभी एक्टर को करना पड़ता है। सिर्फ एक शो करने से करियर नहीं बनता है। आपको बैक टू बैक अच्छा काम करना पड़ता है। हमेशा अपने-आपको इम्प्रूव करना पड़ता है। तभी कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक काम कर पाता है।’ स्मिता को भी अपने-आपको बनाये रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
स्मिता सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। वे एक इन्फ़्लुएन्सर के तौर पर काम कर रहीं हैं। वे कहती हैं, ‘एक्टिंग मेरा प्रोफेशन है। जहां तक सोशल मीडिया का सवाल है, काफी लोग मुझे एक्टर के रूप में देखते और सुनते हैं। संभवतः मेरी बात का उन पर प्रभाव पड़ता हो। इसलिए मैं अपने आपको सोशल मीडिया पर एक्टिव रखती हूं।
एक्टिंग के अलावा मेरा सबसे पसंदीदा काम है मां की भूमिका। दो बेटियों की मां के रूप में मुझे लगा कि सबसे कठिन काम पेरेंटिंग है। एक वर्किंग मदर के लिए तो बच्चों को अच्छी परवरिश देने में और ज्यादा चुनौतियां आती हैं। इस भूमिका को निभाने की दिक्कतें, धैर्य और अन्य संदेश को दूसरी मांओं तक पहुंचाने के लिए मैंने एप का सहारा लिया।’
स्मिता बंसल दो बेटियों स्ताशा और अनघा की मां हैं। उन्हें लगता है कि सबसे अधिक कठिन पेरेंटिंग है, खासकर वर्किंग वीमेन के लिए। एक स्ट्रांग मदर और पर्सन के रूप में उनकी पर्सनेलिटी में काफी चेंजेज आये।अपनी दो बेटियों को पालने में जितना कुछ उन्होंने सीखा, वह दूसरों तक शेयर कर चाहती थीं। काम के साथ-साथ बच्चों को अच्छी परवरिश देना भी जरूरी है। इसलिए सब कुछ मैनेज करना आसान नहीं रह जाता है। वे कहती हैं, ‘अपनी एक्सपीरिएंस से दूसरों को सिखाना और बताना चाहती थी। इसलिए सोशल साइट प्लेटफार्म से जुड़ गई। मैं डिअर मॉम्स ऑफ़ टीन्स कम्युनिटी के साथ जुड़कर काम करती हूं।’
स्मिता के लिए फिटनेस का मतलब एनर्जी से भरपूर होना है। शरीर के अंदर बहुत ज्यादा लेथार्जी नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया, ‘आप कोई भी काम स्फूर्ति के साथ कर लेती हैं, तो इसका मतलब है कि आप फिट हैं। इसके लिए जिम जाना बहुत जरूरी नहीं है। मैं अपने आपको बहुत एक्टिव रखती हूं। मेरी लाइफस्टाइल एक्टिव है। मैं वाक्स के लिए जाती हूं। जितना हो सके, प्राणायाम करती हूं। घर का खाना और हेल्दी खाती हूं। मैं शूट पर भी घर का खाना लेकर जाती हूं। महीने में एकाध बार या ट्रेवल करते समय बाहर खाना खाती हूं। मैं पानी खूब पीती हूं। इस तरह मैं खुद को फिट रखती हूं।’
हमेशा ब्रीदिंग सही होनी चाहिए। प्राणायाम बेहद जरूरी है। स्मिता को सालों से माइग्रेन की प्रॉब्लम रही है। उन्होंने अनुलोम-विलोम को इसे कंट्रोल करने का जरिया बनाया। स्मिता बताती हैं, ‘प्राणायाम के साथ अच्छी बात है कि इसे कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। इससे खुद को क्योर किया जा सकता है। मैं कोई भी योगासन या प्राणायाम वेट लॉस के हिसाब से नहीं करती हूं। वास्तव में सूर्य नमस्कार ओवर आल फिटनेस में मददगार है।
