World Stroke Day : आपकी सतर्कता और तत्परता बचा सकती है किसी के मस्तिष्क की क्षति

किसी भी वजह से ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन में बाधा आना स्ट्रोक का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में एक-एक पल कीमती है, इसलिए देर न करें।
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स्ट्रोक के प्रति जागरुकता बढाने के लिए ही हर वर्ष 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
डॉ. प्रवीण गुप्ता Published: 29 Oct 2021, 09:30 am IST
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आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे है। स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं। परंतु सबसे अहम है स्ट्रोक की पहचान करना, क्योंकि इसमें हर पल कीमती होता है। जितनी जल्दी आप लक्षणों को पहचान कर मरीज को बचाव की सुविधा दे पाएंगे, उतनी ही जटिलताएं कम होंगी। डॉक्टर इस प्रक्रिया को फास्ट के अंतर्गत चिन्हित करते हैं। जानिए क्या हैं स्ट्रोक के लक्षण और त्वरित बचाव के उपाय।

क्या है स्ट्रोक 

स्‍ट्रोक उस स्थिति में होता है जबकि मस्तिष्‍क के किसी भाग को रक्‍त आपूर्ति बाधित होती है या घट जाती है। जिसके चलते मस्तिष्‍क के ऊतकों को ऑक्‍सीजन तथा समुचित पोषण नहीं मिल पाता। ऐसे में चुटकियों में मस्तिष्‍क की कोशिकाएं नष्‍ट होने लगती हैं।

इसीलिए कहा जाता है कि ‘समय ही दिमाग है’ (Time is brain)  यानी स्‍ट्रोक के बाद शुरुआती घंटों के भीतर आपातकालीन उपचार मिलने से मस्तिष्‍क के ऊतकों को बचाया जा सकता है और सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य की बहाली करने या जटिलताओं को कम करने में मदद मिलती है।

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स्ट्रोक में मस्तिष्क की कोशिकाएं तेजी से समाप्त होने लगती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

इसका मतलब यह हुआ कि शुरू में स्‍ट्रोक के लक्षणों की पहचान करना सबसे महत्‍वपूर्ण है और यह जानना भी कि आपातकालीन स्थिति में क्‍या करना चाहिए।

जानिए स्ट्रोक के लक्षण एवं सकेत

1 बोलने तथा दूसरे क्‍या कह रहे हैं यह समझने में परेशानी होना

बोलते समय व्‍यक्ति की जुबान लड़खड़ा सकती है और शब्‍दों एवं वाक्‍यों को बनाने में तथा दूसरों को समझने में कठिनाई होती है।

2 चेहरे, बाजू या पैर में लकवा अथवा सुन्‍न पड़ना

आपको अचानक चेहरे, बाजू या पैरों के सुन्‍न पड़ने, कमजोरी होने या लकवाग्रस्‍त होने की शिकायत हो सकती है। ऐसा प्राय: शरीर के एक भाग में हो सकता है। अपने दोनों हाथ एक साथ सिर के ऊपर उठाएं।

अगर एक बाजू नीचे गिरने लगे तो यह इस बात का लक्षण हो सकता है कि आपको स्‍ट्रोक हो रहा है। साथ ही, अगर आप हंसने/मुस्‍कुराने की कोशिश करते हैं, तो चेहरे का एक भाग भी लटकने लगता है।

3 एक या दोनों आंखों में देखने में परेशानी होना

आपको अचानक किसी एक या दोनों आंखों में धुंधलेपन या देखने में कालेपन की शिकायत हो सकती है या आपको हर चीज़ दोहरी दिख सकती है।

4 सिरदर्द

एकाएक और तेज सिरदर्द जिसके साथ ही उल्‍टी आना, चक्‍कर आना, सचेतावस्‍था में गड़बड़ी होना इस बात की निशानी है कि आपको स्‍ट्रोक हुआ है।

