World Chronic Fatigue Syndrome Awareness Day : 40 की उम्र में दाखिल हो रहीं हैं, तो समझें हर समय की थकान का कारण

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम किसी भी उम्र में परेशान कर सकता है, पर जब आप अपनी उम्र के 40वें वर्ष में प्रवेश करती हैं, तब आपको और भी ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत है।
kya hai chronic fatigue ke treatment
ज्यादा थकान के कई कारण हो सकते है। चित्र : शटरस्टॉक

बढ़ती उम्र के साथ – साथ हमारा शरीर कई बीमारियों से घि‍रने लगता है। खासकर 40 – 50 की उम्र के बाद महिलाओं में शारीरिक तौर से कई परिवर्तन होते हैं। इनमें से कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं- जैसे ज्यादा थकान या रोजाना के कार्यों को पूरा न कर पाना। अगर आपके साथ ही यह हर रोज़ की समस्या है, तो हो सकता है कि आपको क्रोनिक फटीग सिंड्रोम है!

12 मई, आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन को विश्व क्रोनिक फटीग सिंड्रोम जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे संभवत: क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) या फाइब्रोमाएल्जिया जैसी बीमारी से पीड़ित थीं। इस दिवस का उद्देश्य इस चिकित्सा स्थिति और इसके कारणों, लक्षणों और इलाज के बारे में जागरूकता फैलाना है।

जानिये क्या है क्रोनिक फटीग सिंड्रोम?

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम एक कॉम्प्लेक्स डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक अत्यधिक थकान महसूस करता है और यह थकान आराम करने के बाद भी नहीं जाती है। कभी-कभी यह व्यक्ति की सामान्य दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है। क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का सबसे आम लक्षण है पूरा दिन थकान महसूस करना और इसके बावजूद भी नींद न आना। यदि नींद आती है, तो उसके बाद भी 24 घंटे से ज्यादा के लिए थकान महसूस करना।

इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं और कई अन्य बीमारियों के समान हैं जैसे:

जोड़ों में दर्द
शॉर्ट टर्म मेमोरी या एकाग्रता समस्या
सिर दर्द
चक्कर आना
नींद आना
जी मिचलाना
फ्लू जैसे लक्षण
अवसाद, तनाव और चिंता
सहनशक्ति में कमी

अवसाद, तनाव और चिंता हो सकते हैं क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लक्षण. चित्र : शटरस्टॉक
अवसाद, तनाव और चिंता हो सकते हैं क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के लक्षण. चित्र : शटरस्टॉक

कब है चिंता की बात

यदि व्यक्ति 6 ​​महीने से अधिक समय से गंभीर थकान से पीड़ित है और उपरोक्त लक्षणों का भी अनुभव करता है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि रोगी को क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है।

इस संभावना का पता लगाने के लिए संपूर्ण चिकित्सा इतिहास और व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति की जांच भी आवश्यक होगी। हालांकि, फटीग सिंड्रोम के निदान के लिए कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं है। क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का कोई सटीक या विशिष्ट इलाज नहीं है पर डॉक्टर्स इसके लक्षणों का इलाज ज़रूर कर सकते हैं।

क्‍या हो सकते हैं इसके संभावित कारण

इस डिसऑर्डर को लेकर कई शोध होने के बावजूद वैज्ञानिक अभी तक इसके सटीक कारणों की पहचान नहीं कर पाए हैं। कुछ संभावित कारण निम्नलिखित हैं:

किसी प्रकार का संक्रमण
निम्न रक्तचाप जो बेहोशी का कारण बन सकता है
पोषण की कमी
प्रतिरक्षा रोग
तनाव
एनवायरनमेंट फैक्टर
एलर्जी

क्‍या हैं बचाव के उपाय

खुद को इस बीमारी से दूर रखने के लिए आप अपने जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं। अपने आहार – विहार को बदलने से आप सिर्फ क्रोनिक फटीग सिंड्रोम को ही नहीं बल्कि अन्य जटिल बीमारियों के जोखिम से भी बच सकती हैं जैसे:

अच्छी नींद लें और स्लीप साइकिल मेन्टेन करें। चित्र-शटरस्टॉक।
अच्छी नींद लें और स्लीप साइकिल मेन्टेन करें। चित्र-शटरस्टॉक।

1 स्लीप साइकिल मेन्टेन करना

अपने जीवन को सही रूटीन में ढालने के लिए एक सही स्लीप साइकिल मेन्टेन करना बेहद ज़रूरी है। समय पर सोना और जागना, साथ ही नियमित रूप से इसे जीवन का हिस्सा बना लेने मात्र से ही आपको कई सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

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2 एक्सरसाइज करना

व्यायाम सेहत के लिए कितना ज़रूरी है यह हम सभी जानते हैं मगर इसे रोज़ करने से ही आपको अपने स्वास्थ्य में सुधार दिखेगा। भले ही थोड़ी देर के लिए एक्सरसाइज करें पर रोज़ करें। सुबह की मोर्निंग वॉक या जॉगिंग सबसे अच्छा विकल्प है!

3 पौष्टिक आहार लें

आप जैसा आहार लेती हैं उसका सीधा असर आपके मन मस्तिष्क पर पड़ता है। ज्यादा तला हुआ या जंक खाने से शरीर में अपने आप ही सुस्ती और शिथिलता आती है। इसलिए, सबसे ज़रूरी है कि आहार में ताज़े फल सब्जियां ज़रूर शामिल हों जिससे इम्युनिटी भी अच्छी रहे।

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प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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