जिसे आप पीरियड क्रैम्प्स समझ रहीं हैं, कहीं वह दर्द अपेंडिक्टिस तो नहीं? हम दे रहे हैं पूरी जानकारी

अपेंडिक्स की हमारे शरीर को कोई खास ज़रूरत होती नहीं है, लेकिन अक्सर यह हमें तकलीफ बहुत देती है। अपेंडिक्टिस के विषय में यह जानकारी होना ज़रूरी है।
पेट दर्द से राहत दिलाये काला नमक और भुना जीरा । चित्र : शटरस्टॉक
पेट दर्द से राहत दिलाये काला नमक और भुना जीरा । चित्र : शटरस्टॉक
Updated On: 10 Dec 2020, 12:52 pm IST

अपेंडिक्स हमारी आंतों के पास एक छोटा सा ऑर्गन है, जो आदिमानव में सेल्यूलोस के पाचन का काम करता था। मनुष्यों ने घास खाना छोड़ दिया और धीरे-धीरे अपेंडिक्स बेकार ऑर्गन हो गया। लेकिन इसमें ज़रा सी समस्या हमें बहुत तकलीफ पहुंचा सकती है।

अपेंडिक्स हमारे शरीर में न के बराबर काम करता है, लेकिन समस्या बड़ी खड़ी कर सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपेंडिक्स के बारे में जानें और अपेंडिक्टिस होने से पहले ही सम्भल जाएं।

क्या है अपेंडिक्टिस?

अपेंडिक्टिस ऐसी बीमारी है जिसमें अपेंडिक्स में सूजन आ जाती है। इस सूजन का कारण होता है हमारे भोजन या म्यूकस का कोई तिनका जो अपेंडिक्स में पहुंच कर रुकावट पैदा करता है।

पेट में दर्द हो सकता है अपेंडिक्टिस. चित्र: शटरस्‍टॉक

मुंबई के जेन हॉस्पिटल के डायरेक्टर और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ रॉय पाटनकर बताते हैं, “यह ब्लॉकेज किसी पैरासाइट, स्टूल के कण इत्यादि से भी हो सकता है। इस ब्लॉकेज के कारण अपेंडिक्स में मौजूद बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं और इन्फेक्शन का कारण बनते हैं।”

अपेंडिक्स बड़ी और छोटी आंत के बीच में होता है, और इसका दर्द आपको पेट के निचले दाएं हिस्से में महसूस होता है।

अपेंडिक्टिस के लक्षण

जानें क्यों होता है अपेंडिक्टिस। चित्र- शटर स्टॉक।

डॉ पाटनकर के अनुसार लक्षण बीमारी की स्टेज पर निर्भर करते हैं। शुरुआती स्टेज में यह लक्षण नजर आएंगे-

• बुखार
• उल्टी
• पेट के निचले दाएं हिस्से में असहनीय दर्द
• दस्त

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किसे होती है यह समस्या?

बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं में इस समस्या की सबसे ज्यादा सम्भावना होती हैं।
डॉ पाटनकर बताते हैं, “यह कम उम्र के लोगों में भी काफी कॉमन है। लेकिन बुजुर्गों में समस्या ज्यादा गम्भीर रूप ले लेती है। अगर अपेंडिक्स फट जाए तो सेप्टिसीमिया (गम्भीर ब्लड इंफेक्शन) भी हो सकता है।”

गर्भावस्था में गर्भाशय बड़ा हो रहा होता है, ऐसे में यह अपेंडिक्स को ऊपर की ओर धकेल देता है। यह ज्यादा बड़ी समस्या खड़ी कर देता है, क्योंकि अपेंडिक्स की जगह बदल जाने के कारण दर्द की जगह भी बदल जाती है।

इसलिए अपेंडिक्टिस डायग्नोज़ होने में दिक्कत आती है। कई बार महिलाओं को लगता है कि यह गर्भावस्था का ही हिस्सा है। प्रेगनेंसी में भी गैस, दर्द, उल्टी इत्यादि की समस्या होती ही है। इसलिए अपेंडिक्टिस को पकड़ना मुश्किल हो जाता है।

लेकिन इसे इग्नोर करने से भविष्य के लिए बहुत गम्भीर समस्या हो सकती हैं।

अपेंडिक्टिस का दर्द किस जगह हो रहा है यह ध्यान देना ज़रूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

डॉक्टर की ज़रूरत कब पड़ती है?

डॉ पाटनकर सुझाव देते हैं, “अगर आपको पेट के निचले दाएं हिस्से में दर्द है और दर्द के साथ बुखार भी आ रहा है, तो डॉक्टर को दिखाएं। बुखार 101 डिग्री से ऊपर होने का अर्थ है अपेंडिक्स पेट मे ही फट गया और यह चिंता का विषय होता है।

इसलिए दर्द होने पर घर पर पेनकिलर न लें, सीधे डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही अगर सुबह बाथरूम जाने में समस्या है, कब्ज़ की दिक्कत हो रही है, तो भी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।”

चलते चलते

डॉ पाटनकर सुझाव देते हैं कि महिलाओं को ज्यादा सचेत रहना चाहिए और दर्द को इग्नोर नहीं करना चाहिए। समय पर पता लग जाने से इलाज आसान हो जाता है।

महिलाओं में यूटेरस और ओवरीज के कारण दर्द पकड़ना भी थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप जाने अपेंडिक्टिस के दर्द और पीरियड्स के दर्द में क्या फर्क है। इससे आप समय रहते सही इलाज पा सकेंगीं।

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