सितंबर का महीना वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर अवेयरनेस मंथ (World Ovarian Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। ताकि महिलाएं इस दुर्लभ किस्म के कैंसर (Rare cancer) के प्रति जागरूक हो सकें। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी कैंसर सर्वाइवर (Ovarian cancer survivor) की कहानी जिनका मानना है कि – ”कैंसर से जंग जीतना भले ही मुश्किल हो, मगर अपनी इच्छा शक्ति के बल पर इसे हराया जा सकता है!”
आज ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) दुनिया भर में महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है। शायद इसलिए, क्योंकि ओवेरियन कैंसर के कोई लक्षण या शुरुआती संकेत नहीं होते। कुछ ऐसा ही जम्मू की रहने वाली गीता दीक्षित के साथ हुआ, जब उन्हें पता चला कि वे ओवेरियन कैंसर की थर्ड स्टेज में हैं।
64 वर्षीय गीता जम्मू की रहने वाली हैं और आज हम सभी की तरह एक सकारात्मक और स्वस्थ जीवन जी रही हैं।
गीता बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें कभी भी किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। वे बताती हैं कि 2016 के दौरान अक्सर कुछ लोग उनसे कहा करते थे कि ‘आपका चेहरा बहुत पतला हो गया है’! या ‘आप बेहद कमजोर लग रही हैं’। तब भी उन्हें किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी और न ही उनका वज़न कम हुआ था। इसलिए उनका इस पर ध्यान नहीं गया।
मगर धीरे – धीरे वे कमजोरी (Weakness) महसूस करने लगी और कभी – कभी उनके मुंह से खून भी आता था। इस बात से चिंतित होकर जब उन्होनें डॉक्टर से जांच कराई तब भी कोई ठोस वजह सामने नहीं आई।
बाद में उन्हें दूसरे डॉक्टरों ने अल्ट्रा साउंड और सीटी स्कैन करवाने की सलाह दी और यही वो समय था जब उन्हें पता चला कि उन्हें ओवेरियन कैंसर है, वो भी थर्ड स्टेज का!
इसके साथ उन्हें पता चला कि उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। इसकी वजह से उन्हें अपनी ओवरी (Ovary) और यूट्रस (Uterus) निकलवाना पड़ा। उनकी समस्याओं का यहां अंत यहीं नहीं हुआ और इसी बीच उन्हें पता चला कि उन्हें लिवर में टीबी (Tuberculosis) भी हो गई है।
गीता बताती हैं कि कीमो थेरेपी के साथ – साथ उन्हें एक साल तक टीबी का इलाज करवाना पड़ा। कीमो थेरेपी की वजह से धीरे – धीरे उनके बाल भी झड़ने लगे, जिसमें एक वक़्त ऐसा भी आया कि उनकी आइब्रो और आइलैश के बाल भी पूरी तरह चले गए।
इसके बावजूद उन्होनें अपनी दिनचर्या बनाए रखी, जिसमें टहलना, बाहर जाना, बच्चों के फंक्शन अटेंड करना सभी कुछ शामिल था।
वे बताती हैं, ”आज भी कभी-कभी कीमो थेरेपी की वजह से उनके पैरों में झनझनाहट और कमजोरी महसूस होती है।”
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कस्टमाइज़ करेंवे कहती हैं कि ” मैंने योगा और हेल्दी डाइट (Yoga and Healthy Diet) की मदद से खुद को पहले से मजबूत बनाया है और आज पहले से भी ज़्यादा स्वस्थ जीवन जी रही हूं।”
अगर आपको पता चलता है कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो बिल्कुल घबराएं नहीं। डॉक्टर का कहना मानें और खुद को याद दिलाते रहें कि एक दिन मुझे इस लड़ाई को जीतना है। परिवार के सहयोग, प्रबल इच्छा शक्ति और एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आप कैंसर से जीत सकते हैं।
इसके साथ ही, गीता कहती हैं कि – ”खुद के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना बहुत ज़रूरी है और साल में कम से कम एक बार अपना मेडिकल चेकअप ज़रूर करवाएं।”
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