इस किरदार ने मुझे निजी जीवन के लिए भी बहुत कुछ सिखाया : पुष्पा इम्पॉसिबल फेम करुणा पांडेय

टीवी सीरियल और फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्रियां बहुत सारे किरदार अदा करते हैं। कभी-कभी ये सिर्फ कपड़े बदलने जैसा होता है, तो कभी मन और विचारों को भी बदल कर रख देता है। ऐसा ही अनुभव रहा करुणा पांडेय के लिए पुष्पा इम्पॉसिबल में पुष्पा का किरदार निभाना।
Pushpa ke kirdar ne mujhe bhi bahut kuchh sikhaya
एक मनुष्य और एक कलाकार के तौर पर पुष्पा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
योगिता यादव Published: 12 Feb 2023, 12:30 pm IST
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इन दिनों टेलीविजन पर एक धारावाहिक आ रहा है पुष्पा इम्पॉसिबल (Pushpa Impossible)। यह एक ऐसी स्त्री की कहानी है, जो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है, पर अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति बहुत सजग है। अकेली है पर उदास नहीं है। एक खराब रिश्ते से निकलकर पर भी परिवार को जोड़े रखने का हुनर जानती है। पुष्पा का यह मजबूत किरदार निभाने वाली करुणा पांडेय (Karuna Pandey) खुद रंगमंच से ताल्लुक रखती हैं। इससे पहले भी कई टीवी सीरियल में काम कर चुकी हैं। पर इस किरदार ने जैसे हर दिन उन्हें कुछ नया सिखाया है। कैसी रही इस किरदार के साथ उनकी यात्रा और निजी जीवन में क्या हैं उनके विचार, आइए जानते हैं हेल्थ शॉट्स (HealthShots) के इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खुद करुणा पांडेय (Karuna Pandey interview) से।

1 कैसा रहा पुष्पा इम्पॉसिबल के साथ आपका अब तक का सफर?

इस धारावाहिक के निर्माता हैं जेडी सर (Jamnadas Majethia), जिनके साथ मैं पहली बार का कर रही हूं। वे इस बात के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं कि वो बहुत अलग-अलग कॉन्सेप्ट लेकर आते हैं और उन्हें बहुत संजीदगी से प्रस्तुत करते हैं। वे अपने प्रोडक्शन में जान डाल देते हैं। मैं खुद थियेटर बैकग्राउंड से हूं और इस सीरियल में काम करते हुए बिल्कुल किसी थियेटर वर्कशॉप जैसा फील आ रहा है।

मेरा हर दिन यहां सीख से भरा रहता है। हर दिन मैं यहां से कुछ न कुछ सीखकर जाती हूं। कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है और जिस तरह से उसका चित्रांकन किया जा रहा है, वह भी बहुत अनूठा है। हमारे जो निर्देशक हैं प्रदीप यादव, वे एक्टर की प्रतिभा और दृश्य की आत्मा पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं। यही वजह है कि इसका हर एपिसोड इतना खास और प्रभावशाली बन पा रहा है। जो भी आप हर दिन देखते हैं, उसमें इन दोनों का बहुत बड़ा योगदान है।

पुष्पा के साथ बीते आठ-दस महीनों की यात्रा बहुत सुखद रही है। मैं हर दिन अपने साथ कुछ नया लेकर जाती हूं- एक एक्टर के तौर पर भी और एक व्यक्ति के तौर पर भी।

2 ऐसा क्या है इस रोल में जो आपको सबसे ज्यादा अपील करता है?

पुष्पा की जो मासूमियत है, वो मुझे सबसे ज्यादा अपील करती है। उसके चरित्र की सच्चाई, जो आज के समय में बहुत दुर्लभ है, वह बहुत खूबसूरत है। भोलापन, एक सच्चा मन बहुत प्रेरित करता है।

3 पुष्पा में भोलेपन के साथ एक मजबूती भी है, ऐसे मजबूत किरदार अब टीवी से गायब होने लगे हैं। ऐसा क्यों है?

मैं ज्यादा सीरियल देख नहीं पाती हूं। पर अगर ऐसा है, तो इसकी वजह हमारी जीवनशैली में आया बदलाव है। शायद लाेगों के पास अब उतना समय नहीं बचा है, कि लोग ठहर कर किसी गंभीर चीज को देखें या समय दें। ऐसे में कोई हल्की चीज भी चल जाती है। देखने वाले और बनाने वाले दोनों में शायद संजीदगी कम हुई है। समय बदल गया है।

4 सिंगल मदर और टॉक्सिक रिश्ते जैसे बहुत गंभीर मुद्दों को इसमें उठाया गया है, आप इनसे खुद को कैसे कनैक्ट कर पाती हैं?

