सर्दियां कब्ज और बवासीर को भी ट्रिगर कर सकती हैं, खुद को आराम देने के लिए इन टिप्स का पालन करें
लोग अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि सर्दी के मौसम में संभावित रूप से किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं। बवासीर (hemorrhoids) एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो ठंड के महीनों के दौरान दर्दनाक हो जाती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी में सामान्य काम-काज प्रभावित हो सकता है।
शाब्दिक अर्थ में, बवासीर (hemorrhoids) गुदा रोग ( anal diseases) हैं जैसे पाइल्स (piles) , एनल फिस्टुला (anal fistula) और एनल फिशर (anal fissures) भी कहा जाता है। सर्दी के मौसम में बवासीर से लोग ज्यादा पीड़ित होते हैं, क्योंकि रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्त संचार बाधित हो जाता है। इस मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए शराब का सेवन लक्षणों को और खराब कर सकता है। बवासीर खुजली, दर्द, बेचैनी, मल त्याग विकार (bowel movement disorder) और रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
नीचे सूचीबद्ध 5 आसान उपाय हैं, जो सर्दियों के मौसम में खराब बवासीर से निपटने में मदद कर सकते हैं:
1. सिट्ज़ बाथ (Sitz bath):
यह बवासीर के लिए एक पारंपरिक उपाय है। यह सरल उपचार गर्म, उथले पानी में बैठकर किया जा सकता है। 15 मिनट तक सिट्ज़ बाथ करने से दर्द और खुजली से राहत मिलती है। यह बेहतर रक्त परिसंचरण को प्रोत्साहित करने में भी मदद करता है।
2. आहार में फाइबर युक्त भोजन शामिल करें:
बार-बार मल त्याग करने से बवासीर हो सकता है। पर्याप्त मात्रा में पानी के सेवन के साथ फलियां, साबुत अनाज, सब्जियां और फलों जैसे आहार में फाइबर और तरल पदार्थ को शामिल करके इसे नियमित किया जा सकता है।
3. जरूरत पड़ने पर तुरंत टॉयलेट का इस्तेमाल करें:
जब भी शौचालय का उपयोग करने की इच्छा उठती है, तो पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि मल त्याग न करने से कब्ज की समस्या बढ़ जाएगी। इसलिए, जरूरत पड़ने पर तुरंत शौचालय का उपयोग करने से तनाव से बचने और लंबे समय तक शौचालय पर बैठने में मदद मिलेगी। इससे मलाशय की मांसपेशियां ढीली हो सकती हैं।
4. ऊंचाई पर बैठें (Elevation):
पोडियम का उपयोग करके अपने पैरों को ऊपर उठाने से शौचालय पर बैठने का तरीका बदल जाएगा। यह मलाशय की स्थिति को इस तरह से बदलने में मदद करता है जिससे मल के आसान मार्ग की सुविधा मिलती है। यह बवासीर के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
5. नियमित व्यायाम करें:
नियमित व्यायाम हमारे शरीर को सक्रिय और फिट रखने में मदद करता है। अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करने से आंतों की गति को उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है, जो बवासीर के लक्षणों को दूर करने में मदद करेगा।
सारांश
एक मिथ है कि केवल 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के वृद्ध लोग ही बवासीर से पीड़ित होते हैं। मगर शोध से पता चला है कि किसी भी उम्र के लोग, इस चिकित्सा स्थिति को विकसित कर सकते हैं। बवासीर के बारे में लोग शर्मिंदा होते हैं और अक्सर उसे स्वीकार करने से बचते हैं।
कब्ज या दस्त से जुड़े तनाव और गर्भावस्था के दौरान पेट पर दबाव पड़ने से बवासीर हो सकती है। यह एक बहुत ही आम समस्या है जिसका सामना लोग करते हैं। हालत बिगड़ने पर डॉक्टर की सहायता लें।
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