2 अप्रैल को दुनिया भर में वर्ल्ड ऑटिज़्म डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य एक दुर्लभ किस्म के डिसऑर्डर के बारे में जागरुकता पैदा करना है। ऑटिज़्म वास्तव में एक डेवेलपमेंटल प्रॉब्लम है। यह समस्या अक्सर बचपन में शुरू होती है। जब बच्चा बोलना, चलना, अपने हाथ-पैरों पर नियंत्रण करना और भावनात्मक प्रतिक्रिया देना सीखता है। जबकि ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों में इन सभी को समझने और सीखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। अलग-अलग बच्चों में ऑटिज़्म के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए ऑटिज़्म को “स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर” कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि यह कोई एक विकार नहीं, बल्कि कई तरह के विकारों का समूह है। इसके लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि जागरुकता के अभाव में कुछ माता-पिता यह समझ ही नहीं पाते कि उनका बच्चा ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से ग्रसित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा कई स्वास्थ्य संस्थाएं और संगठन ऑटिज़्म के लिए काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर से ऑटिज्म के लक्षणों पर शोध किया उन लक्षणों के बारे में पता लगाया, जिसका ज्यादातर ऑटिस्टिक बच्चों काे सामना करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर से प्राप्त इनपुट के आधार पर आइए ऑटिज़्म के बारे में थोड़ी और जागरुकता पैदा करें, इस क्विज में हिस्सा लेकर।