फि‍टनेस सिर्फ वेट लॉस ही नहीं, आत्‍मविश्‍वास भी है : ये है आरुषि ग्रोवर के बदलाव की कहानी

आरुषि ग्रोवर ने रूममेट के कहने पर जिम जॉइन किया था। वजन घटाना सिर्फ आपकी फि‍टनेस ही नहीं बढ़ाता, बल्कि आपको खुद को बेहतर तरीके से एक्‍सप्‍लोर करने में मदद करता है। जानिए आरुषि की ट्रांसफॉर्मेशन स्‍टोरी।
फि‍टनेस आपको खुद से प्‍यार करना सिखा देती है। चित्र: आरुषि ग्रोवर

जनवरी 2017 में साइना नेहवाल ने मलेशिया ओपन में गोल्ड मेडल जीता था, इसरो ने 104 सैटेलाइट का रिकॉर्ड बनाया था और पार्लियामेंट में महिलाओं को छह महीने की मैटरनिटी लीव देने का फैसला हुआ था। जहां दुनिया में इतनी अच्छी घटनाएं घट रही थीं, मैं अंदर से टूटा और खोखला महसूस कर रही थी।

मैं पिछले 6 महीने से अंदर ही अंदर घुट रही थी, जिसका कारण था कॉलेज की लाइफ से कॉरपोरेट की लाइफ में बदलाव। मैं मुम्बई शहर में पहली बार अकेली रह रही थी, एक जिम लवर रूममेट के साथ। मुझे ना वर्कआउट का कोई आईडिया था ना अपने अंदर चल रहे तूफान का, मैंने बस अपनी रूममेट की देखा देखी जिम जाना शुरू कर दिया।

इस छोटे से कदम से मेरी जिंदगी बदल गई

शुरुआत के कई दिन तो मैं रो-रोकर जिम गई। गई भी क्या धकेली गई। आखिर वर्कआउट करना किसे पसन्द है। पहले हफ्ते के बाद ही मैंने नींबू पानी और ओट्स की डाइट शुरू कर दी। चौथे हफ्ते तक आते आते मैंने महसूस किया कि मुझे जो बेचैनी हर वक्त महसूस होती थी, कम हो रही थी।
मैं सुपर सोल सन्डे नामक शो की फैन हूं, तो उसका एक एपिसोड यूट्यूब पर देखते वक्त मैंने सदगुरु के मेडिटेशन कोर्स का ऐड देखा।

इस नए रूटीन में मैंने खुद को फि‍र से पाया। चित्र: आरुषि ग्रोवर

मैंने ऑनलाइन ही ‘ईशा क्रिया’ यानी गाइडेड मेडिटेशन खोजा और मेडिटेशन करने का मन बना लिया। मैं हमेशा से ही मेडिटेशन करना चाहती थी, लेकिन डरती थी कि इतना ध्यान लगाना मेरे बस की बात नहीं। गाइडेड मेडिटेशन की मदद से मैंने नियमित मेडिटेशन शुरु किया। पहली बार मेडिटेशन करने के बाद जैसा महसूस होता है, वह आपको हर दिन मेडिटेशन के लिए प्रेरित करता है।

इस तरह एक महीना बीता। मैं जिम जा रही थी, डाइट फॉलो कर रही थी और मेडिटेशन कर रही थी, जिससे मेरा शरीर, मन और भावनाएं सरलता से जुड़ने लगे। मुझे हल्का महसूस होने लगा और मैं खुश और ऊर्जावान महसूस करने लगी। उस साल जून में मैंने डांस के अपने शौक को फिर से जगाया और बैली डांस क्लास जॉइन कर ली।

अब एक नया रूटीन था

अब मेरी सुबह अदरक वाले नींबू पानी से होती थी, जिसके बाद 20 मिनट मेडिटेशन और ओट्स और चाय नाश्ते में। दोपहर के खाने में रोटी-सब्जी और शाम को पानीपूरी। जिम में हर दिन एक घण्टा एक्सरसाइज करना और रात को सोने से पहले मेडिटेशन और किताब पढ़ना। मुझे खुद से फिर प्यार हो गया था।

उस साल मैंने 6 किलो वजन घटाया, एक साल के हिसाब से यह बहुत नहीं है, लेकिन मैंने छोटी-छोटी जीतों को मनाना सीख लिया था। मुझे खुद को लेकर बहुत सकारात्मक महसूस होता था और मैं पहले से बहुत बेहतर महसूस कर रही थी।

आरुषि ग्रोवर

फरवरी 2018 में मैं वापस अपने माता पिता के साथ शिफ्ट हो गयी। पहले कुछ महीने मुश्किल हुई लेकिन मैं हार मानने वाली नहीं थी। मेरी मां ने मुझे डाइट में मदद की, मैंने घर के पास एक जिम जॉइन कर लिया और वीकेंड पर जैज क्लास जाने लगी।

जो फायदा हुआ वह वजन घटाने से कही ज्‍यादा था

इन पिछले दो साल में मैंने जाना है कि फिटनेस यह नहीं है कि आपका शरीर कैसा दिखता है। फिटनेस का अर्थ है आप कैसा महसूस करते हैं- शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से और भावनात्मक रूप से। जैसे हम शरीर को फिट रखने की कोशिश करते हैं, मन को फिट रखना भी जरूरी है। कोई जादू की छड़ी नहीं होती, आपको धीरे-धीरे आगे बढ़ना पड़ता है। इसके लिए आपके जीवन में सही लोगों का सपोर्ट होना जरूरी है। मेरे साथ मेरे माता पिता, मेरी जिम फ्रीक रूममेट और मेरे भाई-बहन थे।

आज मैं एक कंसल्टेंसी फर्म में लर्निंग स्पेशलिस्ट हूं, पार्ट टाइम पीएचडी कर रही हूं, लेखक हूं, डांसर हूं, फिटनेस लवर हूं और आध्यात्मिक सीकर भी हूं। इस सफर में जो एक बात मैंने सीखी वह है कि बदलाव आपकी मंजिल नहीं है, बदलाव सफर है। और हर सफर चाहे वह कितना भी लम्बा हो, उसकी शुरुआत एक कदम से होती है। बस वह एक कदम उठाने की जरूरत है।

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ये बेमिसाल और प्रेरक कहानियां हमारी रीडर्स की हैं, जिन्‍हें वे स्‍वयं अपने जैसी अन्‍य रीडर्स के साथ शेयर कर रहीं हैं। अपनी हिम्‍मत के साथ यूं  ही आगे बढ़तीं रहें  और दूसरों के लिए मिसाल बनें। शुभकामनाएं! ...और पढ़ें

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