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चाइल्डबर्थ के बाद बढ़ सकता है पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर का खतरा, एक्सपर्ट बता रही हैं इसके बारे में सब कुछ

पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर एक आम समस्या है, जो आमतौर पर महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद अनुभव करती हैं। परंतु समय रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है, अन्यथा यह समस्याएं गंभीर रूप से आपको अपना शिकार बना सकती हैं।
Updated On: 19 Feb 2023, 05:23 pm IST
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पेल्विक फ्लोर को दें मजबूती। चित्र- शटरस्टॉक

हर महिला के लिए प्रेगनेंसी और चाइल्डबर्थ शारीरिक रूप से होने वाला एक परिवर्तन है। फीमेल पेल्विक सिस्टम को बनाने वाले मांसपेशियों एवं नर्वस को देखते हुए इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बच्चे को जन्म देने से शरीर पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर का खतरा अधिक होता है। कुछ महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद बार बार पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर (pelvic floor disorder after childbirth) का सामना करना पड़ता है। जो कि काफी दर्दनाक होता है।

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पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर क्या हैं?

यह ऐसी स्थितियां हैं, जो एक महिला के पेल्विक फ्लोर की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर देती हैं। पेल्विक फ्लोर शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जैसे कि ब्लैडर, रेक्टम, यूटरस और प्रॉस्टेट को एक जगह स्थिर रहने में मदद करता है। पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां आपके मल त्याग, मूत्र और विशेष रूप से महिलाओं के लिए यौन गतिविधियों को नियंत्रित रखने में मदद करती हैं।

कई ऐसे पेल्विक डिसऑर्डर हैं जो पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर के अंदरूनी अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं बाउल मूवमेंट और यूरिनेशन के दौरान कठिनाई होती है।

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अपने पेल्विक फ्लोर को मजबूत करें. चित्र : शटरस्टॉक

यहां जाने बच्चे के जन्म के बाद होने वाले पेल्विक डिसऑर्डर

हेल्थशॉट्स ने इस बारे में मदरहुड हॉस्पिटल, लुल्ला नगर, पुणे की कंसलटेंट ऑब्सटेट्रिशियन और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. पद्मा श्रीवास्तव से पेल्विक डिसऑर्डर के विषय पर बातचीत की उन्होंने इससे जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी साझा की है। तो चलिए जानते हैं उसके बारे में।

डॉक्टर श्रीवास्तव कहती है कि “वेजाइनल चाइल्डबर्थ के कारण होने वाले पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर यूट्रस, सरविक्स, वेजाइना, ब्लैडर और रेक्टम में दर्द और शिथिलता का कारण बनते हैं। हालांकि, यह कई अन्य समस्याओं का भी कारण बन सकता है। यह पेल्विक की मांसपेशियों के कमजोर होने सहित यूट्रस, ब्लैडर, रेक्टम और अन्य अंगों के जगह से इधर उधर होने और शिथिलता का कारण बन सकता है। इन स्थितियों को फौरन मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। क्योंकि आगे चलकर ये स्थितियां आपको गंभीर समस्या का शिकार बना सकती हैं। वहीं सेहत के प्रति लापरवाही बरतना बेवकूफी है।”

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यहां जाने पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के प्रकार

डॉ. श्रीवास्तव कहती हैं कि आमतौर पर लोगों को इन 4 तरह के पेल्विक डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। वहीं इनपर खास ध्यान देने की आवश्यकता है।

1. पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स (Pelvic organ prolapse)

यह एक ऐसी स्थिति है जब पेल्विक एरिया अपनी सामान्य स्थिति से योनि की ओर खिसक जाता है। वहीं यह पेल्विक फ्लोर के अंदर का कोई भी अंग हो सकता है जैसे कि गर्भाशय, मलाशय, मूत्राशय या योनि। ऐसे में सेक्स के दौरान महिलाओं को काफी ज्यादा दर्द का अनुभव करना पड़ता है।

2. यूरिनरी इनकांटीनेंस (Urinary incontinence)

इस स्थिति में पेल्विक की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं जिसकी वजह से छीकने, खांसने और हंसने वक्त यूरिन लीक होने की संभावना बनी रहती है। क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति यूरिन को कंट्रोल करने की क्षमता खो देता है। इसके साथ ही कई बार आपको बाथरूम जाने की इमरजेंसी होती है परंतु बाथरूम जाने से पहले ही मल बाहर निकल जाता है।

3. फिस्टुला (Fistula)

फिस्टुला की स्थिति में वेजाइना, ब्लैडर और रेक्टम का वॉल प्रभावित होता है। जिससे पेशाब और मल के लीक होने की संभावना बनी रहती है। वेजाइनल डिलीवरी के बाद आमतौर पर महिलाएं फिस्टुला का अनुभव करती हैं।

4. पेल्विक फ्लोर डैमेज (Pelvic floor damage)

वे महिलाएं जो अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, उनमे पेल्विक फ्लोर के डैमेज होने की संभावना बनी रहती है। वहीं समय के साथ पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि अंदरूनी अंगों के बाहर निकलने की संभावना भी काफी ज्यादा होती है।

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पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के प्रकार। चित्र : शटरस्टॉक

जाने पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के इलाज से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर एक सामान्य समस्या है, परंतु अभी भी कुछ महिलाएं इस समस्या पर खुलकर बातचीत नहीं कर पाती। हालांकि, पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर पर शुरुआत से ही ध्यान देने की आवश्यकता होती है, अन्यथा बाद में यह गम्भीर समस्या में तब्दील हो सकता है।

डॉ श्रीवास्तव ने पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के लिए कुछ जरूरी उपाय सुझये हैं:

नॉन सर्गिकल ट्रीटमेंट का अर्थ है ब्लैडर ट्रेनिंग जिसमें बाथरूम का उपयोग करना सिखाते है।

केगेल व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। जिसमें पेल्विक मसल्स को सिकोड़ने और फिर बाहर छोड़ने से पेल्विक डिसऑर्डर की समस्या से निपटने में मदद मिलती है।

कब्ज से बचने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ और फाइबर लेने की सलाह दी जाती है।

पेल्विक डिसऑर्डर से बचने के लिए उचित मल त्याग महत्वपूर्ण है। यदि आपको किसी प्रकार का बदलाव नजर न आए तो फौरन डॉक्टर से मिलें और इस विषय पर चर्चा करें।

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