अनियमित खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल ब्लोटिंग (Causes of bloating) की समस्या को बढ़ा देता है। वहीं मानूसन में अक्सर लोगों को पेट फूलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। साथ ही बेचैनी भी बढ़ने लगती है। कई बार ओवरइटिंग और अनहाइजीनिक फूड से भी बार बार पेट में गैस बनने, पेनफुल क्रैंप्स और एसिडिटी (reasons of acidity) का सामना करना पड़ता है। पाचनतंत्र की सेंसिटीविटी को रोकने के लिए कुछ खास बातों का अवश्य ख्याल रखें। जानते हैं मानसून में क्यों बढ़ने लगती है ब्लोटिंग की समस्या (causes of bloating during monsoon) और इससे निपटने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो।
आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन के अनुसार मानसून के दौरान उमस बढ़ने लगती है, जिससे पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। ऐसे में शरीर के डाइजेस्टिव ऑर्गन्स जैसे पेट, पैनक्रियाज़ और स्मॉल इंटेस्टाइन उचित प्रकार से काम नहीं करती हैं। इसके चलते गैस, एसिडिटी, सूजन और लो एपिटाइट (reasons of low appetite) का सामना करना पड़ता है।
कच्चे और अधपके खाद्य पदार्थ खाने से शरीर में साल्मोनेला और ईकोलाई जैसे माइक्रोऑरगेनिज्म (Risks of microorganism) के बढ़ने का खतरा बना रहता है। इस तरह के बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग (food poisoning) का कारण बनते है। इसके अलावा हैंड हाइजीन का ख्याल (tips to maintain hand hygiene) न रखना भी गट हेल्थ की समस्या को बढ़ा सकता है।
अधिक मात्रा में मिर्च मसाले से भरपूर खाना खाने से शरीर में टॉक्सिसिटी बढ़ने लगती है। साथ इन्हें पाचन में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नियमित रूप से स्पाइसी फूड खाने से ब्लोटिंग (Causes of bloating), पेट दर्द और डायरिया का खतरा बढ़ सकता है।
फूड की स्टोरज़ से लेकर उसे पकाने तक हाइजीन का ख्याल न रख पाने के चलते बैक्टीरियल ग्रोथ का खतरा बढ़ जाता है। इससे डाइजेशन स्लो होने लगता है और पेट में अपच, एसिडिटी और गैस बनने का खतरा बना रहता है।
खराब खाने और फिल्टर या बॉइल पानी का सेवन न करने से पेट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट दर्द, उल्टी, दस्त और ब्लोटिंग का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में घर का पका खाना ही खाएं। इससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलने लगती है।
पेट की क्षमता के ज्यादा खाना भी ब्लोटिंग की समस्या को बढ़ा देता है। इस समस्या से बचने के लिए भूख लगने पर ही खाना खाएं और बड़ी व हैवी मील्स की जगह स्मॉल मील्स को अपने आहार में शामिल कर लें।
ब्लोटिंग की समस्या (tips to avoid bloating) से बचने के लिए शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों की निकासी (tips to release toxins) आवश्यक है। इसके लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं, जिससे डाइजेशन को मज़बूती मिलती है और पाचन संबधी समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
अपने आहार में प्रोबोयोटिक्स को शामिल करने से गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ (How to increase good bacteria growth) बढ़ने लगती है। इससे शरीर में पोषण की एब्जॉर्बशन बढ़ जाती है और इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती है। आहार में दही, बटरमिल्क, कोम्बुचा और अचार को शामिल करें।
खाना खाने से लेकर खाना पकाने तक हाथों की स्वच्छता को मेंटेन रखें। इससे शरीर में बढ़ने वाले माइक्रोओरगेनिज्म के खतरे से बचा जा सकता है। इसके अलावा सब्जियों को पकाने से पहले अच्छी तरह से धोकर स्टीम कर लें। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
वे लोग जो खाना जल्दी खाते हैं, उससे शरीर में एरोफेगिया का खतरा बढ़ने लगता है। खाने को कम मात्रा में चबाकर जल्दबाज़ी में खाने से पेट में गैस भरने लगती है। इसके अलावा चिउंइग गम और एसिडिक बैवरेजिज भी ब्लोटिंग के खतरे को बढ़ा देती है। ब्लोटिंग से बचने के लिए खाना चबा चबाकर ही खाएं।
ये भी पढ़ें- मॉनसून में बढ़ जाती है ब्लोटिंग और अपच, तो बचाव के लिए आजमाएं ये 6 आयुर्वेदिक उपाय