सर्दियां खत्म होते ही बसंत ऋतु और फिर गर्मियों का मौसम लोगों को राहत देता है। गर्मियों के मौसम का मतलब होता है आरामदायक कपड़े पहनने की सुविधा। साथ में स्वादिष्ट रस भरे आम और तरबूज तथा नारियल पानी खाने-पीने की आजादी। लेकिन हम इसी मौसम में कई बार अपनी सेहत के प्रति लापरवाह भी हो जाते हैं और बीमार पड़ जाते हैं। इस मौसम का एक और खतरा हो सकता है मलेरिया। अगर आप इसे केवल मानसून की समस्या मान रहे हैं, तो आपको अपनी गलतफहमी तुरंत दूर करने की जरूरत है। वर्ल्ड मलेरिया डे (World Malaria Day 2023) के अवसर पर जानें, क्या हैं गर्मियों में भी मलेरिया के जोखिम और इनसे कैसे बचा (How to avoid malaria risk) जाना चाहिए।
इस साल, वैसे भी बेमौसमी बारिश और गर्मी बढ़ने से मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है। पिछले एक महीने के दौरान मच्छरों का तेजी से प्रसार हुआ है जो अपने साथ कई रोगों को लेकर आया है। मलेरिया ऐसा ही एक रोग है जो आमतौर से मानूसन में ज्यादा फैलता है, लेकिन साल के बाकी महीनों में भी यह रोग लोगों का पीछा नहीं छोड़ता।
हालांकि सरकारी प्रयासों और आम जनता की पहल के चलते शहरों में मलेरिया का प्रकोप पिछले कुछ समय में कम हुआ है, लेकिन ग्रामीण और गर्मी के साथ उमस वाले इलाकों में इसकी वजह से अब भी बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं।
मलेरिया रोग प्लासमोडियम नामक परजीवी की वजह से फैलता है जो कि मादा एनोफिलीस मच्छर के काटने से प्रसारित होता है। मनुष्यों को संक्रमित करने वाले दो सबसे सामान्य प्रकार के प्लासमोडियम हैं – वीवैक्स और फैल्सीपरम हैं, जिनमें फैल्सीपरम अधिक घातक होता है और ये सेरीब्रल मलेरिया करता है।
1) ठंड चढ़ने के बाद बुखार और अत्यधिक कंपकंपनी होना, यह चक्र बार-बार चलता है
2) सिर दर्द, शरीर में अकड़न और दर्द तथा जोड़ों में दर्द
3) जॉन्डिस तथा हिमोग्लोबिन कम होना
4) लो ब्लड शूगर और पेशाब में खून
5) दौरे और कोमा (लंबी बेहोशी) जो कि खासतौरसे फैल्सीपरम मलेरिया के लक्षण हैं।
मलेरिया का उपचार न किया जाए तो यह जीवनघाती हो सकता है और इसकी वजह से सांस के रोग और गुर्दे की खराबी, अकारण रक्तस्राव और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
इसलिए जैसे ही आपको मलेरिया के लक्षण दिखायी दें, तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें, मलेरिया की जांच करवाएं और एंटी मलेरियल दवाओं का प्रयोग शुरू किया जा सकता है जो जीवनरक्षा में सहायक होती हैं। जांच की सुविधा मुफ्त उपलब्ध है और यह जांच माइक्रोस्कोप के नीचे स्लाइड रखकर या रैपिड एंटीजन किट की मदद से की जा सकती है जिसका परिणाम तत्काल पता चल जाता है।
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एंटीमलेरियल दवाएं अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं और इनके सेवन से लक्षणों में तेजी से आराम मिलता है। कभी-कभी एंटीमलेरियल दवाएं उन यात्रियों को भी दी जाती हैं, जो ऐसी जगहों पर जा रहे होते हैं जहां मलेरिया रोग काफी अधिक होता है।
जैसा कि हम जानते हैं, ‘इलाज से बेहतर और आसान होता है बचाव’, तो मलेरिया समेत अन्य रोगों के मामले में भी यह बात सही है। यदि हम पूरी आबादी के स्तर पर बचाव के उपायों पर अमल करें, तो मलेरिया के साथ-साथ मच्छरों से ही फैलने वाले डेंगू जैसे रोग पर भी काबू पाया जा सकता है।
1. घरों में और आसपास पानी को रुकने न दें
2. रुके हुए पानी पर लार्वा नाशक कीटनाशकों का छिड़काव करें
3. सोसायटियों तथा कालोनियों में नियमित रूप से फॉगिंग करवाएं
4. मच्छरों से कटने से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानियों, ऐरासॉलाइज़्ड कीटनाशकों का प्रयोग करें
5. DEET या पिकारिडीन आधारित कीटरोधक का इस्तेमाल करें, इन्हें त्वचा और कपड़ों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है
6. घरों में जाली वाले दरवाज़ों और खिड़िकयों का जहां तक संभव हो सके, प्रयोग करें
7. कीटरोधी गुणों से युक्त हर्बल पौधों को लगाएं
8. कपूर और धूप जलाने से भी फायदा मिल सकता है।
मच्छर-मलेरिया से बचाव के लिए इन उपायों को अपनाएं और बीमारियों से बचें।
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