ये सब इंसानी भाव हैं। करुणा होने के नाते भी मैं उन भावों को महसूस तो कर ही सकती हूं, चाहें वह ममत्व है, किसी भी रूप में, किसी भी शक्ल में वह बाहर आती ही है। ये सारे भाव प्रेम और सद्भाव आपके अंदर ही होते हैं। उन्हीं को हम जी रहे होते हैं। एक कलाकार अपने आसपास के जीवन को समझ ही सकता है। किसी व्यक्ति का आपके जीवन से दूर चले जाना या उसका अच्छा न निकलना, ये सब कहीं न कहीं तो घटित होता ही है। बाकी लोग भी आपकी मदद करते ही हैं, इन सबको पर्दे पर संजीदगी से प्रस्तुत करने में।

toxic rishte se bahar nikalna bahut zaruri hai
किसी के लिए भी टॉक्सिक रिश्ते से बाहर निकलना जरूरी है। चित्र : Sony TV

5 राधा काकू के कमरे में सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगी है और पुष्पा खुद भी पढ़ने का फैसला करती है, कैसा रहा आपका अनुभव?

शिक्षा एक जरूरी मुद्दा है। हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। फिर चाहें वह किसी भी उम्र का हो, सावित्री बाई फुले ने भी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी तरह राधा काकू भी एक मजबूत स्त्री पात्र हैं, जो हमेशा पुष्पा को मजबूत रहने, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। हमने बार-बार इस पर बात की, कि शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। इसलिए पुष्पा आगे पढ़ने का फैसला करती है। पहले बच्चों की तरफ से विरोध होता ह, लेकिन बाद में वे भी मान जाते हैं।

इसी के साथ हमने इस बात को भी समझा कि शिक्षा केवल स्कूलों और कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है। ज्ञान आप कहीं से भी, किसी से भी ले सकते हैं। एक कलाकार के तौर पर ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे एक ऐसा विषय मिला है, जिसके माध्यम से मैं लोगों को शिक्षा के बारे में जागरुक कर सकती हूं। यह अनुभव इतना शानदार रहा कि मुझे फिर से अपने स्कूल के दिन याद आ गए। 97 में मैंने 12वीं पास की थी, वो सब कुछ जो पीछे छूट गया था, अब फिर से याद किया, दोहराया।

एक मां जो सब कुछ छोड़ चुकी थी, परिवार को संभालने में, वह फिर से अपना शिक्षा का सपना पूरा कर पाती है। उसका व्यक्तित्व ऐसा है कि वह खुद को भी उतनी ही महत्ता देती है, जितनी बच्चों को। यह उसके चरित्र का एक बड़ा हिस्सा है कि वह खुद को नहीं भूलती, इतनी तकलीफों के बावजूद। चाहें कितनी भी परेशानियां आएं, वे अपने जीवन के छोटे-छोटे पलों को चुरा लेती है। चाहें क्रिकेट खेलना हो, गाना गाना हो, अंताक्षरी खेलना हो, वो अपना जीवन जीती है।

6 सिंगल मदर होते हुए भी अपने आप को जिंदा रखना कितना जरूरी है?

पुष्पा ही नहीं, करुणा होते हुए भी बहुत पहले से यह मानती हूं कि मां, मां होने से पहले एक व्यक्ति भी है। जब तक आप अपना ध्यान नहीं रखेंगी, खुद को नरिश नहीं करेंगी, तब तक आप अपने परिवार के लिए भी कुछ नहीं कर पाएंगी। चाहें आप कितना भी अपने को पुश कर लें, अगर आप दुखी रहेंगे, तो दूसरों तक आप क्या पहुंचाएंगे।

यहां देखें  ये पूरा इंटरव्यू : 

अगर आप रिश्तों के प्रति समर्पित हैं, तो भी आपका यह फर्ज है कि आप अपना ध्यान रखें। क्योंकि अगर आप खुद भी हेल्दी और अच्छे नहीं हैं, तो आप अपने रिश्तों में क्या देंगे। दूसरों को खुशी देना चाहते हैं, तो आपका खुश रहना जरूरी है। समर्पण तो बहुत जरूरी चीज है, इससे बढ़कर तो कुछ भी नहीं है। पर आपका अपने लिए जो फर्ज है, उससे आप मुंह नहीं मोड़ सकते। तो अगर आप अपने लिए नहीं कर सकतीं हैं, तो यही दूसरों के लिए कीजिए, एक मनुष्य के नाते ये आपकी जिम्मेदारी है।

7 उम्र बढ़ने के बाद वजन का बढ़ना एक समस्या बन जाती है, क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया और कैसे इसे कम किया?

