जब आप अकेली होती हैं, तो आपका पेट ही आपको सबसे ज्यादा प्यारा लगता है। छोटे बच्चों को भी पालतू जानवर बहुत प्यारे होते हैं। पर ये लवली पेट्स रेबीज का कारण न बन जाए, इसलिए आपको इसके बारे में कुछ जरूरी बातें पता होनी चाहिए।
आपका पप्पी आपका सबसे प्यारा दोस्त और अकेलेपन का साथी हो सकता है। पर क्या आप जानती हैं कि इसी प्यारे पप्पी या डॉग की लार, खरोंच या काटने का घाव आपके लिए रेबीज का भी कारण बन सकता है। 28 सितम्बर को हर वर्ष वर्ल्ड रेबीज डे (world rabies day 2020) मनाया जाता है। आज के दिन हम रेबीज संबंधी जानकारियों पर बात करते हैं। ताकि इस भयावह बीमारी को होने से रोका जा सके।
यह दिवस रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस भयावह बीमारी को हराने के लिए शुरू किया गया था। 28 सितम्बर का दिन इसीलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन लुइस पाश्चर की पुण्यतिथि मनाई जाती है, जो फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने पहली रेबीज वैक्सीन बनाई थी।
WHO के अनुसार, रेबीज का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है। इसके बावजूद हर वर्ष 59,000 से भी अधिक लोग इस बीमारी से अपनी जान से हाथ धोने पड़ते हैं। 95% से अधिक ह्यूमन रेबीज के मामले अफ्रीका और एशिया में होते हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे होते हैं। आज भी 100 से अधिक लोग हर कॉन्टिनेंट में रेबीज की बीमारी से ग्रस्त हैं सिवाए अंटार्टिका के । विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) द्वारा एक लक्ष्य तय किया गया है कि डॉग मेडियेटेड रेबीज बीमारी को 2030 तक पूरी तरह खत्म करना है।
एक बार रेबीज के लक्षण दिखाई देने पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। यह बीमारी घरेलू और जंगली जानवरों दोनों से फैल सकती है। आमतौर पर यह बीमारी जानवरों की लार, उनके काटने और खरोंच के माध्यम से लोगों में फैलती है।
शुरुआती लक्षणों में बुखार, और अक्सर दर्द या घाव के आसपास एक असामान्य झुनझुनी या सनसनी शामिल होती हैं।
इस तरह की परेशानी से आप छुटकारा पा सकते है अगर कुछ घंटों के भीतर घाव की सफाई और टीकाकरण डॉक्टर्स की सलाह से करवा लिया जाए तो।
1.रेबीज जैसी बीमारी को रोकने के लिए सबसे पहले उसकी जानकारी होना जरूरी है। हर वर्ष डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित वर्ल्ड रेबीज डे इस बारे में जागरुकता फैलाने का काम करता है कि विश्व में रेबीज को लेकर सतर्कता बरती जाए और लोग अधिक से अधिक इस बीमारी के प्रति जागरूक हों।
2.आज टेक्नॉलाजी द्वारा किसी भी विषय पर जागरुकता फैलाना संभव है। केन्या में एक डब्ल्यूएचओ की ओर से मानव और पशु रेबीज कनैक्शन का पता लगाने के लिए एक विशेष अध्ययन किया गया। मिशन रेबीज द्वारा उपयोग किए जाने वाले स्मार्टफोन-आधारित तकनीकी विकास और सामूहिक डॉग वैक्सिनेशन कैंपेन को इस अध्ययन का लाभ मिला।
3.रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसका वैक्सीन हमारे पास मौजूद है। उसके बाद भी यह बीमारी दिन प्रतिदिन फैलती जा रही है, ऐसे में अगर स्ट्रीट डॉग्स पर वैक्सीन का इस्तेमाल पहले कर दिया जाए, तो इसे बहुत हद तक फैलने से रोका जा सकता है।
4.को खत्म करने के लिए जरूरी है कि हम इसके कारण, बचाव और उपचार तीनों को जानें। बच्चे सबसे ज्यादा इसके शिकार होते हैं। इसलिए हमें समझना होगा कि बच्चो को जानवरों के काटने से बचाने, पशु व्यवहार को समझने के लिए और काटने की स्थिति में क्या करना चाहिए।
5.अगर किसी जानवर के द्वारा घाव या खरोंच लग गई है, तो तुरंत उसे साबुन और पानी से धोएं। जानवर के काटने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
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