समय बहुत तेजी से बदल रहा है। कल तक जिसे ऐब समझा जाता था आज वही पार्टी कल्चर है। पर आपका शरीर और उसके भीतरी अंगों की कार्य प्रणाली नहीं बदली है। उनके काम करने का तरीका अब भी वही है, जो आपके जन्म के समय या आपके पूर्वजों के समय रहा होगा। बदलते समय और खराब होते लाइफस्टाइल ने इन अंगों की कार्य क्षमता को प्रभावित जरूर किया है। जिसके कारण लोग बहुत कम उम्र में बहुत सारी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इनमें लिवर संबंधी बीमारियां भी शामिल हैं। शराब के बढ़ते चलन और अत्यधिक खपत ने आपके लिवर (Alcohol consumption effect on liver) को बर्बाद कर दिया है। आज वर्ल्ड लिवर डे के उपलक्ष्य पर आपको यह एक बार फिर से जान लेना चाहिए कि शराब का अत्यधिक इस्तेमाल अब भी लिवर डिजीज (Early signs liver damage from alcohol) का सबसे बड़ा कारण है।
लिवर स्वास्थ्य और अत्यधिक शराब के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने बात की डॉ. शुभम वत्स्य से। डॉ शुभम फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद में सलाहकार – गैस्टोएंट्रोलॉजी हैं।
डॉ शुभम बताते हैं, “भारत में लिवर की बीमारियां तेज़ गति से बढ़ रही हैं और 20 से 30 फीसदी वयस्क इससे प्रभावित हैं। इसकी वजह से मरने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। इस बीमारी की वजह से हर वर्ष 2,68,580 लोगों की मौत होती है, जो कुल मौतों में से 3.17 फीसदी है।”
दुनिया भर में लिवर की वजह से 20 लाख से ज़्यादा मौतें होती हैं और भारत की इसमें 18.3 फीसदी हिस्सेदारी है।
लिवर से जुड़ी बीमारियों के प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E) , हेप्टोबिलियरी (hepatobiliary) और पैनक्रिएटिक एस्केरिएसिस (pancreatic ascariasis), हाइडेटिड (hydatid) बीमारियां शामिल हैं।
लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण एल्कोहॉल है, जो लिवर सिरॉसिस के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। लेकिन बीते वर्षों में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या में जबरदस्त तेज़ी देखने को मिली है। यह कहा गया है कि वर्ष 2035 तक एनएएफएलडी, लिवर सिरॉसिस के सबसे सामान्य कारण के तौर पर एल्कोहॉल को भी पीछे छोड़ देगा।
इस संख्या में आई तेज़ी का मुख्य कारण जीवनशैली के निष्क्रिय जीवनशैली में बदलने और खानपान की खराब आदतें हैं। जिनकी वजह से मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। उपचार न होने पर एनएएफएलडी लिवर फाइब्रॉसिस, लिवर सिरॉसिस और लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है।
भूख खत्म हो जाने या खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण लिवर की सूजन या हेपेटाइटिस के शुरुआती चरणों में देखने को मिलते हैं। मरीज़ों को खाना खाने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाती है और खाना देखकर भी उन्हें परेशानी हो जाती है।
लिवर की बीमारियों के शुरुआती चरण में व्यक्ति को किसी भी तरह शारीरिक कार्य करने की क्षमता में कमी महसूस होने लगती है और थकान का अहसास होता है। थकान का अहसास बीमारी के गंभीर होने या लिवर में सूजन के बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है।
अचानक से वज़न कम होना, वज़न में ऐसी गिरावट होती है जिस पर आसानी से गौर किया जा सकता है और यह गिरावट तब भी होती है जब व्यक्ति वज़न कम करने की कोशिश भी नहीं कर रहा होता है। अचानक से वज़न कम होना शुरुआती दौर की लिवर की बीमारी का लक्षण हो सकता है और इसकी जांच होनी ज़रूरी होती है।
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कस्टमाइज़ करेंचूंकि लिवर की बीमारी शुरुआती दौर में होती है, ऐसे में बिलीरुबिन का स्तर 2-3 एमजी% होना सामान्य बात है और इसे आंखों व मूत्र में देखा जा सकता है। आंखों में ऊपर की ओर सफेद हिस्सों की सामान्य जांच से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि यह पीलापन शुरुआती स्तर की बीमारी से जुड़ा है या नहीं।
पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर भारीपन महसूस होना, लिवर के ऊपर कैप्सूल को परेशान करने वाले लिवर के टिशू का लक्षण है। मरीज़ को बिना किसी गंभीर दर्द या परेशानी के पेट के दाएं हिस्से में संवेदनशीलता महसूस होती है।
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