मेरे जीवन में तो यह साथ-साथ चलता है। मैं फूडी हूं, खाते-पीते वक्त बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देती। इसलिए कभी-कभी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हैं चीजें, कि वजन बढ़ जाता है। मेरे पति आयुर्वेद को फॉलो करते हैं, वे अकसर मुझे कहते हैं कि तुम ऐसी स्थिति ही क्यों आने देती हो, कि बाद में खाना छोड़ना पड़े।

8 कैसे कम करती हैं आप अपना वजन?

मैं तो बस आयुर्वेद का यह नियम फॉलो करती हूं, कि जितना आप खा रहे हैं, बस उसका आधा कर दीजिए- रोटी, चावल। बाकी फल, सब्जी, दाल खाते रहिए और पानी जितना हो सके पीजिए। इससे वेट कंट्रोल हो जाता है। हां व्यायाम और नियम बहुत जरूरी है।

9 आप उत्तराखंड से हैं, वहां के आपके पसंदीदा व्यंजन कौन से हैं?

अरे उत्तराखंड के तो बहुत सारे व्यंजन मेरे पसंदीदा हैं। गहत का डुबका, उड़द का डुबका, छुड़कानी भात, रुबका भात, कढ़ी भात, मूली वाली कढ़ी ये सब मुझे बहुत पसंद है। असल में पहाड़ में हमारे यहां भात बहुत खाते हैं, राइस वहां का मुख्य अनाज है, जितनी भी झोल वाली चीजें हैं, चाहें गहत हो, उड़द हो, वे सभी मुझे बहुत पसंद हैं।

mai khud bhi bahut foodie hun
मैं उत्तराखंड से हूं और वहां के बहुत सारे व्यंजन मुझे पसंद हैं। चित्र: Insta/KarunaPandey

10 प्रोफेशन और फैमिली के बीच अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान कैसे रख पाती हैं? 

आई गो ईजी। सौभाग्य से सब अच्छा ही मिला, तो मैं ज्यादा सोचती नहीं हूं। माता-पिता, पति, परिवार सब अच्छा ही मिला। ईश्वर ने मेरे लिए सब चीजों का ध्यान रखा है। अगर सब कुछ मिला हुआ है, तब तनाव की बात ही क्या है। शरीर अच्छा है, सेहत अच्छी है, तब आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

अगर इसके बाद भी आप खुश नहीं रह पाते हैं, तो आपको खुद पर काम करने की जरूरत है। अगर आपको खुश रहना आता है, तो यह सब चीजें काफी हैं खुश रहने के लिए। असल में कुछ लोगों को दुखी रहने, या दुख ओढ़ लेने की आदत होती है। उससे बचना चाहिए। अल्प में संतोष होना चाहिए और खुश रहने के बहाने ढूंढ लेने चाहिए।

11 मी टाइम में आप क्या करती हैं

नाचना, गाना, लिखना, अपने पेट्स के साथ खेलना, बच्चों के साथ मस्ती करना, स्ट्रीट डॉग्स और कैट्स को फीड करना, यही सब अच्छा लगता है। हालांकि अच्छा नहीं गा पाती, पर गाने का रियाज करती हूं, गाना मुझे बहुत पसंद है। टाइम का तो पता ही नहीं चलता। लिखती थी पहले, अब तो वक्त नहीं मिल पाता। जब भी मौका मिलता है, लिखने की कोशिश करती हूं। यही सब मुझे खुशियां देता है।

12 युवा स्त्रियों के लिए आपका क्या संदेश है?

खुश रहिए, इससे बड़ी कोई चीज नहीं है, जो आप अपने लिए कर सकती हैं। आपकी मानसिक हेल्थ भी आपकी फिजिकल हेल्थ की तरह ही जरूरी है।

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लेखक के बारे में

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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