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आठवें महीने में पोंछा लगाने से डिलीवरी नॉर्मल हो जाती है? सुनिए पड़ोस की आंटी की सलाह पर क्या कहती हैं एक स्त्री रोग विशेषज्ञ

गर्भावस्था से जुड़े कई मिथ्स को लोग आज भी बिना जानकारी के फॉलो करते हैं। आइए इस लेख में जानें ऐसे ही कुछ मिथ्स की सच्चाई।
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जानें प्रेगनेंसी के दौरान केयर के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स। चित्र अडोबी स्टॉक
Published On: 24 Feb 2023, 11:00 am IST

मां बनना किसी भी महिला के लिए जिंदगी का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। जब वो अपने गर्भ से एक नई जिंदगी को जन्म देती है। इस दौरान परिवार में हर कोई नन्हें मेहमान के आने का इंतजार कर रहा होता है। उसे कब क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, हर चीज का विशेष ध्यान रखा जाता है। लेकिन कई लोग इन सावधानियों को पुरानी धारणाओं से जोड़ने की कोशिश करते हैं। जबकि इनका कोई व्यवहारिक आधार नहीं होता।

ऐसी ही एक मान्यता है कि प्रेगनेंसी में भूख से ज्यादा खाना बच्चें के लिए फायदेमंद है। इस प्रेगनेंसी मिथ (pregnancy myths) की सच्चाई जानने के लिए हमने बात की बिजनौर की ऑब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नीरज शर्मा से, जिन्होंने प्रेगनेंसी से जुड़ें इन मिथ्स के बारें में खुलकर बात की।

चलिए जानतें हैं ऐसे ही कुछ खास मिथ्स के बारें में –

1. पहली डिलीवरी सी सेक्शन होने के बाद दूसरी डिलीवरी भी ऑपरेशन से ही होती है!

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नीरज के अनुसार डिलीवरी कैसी होगी यह निर्भर करता है कि पिछला ऑपरेशन किस कारण से हुआ था।

अगर महिला की पेल्विक का साइज छोटा है, तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन ही किया जाएगा। लेकिन अगर पिछले ऑपरेशन का कारण कोई इमरजेंसी रही है और दूसरे बच्चे के दौरान सभी चीज़े नॉर्मल हैं, तो ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होगी।

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अधिक भोजन लेने से प्रसव के समय दिक्कत आएगी। चित्र : शटरस्टॉक

2. प्रेगनेंसी में भूख से ज्यादा खाना बच्चे के लिए फायदेमंद है!

अक्सर कई लोगों का मानना होता है कि प्रेगनेंसी में भूख से ज्यादा खाना जरूरी होता है। इस मिथ को नकारते हुए गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नीरज ने कहा कि प्रेगनेंसी में ज्यादा खाने से जरूरी है हेल्दी डाइट लेना। एक बार में खाने के बजाय दिन में चार से पांच बार खाएं। जिससे खाना अच्छे से पचकर शरीर को पोषण दे पाए।

3. प्रेगनेंसी के सातवें महीने से बैठकर पोछा लगाना चाहिए, इससे डिलीवरी आसान हो जाती है!

इस मिथ पर बात करते हुए एक्सपर्ट नीरज का कहना है कि प्रेगनेंसी में बैठकर पोंछा लगाने जैसी धारणाएं बिल्कुल गलत हैं। क्योंकि आठवें महीने के बाद बच्चे का सिर पेल्विक में आने लगता है। ऐसे में पेल्विक पर जोर देने पर बच्चे की गर्दन टेड़ी होने का खतरा बढ़ जाता है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
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हेल्दी प्रेगनेंसी और सेफ डिलिवरी के लिए एक्सरसाइज फायदेमंद हो सकती है। । चित्र शटरस्टॉक।

4. प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए!

डॉक्टर नीरज का कहना है कि हेल्दी प्रेगनेंसी और सेफ डिलिवरी के लिए एक्सरसाइज फायदेमंद हो सकती है। लेकिन इस दौरान हार्ड वर्कआउट की बजाए हल्के-फुल्के व्यायाम या योग ट्राई करने चाहिए। इसके लिए आप वॉक और अनुलोम विलोम प्राणायाम भी ट्राई कर सकती हैं। जो बॉडी में मूवमेंट बनाए रखने में मदद करेंगे।

हेल्दी प्रेगनेंसी और सेफ डिलिवरी के लिए डॉ नीरज शर्मा की कुछ खास टिप्स

  • आपको कैफीन, सॉफ्ट ड्रिंक्स और एल्कोहल के सेवन पर परहेज रखना चाहिए। क्योंकि ये सभी चीज़े बच्चें के लिए नुकसानदायक मानी गई हैं।
  • इस दौरान झुकने और वजन उठाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि वजन उठाने का सीधा असर सीधा योनि पर पड़ेगा, जिससे दर्द या अन्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • प्रेगनेंसी के शुरूआती तीन महीने और आखिर के 2 महीने बिल्कुल भी ट्रेवलिंग नहीं करनी चाहिए। क्योंकि शुरूआत में भ्रूण एडजस्ट नहीं हुआ होता। ऐसे में थोड़ा भी प्रेशर पड़ने पर परेशानी हो सकती है।
  • डाइट का विशेष ध्यान रखें, दिन भर पर्याप्त पानी पीयें। साथ ही अपनी डाइट में विटामिन सी और डी भी जरूर शामिल करें।
  • प्रेगनेंसी में सिर्फ कंफर्टेबल क्लोथ ही पहनें, क्योंकि इस दौरान सभी बॉडी पार्ट डेवेलप हो रहे होते हैं।
  • डिलीवरी के बाद कच्चे पदार्थो का सेवन न करें, बल्कि इसके बजाय उबले हुए खाने का सेवन करें। जिससे इंफेक्शन होने का खतरा न रहें।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ईशा गुप्ता
ईशा गुप्ता

यंग कंटेंट राइटर ईशा ब्यूटी, लाइफस्टाइल और फूड से जुड़े लेख लिखती हैं। ये काम करते हुए तनावमुक्त रहने का उनका अपना अंदाज है।

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