तनाव जिंदगी का हिस्सा होता है। सभी को काम का तनाव, घर और बच्चों का टेंशन रहता ही है। स्मिता खुद को तनावमुक्त करने के लिए बच्चों के साथ समय बिताती हैं। स्मिता कहती हैं, ‘मैं अपनी बेटियों के साथ टाइम स्पेंड करती हूं। स्क्रीन टाइम नहीं, बल्कि उनके साथ बातें करते हुए समय बिताती हूं। एक-दूसरे को कहानियां सुनाती हूं।’ स्मिता और उनकी दोनों बेटियों को किताबें पढने का बहुत शौक है।
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कस्टमाइज़ करेंकिताबों के अलावा मयूजिक उनका कॉमन इंटरेस्ट है। अलग-अलग जेनरेशन के होने के बावजूद गाने की चॉइस लगभग एक जैसी है। स्मिता का सबसे बड़ा स्ट्रेस बस्टर है बेटियों के साथ मयूजिक सुनना और कहानियां पढ़ना और सुनाना।
मेंटल हेल्थ को स्ट्रांग रखने के लिए वे विशेष कुछ नहीं करती हैं। उनकी लाइफ में भी फेजेज आए, जब उन्हें लो फील हुआ। एनर्जी लो हो गयी। स्मिता बताती हैं, ऐसे वक्त में अपने आपको व्यस्त रखने की कोशिश करती हूं। अपने दिमाग को डायवर्ट करने की कोशिश करती हूं। किसी भी समस्या को हल करने के लिए योग और प्राणायाम का सहारा लेती हूं।’
‘खाने में मैं वेजिटेरियन हूं। घर का खाना खाती हूं। दाल-चावल, रोटी-सब्जी मुझे पसंद है और मैं वही लेती भी हूं। ऑफ़कोर्स चाट और पानी पुरी मुझे बहुत पसंद है। यदि मुझे कोई पसंदीदा भोजन के बारे में मुझे पूछे, तो पानी पुरी ही कहूंगी।’
स्मिता के अनुभव बताते हैं कि महिलाओं को वर्किंग मॉम का गिल्ट कभी पीछा नहीं छोड़ सकता है। यह वर्किंग मदर के जीवन का हिस्सा है। वे इस स्थिति के साथ जीना सीख जाती हैं। उनकी मां वर्किंग नहीं थीं। उन्होंने जितना समय उन्हें और उनके भाई को दिया, उतना समय स्मिता कभी अपने बच्चों को नहीं दे पाई।
इसके बावजूद उन्होंने अपने वर्क लाइफ और फैमिली लाइफ को बहुत अच्छी तरह बैलेंस किया है। जिस दिन वे मां बनीं, उन्होंने उसी दिन आगे काम करने का निर्णय भी ले लिया था। वे कहती हैं, ‘मैं हाउस वाइफ नहीं बनना चाहती थी, लेकिन प्राथमिकता हमेशा बच्चों को देना चाहती थी। मैंने हमेशा वैसा ही किया। त्योहारों, होलिडे को अपने बच्चों के साथ बिताती हूं। अगर 3-4 दिन लगातार काम करती हूं, तो 1-2 दिन घर पर स्पेंड करती हूं। घर पर होने पर सिर्फ उनके साथ टाइम स्पेंड करती हूं। बिजी शेडयूल के बावजूद बच्चों की पेरेंट टीचर मीटिंग और फंक्शन मैं जरूर अटेंड करती हूं।
वर्किंग वीमेन के लिए फैमिली सपोर्ट बहुत जरूरी है। उन्हें हमेशा परिवार से बहुत अधिक सपोर्ट मिला। पति के साथ-साथ सास-ससुर का भी उन्हें हमेशा सहयोग मिला। उनके घर का वातावरण बहुत अच्छा है, जिसकी वजह से वे तनाव मुक्त रहकर काम पर जा पाती हैं। वे कहती हैं, ‘मेरी सास और ननद बहुत सपोर्टिव हैं। ध्यान दें कि बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अच्छा और सपोर्टिव फैमिली एनवायरनमेंट होना बहुत जरूरी है। इसलिए मैं बिंदास होकर काम कर पाई हूं।’
एक्टिंग प्रोफेशन में आने वाले लोगों से स्मिता बंसल कहती हैं, ‘ इस क्षेत्र में तैयारी के साथ आना चाहिए। अपने ऊपर वर्क करके आना चाहिए। यहां बहुत सारे लोग काम कर रहे हैं। यदि आपको अपनी पहचान बनानी है और दूसरों से आगे निकलना है, तो बहुत तैयारी के साथ आयें।’
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