शिशु के जन्म के बाद महिला के खानपान से लेकर स्लीप पैटर्न में कई बदलाव आने लगते है। इसके अलावा ब्रेस्ट फीडिंग करवाने के चलते शरीर में बढ़ने वाली पोषक तत्वों की कमी का भी सामना करना पड़ता है। इन सभी के अलावा बहुत सी महिलाओं को पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन की शिकायत बढ़ जाती है। इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ही दिखने लगता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर पर नज़र बनाए रखना आवश्यक है। सबसे पहले समझते हैं पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन (postpartum hypertension) क्या है और कैसे इस समस्या को हल किया जा सकता है।
एएचए जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 10 फीसदी प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या शामिल होती हैं। इनमें जेस्टेशनल हाई ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया शामिल हैं। रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था के बाद उच्च रक्तचाप पहले की तुलना में अधिक बार हो सकता है। प्रेगनेंसी के बाद हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना संभव है। भले ही आपको पहले कभी यह न हुआ हो।
करंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार पोस्टपार्टम हाईपरटेंशन लगभग 2 फीसदी मामलों में देखने को मिलता है। ये पहले 48 घंटों से लेकर 6 सप्ताह के भीतर तक बना रहता है। जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल हाइपरटेंशन में 2009 के अनुसार डिलीवरी के बाद महिलाओं में बढ़ने वाली हाइपरटेंशन की स्थिति में सावधानीपूर्वक निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। इस समस्या के बढ़ने से हृदय और गुर्दे की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आमतौर पर डिलीवरी के बाद होने वाला 140/90 एमएमएचजी से ज्यादा ब्लड प्रेशर पोस्टपार्टम हाई ब्लडप्रेशर के रूप में जाना जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में ये समस्या देखने को मिलती हैं। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान कुल रक्त की मात्रा दोगुनी हो जाती है, जिससे रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
पीरियड्स और मेनोपॉज के अलावा डिलीवरी के बाद भी हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता हैं। इसके चलते शरीर में तेज़ी से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में कमी आने लगती है। इससे शरीर में ब्लडप्रेशर में उतार चढ़ाव आने लगते हैं।
शिशु की देखभाल के चलते महिलाएं अपने खाने और सोने का ख्याल नहीं रख पाती है। इससे तनाव और नींद की कमी का अनुभव करती हैं, जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ने लगता है। नींद की कमी शरीर में कई समस्याओं का कारण बनने लगती है।
शरीर को आराम न मिल पाने के चलते व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। ऐसे में तनाव की स्थिति उत्पन्न होने से हाईब्ल्ड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में दिन में कुछ वक्त अपने लिए समय निकाल पाने से व्यक्ति खुद को रिलैक्स महसूस करने लगता है।
खानपान में आने वाले बदलाव और आहार में ज्यादा नमक व स्मोकिंग हाई ब्ल्ड प्रेशर का कारण साबित होती है। इसके लिए अपनी मील्स को संतुलित रखें और समय पर खाना अवश्य खाएं। इससे ब्रेस्टफीडिंग में भी मदद मिलती है और ब्लडप्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है।
पोस्टपार्टम हाई ब्ल्डप्रेशर से राहत पाने के उपाय
महिलाओं को डिलीवरी के बाद बढ़ने वाली हाई ब्लड प्रेशर की समस्या कई कारणों से परेशान करने लगती है। ऐसे में नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चेक करने से उसे आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। डॉक्टर की ओर से सुझाई गई दवा के अलावा खुद रक्तचाप का ख्याल रखना आवश्यक है। इससे
आहार में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर रखें, ताकि शररी में सोडियम के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। हेल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर को संतुलित रखने में मदद करता है।
शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। इससे शरीर को डिटॉक्स रखने में मदद मिलती है। दिनभर में 8 गिलास पानी पिएँ। साथ ही कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें।
ब्लड के सर्कुलेशन को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से योग करें, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव और हेल्दी रहता है। सुबह उठकर योग करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।
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