फाइब्रोमाइल्जिया एक ऐसा रोग है, जिसके लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। एक वर्किंग प्रोफेशनल जया मेहरोत्रा के लिए फाइब्रोमाइल्जिया (Jaya Mehrotra inspirational life story) एक बाधा के रूप में सामने आई। वे जानती थीं कि अपने सपनों को हासिल करने के लिए इस रोग पर विजय पानी होगी। साथ ही दूसरों की मदद करने के लिए उन्हें भी इसके बारे में बताना होगा। एक दशक तक इस क्रोनिक डिजीज से लड़ते हुए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए उन्होंने हेल्थ शॉट्स के साथ अपनी जर्नी के बारे में साझा किया। इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते होंगे।
फाइब्रोमायल्जिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के हर अंग में दर्द रहता है। इसके कारण थकान, नींद की समस्या और मानसिक परेशानी जैसे लक्षण पैदा होते हैं। इस स्थिति से पीड़ित लोग दर्द के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया के कारण जया मेहरोत्रा को असहनीय दर्द और सिरदर्द रहता था। काफी लंबे समय तक इस रोग से संघर्ष करने के बाद लीडरशिप कोच और वूमेन लीडरशिप सर्कल की संस्थापक जया को वर्ष 2013 में इसके बारे में पता चला था।
शुरुआत में वे सिरदर्द, कष्टदायी शरीर दर्द और क्रोनिक थकान से ग्रस्त रहती थीं। एंग्जाइटी और माइग्रेन के रूप में इसका गलत इलाज करने की कोशिश की जाती थी। यहां तक कि जब दर्द उन्हें पूरी तरह से निष्क्रिय कर रहा था, तब भी वे स्थिति को समझने या प्रबंधित करने में असमर्थ थीं। जय बताती हैं, “मेरी गर्दन लगातार ऐंठन और जकड़न में रहती थी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे शरीर को क्या हो रहा है।
कोई भी मेरी पीड़ा के कारण की पहचान नहीं कर पा रहा था। एंग्जाइटी और माइग्रेन के गलत निदान ने मेरी मुश्किलों को बढ़ा दिया। किसी भी प्रेसक्राइब दवाओं से कोई राहत नहीं मिल रही थी। यह एक दु:खद अनुभव था। इस दर्द को सिर्फ मैं महसूस कर रही थी।”
आखिरकार डॉक्टर ने उनकी बात सुनी और लक्षणों की जांच की। इस जांच में ही फाइब्रोमायल्जिया का पता चला था। “मेरे लिए उपचार कराना और नहीं कराना, दोनों दोधारी तलवार की तरह थे। क्योंकि उपचार में भी मुझे असहनीय दर्द सहना था।”
इसके साथ रहने की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि इसके लिए कोई अलग से क्लिनिकल परीक्षण उपलब्ध नहीं हैं। पूरी संभावना बनती है कि डॉक्टर इसे एंग्जायटी या अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के रूप में गलत इलाज कर सकते हैं। इससे उचित उपचार में देरी हो सकती है। रोगी की पीड़ा बढ़ सकती है। बाहरी तौर पर दिखाई दे रहे लक्षणों की कमी के बावजूद, फाइब्रोमायल्जिया का इलाज जरूरी है।
फाइब्रोमायल्जिया जैसी अदृश्य बीमारी के साथ रहना काफी निराशाजनक हो सकता है। किसी व्यक्ति के जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताना और जागरूकता फैलाना जरूरी है। हेल्थकेयर प्रोफेशनल, प्रियजनों और कम्युनिटी से सहायता लेने से भी लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
जया आगे कहती हैं “एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो फाइब्रोमायल्जिया के साथ जी रहा है, मैं उसकी चुनौतियों और लक्षणों की गंभीरता को समझ सकती हूं। हालांकि सही उपचार और संसाधनों के साथ फाइब्रोमायल्जिया वाले व्यक्ति पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकते हैं।”
लीडरशिप कोच जया ने अपने स्वास्थ्य की स्थिति के साथ दैनिक चुनौतियों का सामना करना सीख लिया है। वे कहती हैं, “यह चुनौतीपूर्ण है। लेकिन इसने अपने शरीर की सुनना, उसकी वकालत करना, आत्म-जागरूकता, दूसरों को जानकारी से लैस करना और सहानुभूति रखना भी सिखाया है। इसके साथ रहकर मैंने सहजता भी सीख ली। ”
जय आगे बताती हैं, “दूसरी ओर ऐसे कई उदाहरण हैं, जब मेरी अत्यधिक संवेदनशीलता ने कुछ निश्चित वातावरणों में कार्य करना चुनौतीपूर्ण बना दिया। उदाहरण के लिए दोस्तों और परिवार के साथ न्यूयॉर्क शहर में टाइम्स स्क्वायर की यात्रा के दौरान चमकती नीओन लाइट ने मेरे लक्षणों को ट्रिगर कर दिया। इसके बाद मुझे तीव्र थकान का अनुभव होने लगा। मुझे लगा कि मैं एक फूटा हुआ गुब्बारा हूं।
इसी तरह, उबड़-खाबड़, असमान सड़कों वाली कार में महाबलेश्वर से मुंबई की यात्रा ने मेरे लक्षणों को ट्रिगर कर दिया। मुझे मतली का अनुभव होने लगा। घर पहुंचने के बाद मुझे उल्टी होने लगी।”
इस रोग के साथ रहने का सबसे निराशाजनक पहलू यह है कि जब आपके प्रियजन आपकी पीड़ा को समझने में विफल होते हैं।जया कहती हैं, “मेरे आसपास के लोग इसे ‘सब कुछ मेरे अंदर है’ कहकर खारिज कर देते थे। लंबे समय तक मेरे आसपास रहने वाले लोग मानते रहे कि मुझे केवल ध्यान करना चाहिए। अपने लक्षणों पर काबू पाने के लिए मुझे ‘सकारात्मक रूप से सोचना’ चाहिए। हालांकि यह आसान नहीं रहा। इस रोग ने मुझे सेल्फ केयर, लचीलापन और दूसरों के प्रति काइंडनेस का सबक भी सिखाया। मुझे आशा है कि मेरे अनुभवों को साझा करने से दूसरों को फायदा मिलेगा। वे अपनी चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।”
जया कहती हैं, “इसने मुझे अपनी सीमाओं का सामना करना और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण विकसित करना सिखाया। यह खुद को खोजने जैसी यात्रा थी। इसने मुझे समग्र उपचार और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का रास्ता दिखाया। इन 10 सालों में मुझे अहसास हुआ कि मुझे अपने शरीर को बेहतर तरीके से समझने की जरूरत है। स्वस्थ विकल्प बनाने की कोशिश करते हुए मैं सेल्फ अवेयर होने लगी। मैं इस बात पर ध्यान देने लगी कि मैंने क्या खाया, मुझे कितना आराम मिला और मैं किस तरह की एक्टिविटीज में लगी रही।”
अंत में जया कहती हैं, ‘फाइब्रोमाइल्गिया के लिए सही उपचार खोजना कई बार मुश्किल हो सकता है लेकिन असंभव नहीं। यदि प्रयास करे, तो व्यक्ति के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। कभी-कभी बहुत अधिक धैर्य की जरूरत होती है। लगातार परंपरागत और वैकल्पिक उपचारों को आजमाने और जीवन के उद्देश्य को पूरा करने की भी कोशिश करनी पड़ती है।’
यह भी पढ़ें :- सारे सोशल टैबू महिलाओं को सेकंड क्लास सिटीजन बनाए रखने के लिए हैं : डॉ सुरभि सिंह