हम देर रात तक टीवी के सामने बैठे रहते हैं। लेटे और बैठे हुए मोबाइल पर सोशल मीडिया के पचड़ों में उलझे रहते हैं। लेकिन 4 कदम चलने की जहमत नहीं उठाते हैं।हमारी जीवनशैली में एक्टिविटी की कमी के कारण ही मोटापा होता है। यह पुरानी कहावत है कि मोटापा सौ बीमारियों की जड़ है। यह सच है कि समय रहते यदि ओबेसिटी को खत्म न किया जाये, तो यह कई खतरनाक बीमारियों को न्योता दे सकता है। यही वजह है कि लोगों को मोटापे से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व मोटापा दिवस (World Obesity Day) मनाया जाने लगा।
क्या है विश्व मोटापा दिवस (World Obesity Day)
वर्ल्ड ओबेसिटी डे (World Obesity Day) लोगों को स्वस्थ वजन हासिल करने और उसे बनाए रखने के लिए जागरूक बनाता है। यह मोटापे के उचित उपचार के लिए व्यावहारिक समाधानों को प्रोत्साहित करता है।
2015 में वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की पहल पर यह शुरू किया गया, ताकि लोगों को स्वस्थ वजन हासिल करने और बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। मोटापे के प्रति जागरूकता के लिए रिबन पिन भी संकेत रूप में प्रचारित किया गया। पीला मोटापा के प्रति जागरूकता का रंग है। यह पिन वास्तव में यह बताने में मदद करता है कि आप मोटापे की जागरूकता का समर्थन करती हैं।
क्या कहते हैं शोध
इंडियन जर्नल ऑफ़ कम्युनिटी मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार, गुजरात के जामनगर शहर में वयस्क आबादी के वजन पर स्टडी की गई। शोधकर्ता भाविन एन वडेरा, सुधा बी यादव, बाबूसिंह एस यादव की टीम के अनुसार, विश्व स्तर पर मोटापा महामारी के अनुपात में पहुंच गया है। यह कई क्रोनिक डिजीज होने में प्रमुख कारण बनता है।
महिलाओं का वजन अधिक बढ़ता है
पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वजन अधिक बढ़ा था। कुल कैलोरी सेवन और स्नैकिंग की आदत का वजन बढ़ने के साथ सकारात्मक संबंध था। अधिक वजन वाले लोग सामान्य लोगों की तुलना में तेल का सेवन अधिक कर रहे थे। वहीं मोटे लोग सब्जियों का औसत सेवन कम कर रहे थे। हाल में वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के किये गये शोध के अनुसार, अधिक वजन वाली आबादी में स्वस्थ वजन वाले लोगों की तुलना में मृत्यु दर का जोखिम 22% अधिक होता है। मोटे लोगों में यह जोखिम दोगुना हो जाता है।
गेस्टेरो एंटेरोलोजिस्ट और ओबेसिटी डॉक्टर अविनाश टांक अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताते हैं रोजाना की जिंदगी में ओबेसिटी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
मोटापा के कारण सांस लेने में समस्या, अधिक पसीना आना, खर्राटे लेना, हमेशा थका हुआ महसूस करना, बैक और जॉइंट पेन, आइसोलेट महसूस करना आदि समस्या हो सकती है।
अविनाश टांक बताते हैं कि मोटापा सीधे तौर पर हार्मोनल इम्बैलेंस से जुड़ा हुआ है। यह टेस्टोस्टेरोन लेवल को घटा देता है। इसकी वजह से सेक्सुअल डिजायर खत्म हो सकती है।
मोटापे से हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल असामान्य होने की अधिक संभावना होती है। इससे हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol), या ट्राइग्लिसराइड्स के हाई लेवल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे डिसलिपिडेमिया भी कहा जाता है। ये सभी हृदय रोग और स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक हैं।
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कस्टमाइज़ करेंमोटापा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए शरीर द्वारा इंसुलिन का उपयोग करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। इससे इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह का खतरा खासकर टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है।
अधिक वजन वाली महिलाओं में घुटने के ओस्टियो आर्थराइटिस का जोखिम लगभग 4 गुना अधिक हो जाता है। अधिक वजन वाले पुरुषों के लिए जोखिम 5 गुना अधिक हो जाता है।
जोड़ों पर यांत्रिक तनाव बढ़ने से बेली फैट शरीर में पुरानी सूजन के जोखिम को भी बढ़ा देती है। यह पुरानी सूजन गठिया और अन्य विकारों को बढ़ावा दे सकती है।