स्लिप डिस्क दुर्घटना ने बदल दिया मेरा जीवन, पर एक अल्‍प विराम जीवन का अंत नहीं होता

केबिन क्रू मेंबर बनने के अपने सपने को आगे बढ़ाते हुए सदफ सिद्दीकी को एक बड़ी स्लिप डिस्क दुर्घटना का सामना करना पड़ा। ऊंची उड़ान भरने, लंबी शिफ्ट में काम करने और भारी-भरकम ड्यूटी करने के कारण वह इतने दर्द की शिकार हो गईं कि वे सीधे खड़ी भी नहीं हो पा रही थी और अपना इलाज शुरू करने के लिए उन्हें घर वापस जाना पड़ा। ये है उनकी कहानी।
सदफ ने तय किया है कि वे जिंदगी से हार नहीं मानेंगी। चित्र: सदफ सिद्दीकी
सदफ ने तय किया है कि वे जिंदगी से हार नहीं मानेंगी। चित्र: सदफ सिद्दीकी

मेरा नाम सदफ सिद्दीकी है, मेरी उम्र 25 साल है, और मैं कल्याण ठाणे से हूं। मैं मिडल ईस्ट में स्थित एक फ्लाइट अटेंडेंट थी। मई 2019 में, मैं अपने वार्षिक अवकाश के लिए मुंबई आई थी। उस समय मैं बहुत खुश और उत्साहित थी, क्योंकि मुझे 15 दिनों की छुट्टी मिली थी। मुझे याद है कि मेरे पास दो विशाल सूटकेस थे। इसलिए उन्हें कन्वेयर बेल्ट से उतारते समय, मुझे अपनी पीठ में दर्द का अनुभव हुआ।

मैं उस दुर्घटना को समझ ही नहीं पाई  

मेरे लिए सीधे खड़े होना बहुत कठिन था। लेकिन किसी तरह, मैं हवाई अड्डे से बाहर आई, मुझे लेने के लिए मेरे मंगेतर वहां मौजूद थे। जैसे ही मैं घर पहुंची, मेरी मां ने एक आर्थोपेडिक के साथ चेक अप फिक्स किया। उस समय, उन्होंने मुझे कुछ दवाएं दीं और कुछ एक्‍सरसाइज की सलाह दी, जो मैंने अपनी छुट्टी की अवधि के दौरान की। इस दौरान मैंने अपना काफी ख्याल रखा।

एक केबिन क्रू के रूप में कुशल होने के लिए संघर्ष

जब मुझे अपने जॉब को फिर से शुरू करना पड़ा, तब तक हम उड़ने लगे थे। और उस समय के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि मैं पीठ दर्द के कारण ठीक से काम नहीं कर पा रही हूं। मुझे याद है कि मैं ऑस्ट्रेलिया के लिए रास्ते में थी, जो 14 घंटे की लंबी उड़ान थी जिसने मुझे एहसास दिलाया कि मेरा दर्द, महज पीठ दर्द से कुछ अधिक है।

इस डायग्नोसिस और मेरे इस्तीफे ने मुझे दुखी किया था

मुझे पता चला कि मेरी रीढ़ में एक एनयूलर खिंचाव था। मैंने अपने पिता को फोन किया और बहुत रोई, क्योंकि मैं शारीरिक पीठ दर्द और अपनी नौकरी खोने के मानसिक आघात को सहन नहीं कर पा रही थी। मैंने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की थी। लेकिन मेरे पिता का कहना था कि अगर भगवान न करे आपको कुछ हो गया, तो कंपनी तो आपको किसी अन्य कर्मचारी के साथ बदल सकती है, मगर हम किसी भी व्यक्ति को आपकी जगह नहीं दे सकते।

इस दुर्घटना ने सदफ का जीवन बिल्‍कुल बदल दिया। चित्र: सदफ सिद्दीकी
इस दुर्घटना ने सदफ का जीवन बिल्‍कुल बदल दिया। चित्र: सदफ सिद्दीकी

इसलिए, मैंने उनकी बात सुनी और इस्तीफा दे दिया। सच कहूं तो, मेरी प्रतिक्रिया बहुत मिश्रित थी। एक तरफ, मैं सारे नुकसान को लेकर बहुत दुखी थी और दूसरी तरफ, मैं खुश थी कि कुछ भी बुरा नहीं हुआ था।

