डियर लेडीज, दो साल में दो बच्चों की मां बनना जोक नहीं, आपकी सेहत से जुड़ा मसला है
गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल सिर्फ सेक्स की आज़ादी नहीं देता, इनका मुख्य उद्देश्य जच्चा-बच्चा को सेहतमंद रखना है। विशेषज्ञ दो गर्भावस्थाओं के बीच एक आदर्श अंतराल (Birth spacing) की वकालत करते हैं। लॉकडाउन के दौरान कई जोड़ों ने बेबी प्लान किए। पर कहीं आप भी उन्हीं में से एक तो नहीं, जिन्होंने दो लॉकडाउन में दो बच्चों को जन्म दिया? अगर ऐसा है, तो आपको अपनी और अपने बेबी की सेहत के प्रति सजग हो जाना चाहिए।
महामारी, लॉकडाउन और फैमिली प्लानिंग
कोविड-19 महामारी के दौरान, संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में काफी लंबे समय तक लॉकडाउन लगाना पड़ा था। लेकिन महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान दो बातें स्पष्ट रूप से और एक साथ देखी गईं। एक तरफ प्रेगनेंसी के मामले बढ़े, वहीं गर्भावस्था में जटिलताओं का अनुपात भी काफी बढ़ गया। डेल्टा लहर के दौरान इनमें काफी बढ़ोतरी देखी गई।
यह भी देखने में आया कि गर्भपात के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई। कोविड-19 महमारी के चलते गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने और उनकी हालत बिगड़ने की आशंका बढ़ गई थी। सिर्फ प्रसव ही नहीं, बल्कि गर्भपात की वजह से भी माताओं की सेहत पर भी असर पड़ता है।
क्या होना चाहिए दो बच्चों के बीच आदर्श अंतराल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organisation) के अनुसार, एक प्रसव के बाद दोबारा गर्भधारण की कोशिश शुरू करने के बीच कम से कम 24 महीनों का अंतराल रखने की सलाह दी जाती है। अगर गर्भपात हो गया हो या कृत्रिम रूप से गर्भपात करवाया गया हो, तो अगले गर्भधारण तक कम से कम छह महीने का फासला रखना चाहिए। ताकि मां की सेहत और भावी प्रसव के दौरान कोई प्रतिकूल असर न हो।
हमेशा जन्म के बीच अंतराल (Birth spacing) की सलाह इसलिए दी जाती है, क्योंकि प्रीप्रेग्नेंसी, पोस्टपार्टम और इंटरप्रेग्नेंसी तथा महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल परस्पर जुड़े हुए हैं। इन पहलुओं को प्रेग्नेंसी के समय से जोड़कर देखा जाता है।
भविष्य में हो सकते हैं कई स्वास्थ्य जोखिम
जो महिलाएं गर्भधारण करती हैं, प्रेग्नेंसी को भविष्य में उनकी सेहत कैसी रहेगी, इस संदर्भ में देखा जाता है। गर्भावस्था के दौरान पैदा होने वाली जटिलताएं जैसे कि प्रसव पीड़ा और प्रसव के दौरान जननांग आघात (Genital trauma), गर्भावस्था में मधुमेह, गर्भकालीन उच्च रक्तचाप, प्रीक्लैम्पिसया तथा घातक वृद्धि रोध आदि आगे चलकर जीवन में अधिक जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं।
इसी तरह, डिलीवरी के 18 महीनों के भीतर पिछले सीज़ेरियन के बाद दोबारा प्रसव से गुजरने पर गर्भनाल संबंधी जटिलताओं और गर्भाशय के फटने जैसे जोखिमों से जुड़ा है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित
गर्भावस्था को वैसे ही शरीर पर तनाव के रूप में देखा जाता है। ऐसे में दो गर्भावस्थाओं के बीच की अवधि इन जटिलताओं को दूर करने या पिछली प्रेग्नेंसी के दौरान पैदा होने वाले चिकित्सकीय मुद्दों से निपटने का अवसर लेकर आती है। इसी दौरान किसी भी महिला की मानसिक तथा शारीरिक सेहत का आकलन किया जा सकता है तथा आगे चलकर जीवन में उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रयास किए जा सकते हैं।
भारत में, लड़के की चाहत और पिछली बार लड़की पैदा होने के चलते भी कई बार जल्दी-जल्दी गर्भधारण की प्रवृत्ति देखी गई है।
शोध से यह पता चला है कि एक प्रसव के छह माह के भीतर दूसरी बार गर्भधारण के चलते निम्न जोखिम बढ़ जाते हैं:
1 समय से पहले जन्म और गर्भपात
2 जन्म के समय सामान्य से कम वजन
3 मां के शरीर में खून की कमी और रक्तस्राव संबंधी जटिलताएं
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंइसके अलावा, शोध से ये भी संकेत मिले हैं कि जल्दी-जल्दी गर्भधारण करने से दूसरे बच्चे में ऑटिज़्म और शिज़ोफ्रेनिया का खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादा अंतर भी है खतरनाक
कुछ शोध यह भी बताते हैं कि दो प्रेग्नेंसी के बीच 5 साल से ज्यादा अंतर मांओं तथा शिशुओं के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जैसे कि उन महिलाओं में प्रीक्लेम्पिसया (प्रेग्नेंसी के चलते पैदा होने वाला उच्च रक्तचाप)हो सकता है जिनमें ऐसी कोई समस्या पहले नहीं रही हो।
इंटरप्रेग्नेंसी केयर काउंसलिंग के तहत्, गर्भरोधक विकल्पों के बारे में सलाह, शिशु को केवल स्तनपान कराने तथा पहले से शरीर में मौजूद चिकित्सकीय विकारों जैसे कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह आदि पर नियंत्रण रखने पर ज़ोर दिया जाता है। साथ ही, जल्दी गर्भधारण वाले मामलों में, नशीले पदार्थों का सेवन, पार्टनर द्वारा हिंसा तथा अवसाद आदि पहलुओं की जांच भी की जानी चाहिए।
कुल-मिलाकर, यह एक निजी मामला होता है कि कोई कपल किस समय प्रेग्नेंसी का निर्णय ले। ऐसे में महिला रोग विशेषज्ञ के साथ उपर्युक्त पहलुओं पर सलाह-मशविरा करना चाहिए ताकि मां और बच्चे का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके।
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