किसने सोचा होगा कि वर्क फ्रॉम होम जैसा भी कुछ हो सकता है? लेकिन अब देखिए, हमें ठीक वैसा ही करते हुए लगभग दो साल हो गए हैं। इससे हमारे वर्किंग लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आया है। उदाहरण के लिए, बहुत से लोग ऑफिस में कुर्सी के बजाय बिस्तर पर बैठकर अपने लैपटॉप पर काम करते हैं। क्या आप भी उनमें से एक हैं? केवल आप ही ने नहीं, बल्कि हम में से लगभग सभी ने वर्क फ्रॉम होम में बिस्तर पर काम करने की ओर मोड़ दिया है! इसके साथ ही सुबह का आलस्य और कंबल स बाहर न निकल पाना, आपके काम को और कठिन बना देता हैं। जानिए यह आपकी सेहत के लिए किस तरह नुकसानदेह है।
लोग बिस्तर पर काम करते समय भी झुक जाते हैं, हालांकि यह आपकी गर्दन, पीठ और रीढ़ के लिए बुरा होता है। सिर्फ ये साइड-इफेक्ट्स ही नहीं, बिस्तर से काम करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य सहित और भी कई नुकसान होते हैं! इस बारे में और जानने के लिए हमने डॉ. सोनल आनंद से बात की। डॉ. सोनल वॉकहार्ट अस्पताल, मुंबई में मनोचिकित्सक हैं। वे बता रहीं हैं कि कैसे बिस्तर से काम करना हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है और आत्मविश्वास में गिरावट ला सकता है।
महामारी के दौरान, कई लोग घर से काम कर रहे हैं, मुख्य रूप से एक समर्पित वर्कस्टेशन के बिना, खासकर बिस्तर पर। बिस्तर पर काम करने के कुछ मुख्य दुष्प्रभाव हैं:
“बेडरूम में मंद रोशनी स्ट्रेस या तनाव का कारण बनती है, जो मेंटल और इमोशनल हेल्थ को नुकसान पहुंचाती है। यह लंबे समय में आपके लिए बुरा हो सकता है, ”डॉ आनंद कहती हैं।
बिस्तर से काम करने से आपकी नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, जिससे वर्क प्रोडक्टिविटी, ऊर्जा स्तर और जीवन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है। अंततः यह सब आपके तनाव के स्तर को बढ़ाकर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।
अन्य कमरों की तुलना में बेडरूम में रोशनी कम होती है और कई लोग खिड़कियां बंद रखते हैं। इसलिए, सूर्य का प्रकाश, जिसे प्राकृतिक बूस्टर माना जाता है और आपको ऊर्जावान रहने में मदद करता है उसकी कमी होती है। जिससे आप सुस्त महसूस करने लगते हैं। डॉ आनंद कहती हैं, काम करते समय कम रोशनी आपको थका हुआ महसूस करा सकती है और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
यह आंखों पर दबाव डाल सकता है और आपकी सेक्स लाइफ को भी प्रभावित कर सकता हैं।
बिस्तर से काम करना और बिल्कुल भी न हिलना आपके शरीर पर चर्बी की एक एक्स्ट्रा परत चढ़ा सकता है। जिससे आप मोटे या अधिक वजन वाले हो सकते हैं।
यदि आप लगातार गलत स्थिति में बिस्तर पर बैठे हैं, तो यह खराब मुद्रा का कारण बन सकता है। इस प्रकार, आपको पीठ, गर्दन, हाथ, कलाई और आंखों में दर्द हो सकता है।
बिस्तर मुख्य रूप से नींद या अंतरंगता के लिए है। लेकिन, जब कोई इसे काम या पढ़ने के लिए इस्तेमाल करता है तो जागता रह सकता है। बिस्तर पर काम करने से नींद से जुड़ाव कमजोर हो जाएगा और व्यक्ति ठीक से सो भी नहीं पाएगा।
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कस्टमाइज़ करेंबिल्कुल भी हिलना-डुलना नहीं और बिस्तर पर एक ही जगह बैठे रहना एसिडिटी और बदहजमी को आमंत्रित कर सकता है।
यदि आप बिस्तर से काम करते हैं, तो आप विचलित और नींद महसूस करेंगे। जिससे काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।
बिस्तर के बजाय, एक मेज और कुर्सी का उपयोग करें। जिससे आप परेशानी मुक्त काम करने के लिए तैयार हैं। रात में सोने के लिए दिन भर न सोएं और अपने काम पर ध्यान दें।
अपनी मेज और कुर्सी की एर्गोनोमिक सेटिंग के साथ, आप पूरे दिन काम करते हुए अपनी मुद्रा को सही रख सकते हैं। वास्तव में, एक या दो इनडोर पौधों को अपने वर्क डेस्क के पास रखने से आपको इसे दिलचस्प बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, अपने लैपटॉप के चार्जर के तार और अन्य सामान को अपने डेस्क पर सलीके से रखें ताकि वहां भीड़ जमा न हों।
ड्रेस अप हों जैसे आप ऑफिस जाते समय करेंगे। ताकि सामान्य रूप से अच्छा महसूस हो सके। अपने पजामे में बिस्तर से काम शुरू करने से बचें। कपड़े बदलें और ऑफिस जैसा ही अपना एक उचित शेड्यूल सेट करें।
काम पर उत्पादकता बनाए रखने के लिए छोटे ब्रेक लेना वास्तव में महत्वपूर्ण है। यदि आप बिस्तर से काम कर रहे हैं तो आपको पीठ, गर्दन, हाथ और आंखों के दर्द से बचने के लिए समय-समय पर हिलना-डुलना पड़ता है। समय-समय पर स्ट्रेच करें। यह आपको मोटापा, एसिडिटी, तनाव, चिंता, चिड़चिड़ापन, निराशा और अवसाद से निपटने में भी मदद करेगा।
मानें या न मानें, लेकिन दिनचर्या बनाए रखना अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा करने का सही तरीका है काम का शेड्यूल बनाना, एक उचित कुर्सी पर बैठना, एक उपयुक्त कार्य वातावरण बनाना और वर्क-लाइफ संतुलन सुनिश्चित करने और अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने के लिए काम के घंटों को तय करना।
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