मेरे माता-पिता और मेरा  मंगेतर मेरी चट्टान थे

मेरे माता-पिता उस समय मेरा संबल बने। उन्होंने मेरी देखभाल करना शुरू कर दिया जैसे कि मैं कोई छोटा बच्चा हूं। मेरे मंगेतर ही थे जो मेरे साथ मेरे डॉक्टर के पास जाते थे। मेरे आसपास हर कोई मेरे स्वास्थ्य के बारे में बहुत चिंतित था। विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याएं जो मैंने अपने उपचार के प्रारंभिक चरण के दौरान अनुभव की थी, उन्हें लेकर भी सभी परेशान थे।

मेरी जीवनशैली में बदलाव के कारण ये प्रारंभिक संघर्ष हुए

दर्द ने मुझ पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। मैं आसानी से घूमने में असमर्थ थी। यह सब बहुत अधिक तनाव और अवसाद को जन्म दे रहा था, क्योंकि मैं एक फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में अपनी जीवन शैली के लिए अभ्यस्त थी। एक समय था कि मैं प्रति सप्ताह न्यूनतम तीन देशों की यात्रा करती थी। और इस तरह के जीवन वाले व्यक्ति के लिए, दर्द और इस नई वास्तविकता से निपटना बहुत कठिन हो गया था।

दोस्‍त और परिवार मेरा संबल बने। चित्र: सदफ सिद्दीकी
दोस्‍त और परिवार मेरा संबल बने। चित्र: सदफ सिद्दीकी

सच कहूं, तो मैं लगभग हर दिन हार मान जाती थी। स्वीकृति एक प्रक्रिया है जो सभी के लिए अलग है। मेरा परिवार, मंगेतर और दोस्त पूरे इलाज के दौरान मेरे लिए एक मजबूत चट्टान की तरह खड़े रहे। मेरे माता-पिता ने मेरे खान-पान का अत्यंत ध्यान रखा। मेरे मंगेतर ने मुझे सभी व्यायामों और अन्य गतिविधियों में मदद की। इन बातों ने मुझे कृतज्ञता से भर दिया, और जब भी मैं उदास होती, वे मुझे खुश करते।

डॉक्टर ने मुझे किसी भी सर्जरी के लिए नहीं बताया था, क्योंकि मैं उम्र में बहुत छोटी थी। आज भी, ऐसा होता है कि मेरा दर्द असहनीय हो जाता है। लेकिन, जब मैं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू करती हूं, तो इन लक्षणों में सुधार होता है। मैंने फिजियोथेरेपी ट्रैक्शन शुरू किया, और तेज चलना शुरू किया। मुझे इस दुर्घटना के बाद लगभग सब कुछ बदलना पड़ा। मैंने इतने लंबे समय तक यात्रा नहीं की, मैं कोई काम नहीं कर पा रही थी। मैं कुछ घंटों तक बैठ भी नहीं सकती थी। संक्षेप में कहें तो, कुछ भी नहीं करने से मेरा दर्द बढ़ सकता है।

जीवन का सबक: सकारात्मकता ही कुंजी है

अनंत सबक हैं जो मैंने इस अवधि के दौरान सीखे हैं। और उनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण हैं; पहला सबसे बड़ा धन केवल स्वास्थ्य है। दूसरा, हर किसी को यह स्वीकार करना चाहिए कि उसकी मौजूदा स्थिति क्या है, और यह बिल्‍कुल भूल जाना चाहिए कि वह क्या हुआ करता था।

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मैं पाठकें को बताना चाहूंगी कि स्थिति चाहे कितनी भी खराब हो, हम केवल सकारात्मक विचार से ही इससे निपट सकते हैं और इसे सकारात्मक दिमाग के साथ बेहतर बना सकते हैं। उम्मीद है कि अच्छी चीजें फिर होंगी। सिर्फ इसलिए क्योंकि ये सिर्फ एक पॉज है, इसका मतलब अंत नहीं है। आपको केवल जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

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ये बेमिसाल और प्रेरक कहानियां हमारी रीडर्स की हैं, जिन्‍हें वे स्‍वयं अपने जैसी अन्‍य रीडर्स के साथ शेयर कर रहीं हैं। अपनी हिम्‍मत के साथ यूं  ही आगे बढ़तीं रहें  और दूसरों के लिए मिसाल बनें। शुभकामनाएं! ...और पढ़ें

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