आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे है। स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं। परंतु सबसे अहम है स्ट्रोक की पहचान करना, क्योंकि इसमें हर पल कीमती होता है। जितनी जल्दी आप लक्षणों को पहचान कर मरीज को बचाव की सुविधा दे पाएंगे, उतनी ही जटिलताएं कम होंगी। डॉक्टर इस प्रक्रिया को फास्ट के अंतर्गत चिन्हित करते हैं। जानिए क्या हैं स्ट्रोक के लक्षण और त्वरित बचाव के उपाय।
स्ट्रोक उस स्थिति में होता है जबकि मस्तिष्क के किसी भाग को रक्त आपूर्ति बाधित होती है या घट जाती है। जिसके चलते मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन तथा समुचित पोषण नहीं मिल पाता। ऐसे में चुटकियों में मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।
इसीलिए कहा जाता है कि ‘समय ही दिमाग है’ (Time is brain) यानी स्ट्रोक के बाद शुरुआती घंटों के भीतर आपातकालीन उपचार मिलने से मस्तिष्क के ऊतकों को बचाया जा सकता है और सामान्य स्वास्थ्य की बहाली करने या जटिलताओं को कम करने में मदद मिलती है।
इसका मतलब यह हुआ कि शुरू में स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान करना सबसे महत्वपूर्ण है और यह जानना भी कि आपातकालीन स्थिति में क्या करना चाहिए।
बोलते समय व्यक्ति की जुबान लड़खड़ा सकती है और शब्दों एवं वाक्यों को बनाने में तथा दूसरों को समझने में कठिनाई होती है।
आपको अचानक चेहरे, बाजू या पैरों के सुन्न पड़ने, कमजोरी होने या लकवाग्रस्त होने की शिकायत हो सकती है। ऐसा प्राय: शरीर के एक भाग में हो सकता है। अपने दोनों हाथ एक साथ सिर के ऊपर उठाएं।
अगर एक बाजू नीचे गिरने लगे तो यह इस बात का लक्षण हो सकता है कि आपको स्ट्रोक हो रहा है। साथ ही, अगर आप हंसने/मुस्कुराने की कोशिश करते हैं, तो चेहरे का एक भाग भी लटकने लगता है।
आपको अचानक किसी एक या दोनों आंखों में धुंधलेपन या देखने में कालेपन की शिकायत हो सकती है या आपको हर चीज़ दोहरी दिख सकती है।
एकाएक और तेज सिरदर्द जिसके साथ ही उल्टी आना, चक्कर आना, सचेतावस्था में गड़बड़ी होना इस बात की निशानी है कि आपको स्ट्रोक हुआ है।
आप लड़खड़ा सकते हैं या आपको संतुलन बिगड़ सकता है। आपको अचानक चक्कर आने या अपनी शारीरिक गतिविधियों के बीच तालमेल बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है।
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कस्टमाइज़ करेंकोई व्यक्ति विभ्रम (कंफ्यूज़न) या भटकाव का शिकार हो सकता है।
इस स्थिति को समझने और तत्काल कदम उठाने के महत्व को आसान बनाने के लिए “FAST” का पालन करे। इसका अर्थ होता है:
Face. प्रभावित व्यक्ति से बोलने के लिए कहें। क्या ऐसा करने पर उसका चेहरा एक ओर से लटकने लगता है?
Arms. प्रभावित व्यक्ति से दोनों बाजुओं को उठाने के लिए कहें। क्या एक बाजू नीचे की ओर लटकती है? अथवा क्या वह एक बाजू को उठाने में असमर्थ है ?
Speak प्रभावित व्यक्ति से कोई भी वाक्य बोलने को कहें। क्या उसकी जुबान लड़खड़ा रही है या कुछ अटपटापन लगता है ?
Time. यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखायी दें, तो तत्काल चिकित्सा सहायता लें।
जैसे ही उपर्युक्त में कोई भी लक्षण या संकेत दिखायी दें तो समझ लें कि किसी व्यक्ति के स्ट्रोक का शिकार होने की आशंका काफी अधिक है। उन लक्षणों के दूर होने का इंतज़ार न करें। हर मिनट अहम होता है।
जितनी देर तक रक्तापूर्ति अवरुद्ध रहेगी, मस्तिष्क को क्षति पहुंचने और विकलांगता की आशंका उतनी अधिक होगी। ऐसा हो तो मरीज़ को एस्प्रिन या ब्लड थिनर न दें, क्योंकि स्ट्रोक का कारण खून का थक्का जमना या मस्तिष्क में रक्तस्राव में से कुछ भी हो सकता है।
यदि ब्लड प्रेशर मामूली रूप से बढ़ गया है, तो ब्लड प्रेशर की दवाएं न दें। यदि आप कर सकते हैं तो ब्लड शूगर की जांच करें, ब्लड शूगर गिरने के लक्षण कई बार स्ट्रोक से मिलते-जुलते हो सकते हैं। ऐसे में मरीज़ को तत्काल स्ट्रोक सेंटर ले जाएं, जहां कम से कम सीटी स्कैन सुविधा और न्यूरोलॉजिस्ट हों। जो ऊपर बताए गए गोल्डन आवर में आपातकालीन इलाज शुरू कर सकें।
ऐसा होने पर जीवन बचाया जा सकता है और मरीज़ों में कमजोरी तथा रोग जनित जटिलताओं को भी रोका जा सकता है। जिसके चलते स्ट्रोक के बाद भी मरीज़ आत्मनिर्भर तरीके से जीवनयापन करने लायक बने रहते हैं।
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