न सुबह-सुबह उठकर तैयार होना और न ट्रैफिक का झंझट, वर्क फ्रॉम होम (Work from home) अच्छा लग रहा है न? कोविड-19 के कारण हुआ लॉकडाउन कुछ लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है। वे बिस्तर पर बैठकर काम कर रहे हैं और ओटीटी प्लेटफॉर्म का जमकर आनंद ले रहे हैं। पर क्या आप जानती हैं कि दिन भर एक ही कमरे में कैद रहने से आप शारीरिक तौर पर निष्क्रिय होती जा रहीं हैं? और इसका खामियाजा आपकी हड्डियों (Bone Health) को उठाना पड़ सकता है। आज वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे (World Osteoporosis Day) के अवसर पर आपको जानना चाहिए हड्डियों से जुड़ी इस खतरनाक बीमारी के बारे में सब कुछ।
मौजूदा समय में युवाओं अथवा मिडिल एज महिलाओं में जोड़ों का दर्द होना कोई नई अथवा असामान्य बात नहीं रह गई है। तब और भी जब कोविड-19 संक्रमण सभी लोगों के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका। जिसके चलते लोगों को अपने घरों में कैद होना पड़ रहा है।
लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्राम होम बहुत लोकप्रियता हासिल कर चुका है। इसी वजह से कारपोरेट सेक्टर में काम करने वालों के बीच जोड़ों का दर्द भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। घर के आरामदेह वातावारण में काम करने और काम के लिए कोई सही स्थान न होने की वजह से जोड़ों में दर्द पैदा हो रहा है।
बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि उम्र के तीसरे दशक के मध्य तक पहुंचते-पहुंचते हड्डियों का घनत्व अधिकतम अवस्था में आ जाता है। इसके बाद से और महिलाओं के मेनोपॉज की अवधि तक हड्डियों का घनत्व लगातार घटने लगता है। शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने के कारण हड्डियों में क्षरण शुरू हो जाता है। इसके नतीजे यह होते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो जाती है।
मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम के ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. जतिंदर बीर सिंह जग्गी कहते हैं, इन दिनों जब कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन में शारीरिक गतिविधियां अत्यंत कम हो गई हैं, तब यह जानना जरूरी है कि थोड़ी सी शारीरिक गतिविधियां या कसरतें एक दवा की तरह काम करती हैं।
फैमिली हिस्ट्री, ओबेसिटी, शारीरिक गतिविधियों में कमी, बढ़ती उम्र, ऑस्टियोपोरोसिस के संभावित कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही रुमेटाइड ऑर्थराइटिस जैसे महत्वपूर्ण कारणों की वजह से जोड़ों के दर्द के मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही विटामिन डी 3 और बी12 की कमी भी जोड़ों और हड्डियों की मजबूती को नुकसान पहुंचाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस मुख्य रूप से हड्डियों के घनत्व के कम होने के कारण होता है। रीढ़ की हड्डी तथा हिप ज्वाइंट के टिश्यू बढ़ती उम्र के कारण क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी की वजह से तीव्र पीठ दर्द होता है और इसी की वजह से कमर झुकने की शिकायत हो जाती है। लंबे समय तक यदि रीढ़ की चोट का इलाज न हो तो असाध्य दर्द की समस्या हो सकती है।
डॉ. जग्गी के मुताबिक रीढ़ और हिप की बोन मिनरल डेंसिटी (BMD) टेस्ट के द्वारा ऑस्टियोपोरोसिस का समय रहते पता लगाया जा सकता है। बीएमडी स्कैन टेस्ट एक प्रभावशाली जांच है। जिससे हड्डियों के घनत्व की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
कोविड-19 महामारी के दौरान सक्रिय जीवन शैली में गिरावट देखी गई है। घर से काम करना, ऑनलाइन शॉपिंग और डिलीवरी ने हमें सुविधा तो दी है, पर इसका खामियाजा हमारी हड्डियों की सेहत को भुगतना पड़ा है। इन्हें दुरुस्त रखने के लिए सक्रिय जीवनशैली को अपनाना जरूरी है।
इसलिए हर रोज व्यायाम करें, छोटी दूरियां पैदल तय करें, लिफ्ट की बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। बोन हेल्थ के लिए अपने आहार पर नजर रखना भी जरूरी है। अपने आप को सक्रिय रखना जोड़ों की कठोरता और संबंधित शिकायतों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
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