माँ बनना एक अविस्मरणीय अनुभव है ! मेरे जीवन में कोई भी खुशी का क्षण इतना बड़ा नहीं था, जितना अपने बच्चे को अपनी गोद में लेना है। लेकिन उस पल तक पहुंचने वाली यात्रा इतनी आसान नहीं थी – आखिरकार मैं कोविड-19 महामारी के दौरान अपने बच्चे को जन्म दे रही थी।
इस समय के दौरान डिलीवरी के समय मुझे बहुत सावधानी और आवश्यक उपाय करने पड़े। स्वाभाविक रूप से, मैं इसे लेकर बहुत चिंतित थी। गर्भावस्था यूं भी बहुत जटिल समय होता है। उस पर मेरे लिए यह समय और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था। जिसके लिए मुझे अस्पताल में लगातार ऑब्जर्वेशन में रहना पड़ा।
मेरी डॉक्टर बनी मेरी चट्टान
पूरी प्रक्रिया (और बढ़ते तनाव) के दौरान डॉ. भारती कामोजी ही मेरे और मेरे बच्चे के लिए एकमात्र माध्यम थीं। उन्होंने मुझे अपनी सभी शक्तियों को इकट्ठा करने और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया, जिसने मेरे लिए स्मूद डिलीवरी को आसान कर दिया।
यहां तक कि जब वे शारीरिक रूप से मेरे सामने नहीं थीं, तब भी वे नियमित रूप से फोन करती थीं और मुझसे बात करती थीं। वह लिटरेचर और व्हाट्सएप संदेशों की मार्फत मेरे साथ लगातार संपर्क में थी, जिससे मुझे और मेरे परिवार को बहुत सपोर्ट मिला। मुझे नहीं पता कि अगर वे न होतीं, तो मेरा प्रसव का अनुभव कैसा होता।
डॉक्टर और अस्पताल के सपोर्ट से घर आया मेरा बच्चा
एक बच्चे की डिलीवरी सिर्फ शुरूआत है। उसके बाद बच्चे की देखभाल, पोस्ट डिलीवरी अपने शरीर की देखभाल और बाद के कुछ महीनों में आने वाली जटिलताएं और भी कई सारे अनुभव हैं जिन्हें आप अकेले नहीं संभाल सकतीं।
इन सारी जटिलता से बचने में अस्पताल स्टाफ ने मुझे मेडिकल सपोर्ट के साथ सारी जानकारियांय दीं। बच्चे की देखभाल करने के बारे में एक तरह से ट्यूटोरियल प्रदान किया। यह छोटी चीजें हैं जिनका वास्तव में आपको पता नहीं होता। उदाहरण के लिए, जब मैं अस्पताल में थी, तो उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मैं ठीक से पानी पी रही हूं या नहीं।
ईमानदारी से कहूं तो, मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि मेरे घर के पास एक प्रतिष्ठित अस्पताल था। जिसने महामारी के दौरान मेरी बहुत सारी समस्याएं आसान कर दीं। मैं यह सोच कर ही कांप जाती हूं कि अगर उनका साथ न होता तो मेरी प्रेगनेंसी कितनी तनावपूर्ण होती। संभवत: डिलीवरी के वक्त लॉकडाउन के दौरान मेरा यह तनाव पैनिक अटैक में बदल जाता।
हाँ, मेरे पास Google था। जहां बहुत सारी जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध हैं, दूध पाउडर के प्रकार उसका उपयोग करने और बेबी से जुड़ी तमाम जरूरी बातें। लेकिन आप सब चीज के लिए तो ऑनलाइन सामग्री पर भरोसा कैसे कर सकते हैं?
जब तक यह महामारी हमारे जीवन का हिस्सा नहीं थी, तब तक मैं अपनी डॉक्टर से ज्यादा आसानी से और सहजता से मिल पाती थी। भले ही महामारी की दहशत ने हमें बहुत डरा दिया था। पर फिर भी मेरी डॉक्टर मेरे साथ बनी रहीं।
मैं अब भी कोविड-19 की दहशत में हूं
जब मैं अपने बच्चे को घर ला रही थी, तो मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे कि मैं उसे कोविड -19 से कैसे बचा सकती हूं– विशेष रूप से स्तनपान कराने के दौरान। क्या होगा अगर मेरे बच्चे को इसकी वजह से covid-19 हो जाए, है ना? लेकिन डॉ. कामोजी ने मुझे बताया कि घर पर सही स्वच्छता कैसे बनाए रखनी है; बच्चे को फीड करने से पहले हर बार हैंड सेनिटाइज़र का उपयोग करने का सही तरीका क्या है जैसी चीजें।
उनके मार्गदर्शन और परामर्श के साथ, मैं अपने बच्चे को सफलतापूर्वक स्तनपान करने और प्रसव के बाद किसी भी जटिलताओं को दूर करने में सक्षम हूं। इस दुनिया में एक बच्चे को लाना आसान नहीं है, और यह महामारी इसे और भी कठिन बना रही है। लेकिन मैंने इसे मैनेज किया, महामारी की दहशत से लड़ते हुए और खुशी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मेरे पास मेरा एक छोटा सा बंडल आ गया है।
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यह कहानी चेतना जयंत द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिन्होंने हाल ही में अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार, प्रसूति एवं स्त्री विज्ञान के मार्गदर्शन में बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया।
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