एचआईवी पॉजिटिव माताएं अपने बच्चे को गर्भावस्था, जन्म या जन्म के बाद भी स्तनपान के माध्यम से एचआईवी संचारित कर सकती हैं। मगर उचित परीक्षण, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) और कुछ उपायों के साथ, मां से बच्चे में वायरस के संचरण की संभावना को कम किया जा सकता है।
गर्भाधान से पहले एचआईवी के लिए परीक्षण करवाना उचित है ताकि पॉज़िटिव पाए जाने पर एआरटी शुरू किया जा सके। पहले से ही एचआईवी पॉजिटिव रोगियों में वायरल लोड को मापा जाना चाहिए।
यदि महिला पहले से ही एचआईवी पॉज़िटिव हैं, तो एआरटी जारी रखा जाना चाहिए। यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान सबसे पहले एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है, तो तुरंत एआरटी शुरू किया जाना चाहिए जो जीवन भर जारी रहेगा।
नियमित एआरटी लेने से मां से बच्चे में संचरण का जोखिम 1 प्रतिशत से भी कम हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से प्रसव पूर्व जांच करानी चाहिए। जहां वायरल लोड सहित सारे टेस्ट दिशानिर्देशों के अनुसार की जानी चाहिए।
हालांकि भारत में, वेजाइनल डिलीवरी की सिफारिश की जाती है। मगर यदि प्रसव सीजेरियन सेक्शन द्वारा किया जाता है, तो संचरण का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा, यदि रोगी पहले से ही एआरटी ले रहा है, जो वायरल लोड को कम करता है, तो मां से बच्चे में वायरस का जोखिम कम हो जाता है।
प्रसव के दौरान जो महिलाएं एचआईवी पॉज़िटिव आती है, उनका एआरटी तुरंत शुरू किया जाता है, जो जीवन भर जारी रहेगा। यदि संभव हो तो वायरल लोड को भी मापा जाना चाहिए।
एचआईवी संक्रमित माताओं से जन्म लेने वाले सभी बच्चों का जन्म के समय, 6 सप्ताह के बाद और 18 महीने के बाद या स्तनपान बंद करने के बाद एचआईवी के लिए परीक्षण किया जाता है।
एचआईवी संक्रमित मां से पैदा होने वाले बच्चे को 12 सप्ताह तक कम से कम 6 सप्ताह के लिए एआरटी प्रोफिलैक्सिस दिया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि मां में एआरटी कब शुरू हुआ था।
भारतीय दिशानिर्देश 6 महीने तक केवल स्तनपान कराने और उसके बाद ठोस आहार और स्तनपान जारी रखने की सलाह देते हैं। एक बार बिना मां के दूध के बच्चे को पर्याप्त पोषण आहार मिलना शुरू हो जाए तो स्तनपान बंद कर देना चाहिए। यदि मां किसी कारणवश बच्चे को विशेष रूप से स्तनपान नहीं करा सकती है, तो मिश्रित आहार दिया जा सकता है।
बशर्ते कि माँ नियमित रूप से एआरटी ले रही हो। मां के लिए अपना एआरटी जारी रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वायरल लोड कम होगा और इसलिए वायरस के संचरण का जोखिम भी कम होगा।
स्तन के दूध के माध्यम से एचआईवी वायरस के संचरण की संभावना है। मां को ब्रेस्टफीडिंग और रिप्लेसमेंट फीडिंग दोनों के फायदे और नुकसान को समझना चाहिए और उसी के मुताबिक फैसला लेना चाहिए।
मां से बच्चे में एचआईवी के संचरण के जोखिम को पर्याप्त और समय पर एआरटी, प्रसव के सुरक्षित तरीकों, प्रसवपूर्व अवधि के दौरान और प्रसवोत्तर अवधि में मां की अच्छी देखभाल से कम किया जा सकता है।
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