5 चलने-फिरने में परेशानी

आप लड़खड़ा सकते हैं या आपको संतुलन बिगड़ सकता है। आपको अचानक चक्‍कर आने या अपनी शारीरिक गतिविधियों के बीच तालमेल बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है।

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ऐसे समय में तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें। चित्र: शटरस्‍टॉक

6 विभ्रम या भटकाव

कोई व्‍यक्ति विभ्रम (कंफ्यूज़न) या भटकाव का शिकार हो सकता है।

इस स्थिति को समझने और तत्‍काल कदम उठाने के महत्‍व को आसान बनाने के लिए “FAST” का पालन करे। इसका अर्थ होता है:

Face. प्रभावित व्‍यक्ति से बोलने के लिए कहें। क्‍या ऐसा करने पर उसका चेहरा एक ओर से लटकने लगता है?

Arms. प्रभावित व्‍यक्ति से दोनों बाजुओं को उठाने के लिए कहें। क्‍या एक बाजू नीचे की ओर लटकती है? अथवा क्‍या वह एक बाजू को उठाने में असमर्थ है ?

Speak  प्रभावित व्‍यक्ति से कोई भी वाक्‍य बोलने को कहें। क्‍या उसकी जुबान लड़खड़ा रही है या कुछ अटपटापन लगता है ?

 Time. यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखायी दें, तो तत्‍काल चिकित्‍सा सहायता लें।

जैसे ही उपर्युक्‍त में कोई भी लक्षण या संकेत दिखायी दें तो समझ लें कि किसी व्‍यक्ति के स्‍ट्रोक का शिकार होने की आशंका काफी अधिक है। उन लक्षणों के दूर होने का इंतज़ार न करें। हर मिनट अहम होता है।

Air pollution stroke ka bhi karan ban sakta hai
वायु प्रदूषण स्ट्रोक का भी कारण बन सकता है। चित्र:शटरस्टॉक

जितनी देर तक रक्‍तापूर्ति अवरुद्ध रहेगी, मस्तिष्‍क को क्षति पहुंचने और विकलांगता की आशंका उतनी अधिक होगी। ऐसा हो तो मरीज़ को एस्प्रिन या ब्‍लड थिनर न दें, क्‍योंकि स्‍ट्रोक का कारण खून का थक्‍का जमना या मस्तिष्‍क में रक्‍तस्राव में से कुछ भी हो सकता है।

खुद से उपचार न करें 

यदि ब्‍लड प्रेशर मामूली रूप से बढ़ गया है, तो ब्‍लड प्रेशर की दवाएं न दें। यदि आप कर सकते हैं तो ब्‍लड शूगर की जांच करें, ब्‍लड शूगर गिरने के लक्षण कई बार स्‍ट्रोक से मिलते-जुलते हो सकते हैं। ऐसे में मरीज़ को तत्‍काल स्‍ट्रोक सेंटर ले जाएं, जहां कम से कम सीटी स्‍कैन सुविधा और न्‍यूरोलॉजिस्‍ट हों। जो ऊपर बताए गए गोल्‍डन आवर में आपातकालीन इलाज शुरू कर सकें।

ऐसा होने पर जीवन बचाया जा सकता है और मरीज़ों में कमजोरी तथा रोग जनित जटिलताओं को भी रोका जा सकता है। जिसके चलते स्‍ट्रोक के बाद भी मरीज़ आत्‍मनिर्भर तरीके से जीवनयापन करने लायक बने रहते हैं।

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लेखक के बारे में

डॉ. प्रवीण गुप्ता फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यू गुरुग्राम में प्रिंसीपल डायरेक्टर एवं हेड न्यूरोलॉजी हैं। 18 वर्ष के अनुभव के साथ वे पूर्ण तंत्रिका विज्ञान केंद्र सभी प्रकार के स्ट्रोक इंटरवेन्शन / स्ट्रोक पुनर्वास / बोटोक्स / सेरेब्रल पाल्सी / मल्टीपल स्केलेरोसिस / मिर्गी सर्जरी के उपचार में विशेषज्ञता रखते हैं। ...और पढ़ें

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