यह सच है कि मानव के विकास में सबसे वफादार साथी कुत्ता रहा है। इन दिनों न्यूक्लियर फैमिली और फ़्लैट कल्चर में डॉग और कैट के साथ हम अपना सबसे अधिक स्ट्रेस रिलीज करते हैं। हम उनसे इतने अधिक घुल-मिल जाते हैं कि उन्हें अपने बच्चे की तरह साथ सुलाने लगते हैं। उन्हें चूमते रहते हैं। यहां तक कि अपने खाने की प्लेट भी उनसे शेयर करने लग जाते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि पेट्स को चूमना, उनके साथ बेड शेयर करना या फिर उनके साथ खाना-खाना कई तरह की गंभीर बीमारियों का आमन्त्रण देना (pets can cause health problems) हो सकता है। कुछ शोध भले ही साबित कर चुके हैं कि पेट्स अपने मालिकों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पर उन्हें घर के अंदर नहीं बल्कि बाहर (pets can cause health problems) रखना चाहिए।
गुरुग्राम के आर्टिमिस होस्पिटल में सीनियर कन्सल्टेंट ( इंटरनल मेडिसिन) डॉ. पी वेंकट कृष्णन बताते हैं. ‘इन दिनों अमेरिका की तरह भारत में भी पेट्स खासकर कुत्ते और बिल्लियों के साथ सोने का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ा है। सबसे अधिक समस्या तब होती है, जब पेट्स से एलर्जी होने के बावजूद लोग पालतू पशुओं के साथ सोते हैं। पशुओं के बालों के संपर्क में आने और नींद के दौरान पशुओं के रूसी से संक्रमित होने का सबसे अधिक डर रहता है। इससे बचने के लिए दिन में भी पालतू पशुओं को बेड रूम से बाहर रखना चाहिए।
किसी पालतू जानवर द्वारा आपके घर में लाए गए जर्म के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हो सकते हैं। एक ओर, विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और अन्य जर्म के संपर्क में आने से मानव प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सकती है। दूसरी ओर पेट्स हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और पैथोजेन्स को भी अपने साथ ला सकते हैं। इससे उनके साथ रहने वाले लोगों को खतरा हो सकता है। लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और जिन्हें खुला घाव है, उन लोगों को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। उन्हें पेट्स के साथ सोने से बचना चाहिए।
कुछ पेट्स विशेष रूप से बड़े डॉगी को बिस्तर पर अधिक जगह घेरने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए रात में नींद में खलल पड़ सकती है। पेट्स के साथ बिस्तर साझा करने से साउंड स्लीप में दिक्कत हो सकती है। इसलिए कुत्ते या बिल्ली को बेड रूम से बाहर या किसी दूसरे बिस्तर पर सुलाएं।
कुछ लोग कुत्ते को होठों या उनके शरीर के अन्य भाग पर किस करते हैं। यह अनहायजेनिक हो सकता है। इससे उन विकारों के होने की संभावना बढ़ जाती है, जिसके कारण व्यक्ति को बेड रिडन होना पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं के प्रभावित होने की आशंका हो सकती है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग जानवरों से संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
कुत्तों और बिल्लियों के मुंह जर्म्स से भरे होते हैं। इससे इंसानों के लिए उन्हें साफ करना मुश्किल हो जाता है। संक्रमण अप्रत्यक्ष रूप से दूषित बिस्तर, गंदगी, भोजन या पानी के माध्यम से या सीधे उनके लार, शारीरिक तरल पदार्थ और मल के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है। बिल्लियों, कुत्तों में पेरियोडोंटल रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया भी पाए जा सकते (pets can cause health problems) हैं।
बिल्लियों और कुत्तों के मुंह में पास्चुरेला बैक्टीरिया रहता है, जो स्किन, लिम्फ नोड और कभी-कभी अधिक गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है। उनके मुंह में मौजूद बार्टोनेला हेन्सेलेबैक्टीरिया गंभीर स्किन और लिम्फ नोड संक्रमण का कारण बन सकता है। उनकी आंतों में पाया जाने वाला साल्मोनेला, ई. कोली, क्लॉस्ट्रिडिया और कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया मनुष्यों में गंभीर आंतों की बीमारी का कारण बन सकते हैं।
अकसर पालतू पशु खुद को साफ़ करने के लिए अपना एनस चाटते हैं। मल के अवशेषों में मौजूद बैक्टीरिया मुंह तक पहुंच जाते हैं। इंसानों के उन्हें किस करने और उनके साथ भोजन शेयर करने पर ये बैक्टीरिया उनकी आंतों तक पहुंच (pets can cause health problems) जाते हैं।
बैक्टीरिया, परजीवी और फंगस इन्फेक्शन से बचने के लिए पेट्स के रहने, खाने और सोने का स्थान घर से बाहर होना चाहिए। उन्हें घर से बाहर रहने के लिए ट्रेन करना चाहिए। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, कीमोथेरेपी ले रहे व्यक्तियों, एड्स से पीड़ित व्यक्तियों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को पेट्स के साथ अधिक सावधानी (pets can cause health problems) बरतनी चाहिए।
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