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पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन से जूझ रही है, तो इन तरीकों से करें इस समस्या को हल

डिलीवरी के बाद महिलाओं में बढ़ने वाली हाइपरटेंशन की स्थिति में सावधानीपूर्वक निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। इस समस्या के बढ़ने से हृदय और गुर्दे की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समझते हैं पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन के कारण।
Published On: 25 Apr 2025, 07:30 pm IST
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Postpartum hypertension ke karan
रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था के बाद उच्च रक्तचाप पहले की तुलना में अधिक बार हो सकता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

शिशु के जन्म के बाद महिला के खानपान से लेकर स्लीप पैटर्न में कई बदलाव आने लगते है। इसके अलावा ब्रेस्ट फीडिंग करवाने के चलते शरीर में बढ़ने वाली पोषक तत्वों की कमी का भी सामना करना पड़ता है। इन सभी के अलावा बहुत सी महिलाओं को पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन की शिकायत बढ़ जाती है। इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ही दिखने लगता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर पर नज़र बनाए रखना आवश्यक है। सबसे पहले समझते हैं पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन (postpartum hypertension) क्या है और कैसे इस समस्या को हल किया जा सकता है।

एएचए जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 10 फीसदी प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या शामिल होती हैं। इनमें जेस्टेशनल हाई ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया शामिल हैं। रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था के बाद उच्च रक्तचाप पहले की तुलना में अधिक बार हो सकता है। प्रेगनेंसी के बाद हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना संभव है। भले ही आपको पहले कभी यह न हुआ हो।

Postpartum hypertension
लगभग 10 फीसदी प्रेगनेंसी में हाई ब्लडप्रेशर संबंधी समस्या शामिल होती हैं। इनमें जेस्टेशनल हाई ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया शामिल हैं।

पोस्टपार्टम हाईपरपरटेंशन क्या है (What is postpartum hypertension)

करंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार पोस्टपार्टम हाईपरटेंशन लगभग 2 फीसदी मामलों में देखने को मिलता है। ये पहले 48 घंटों से लेकर 6 सप्ताह के भीतर तक बना रहता है। जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल हाइपरटेंशन में 2009 के अनुसार डिलीवरी के बाद महिलाओं में बढ़ने वाली हाइपरटेंशन की स्थिति में सावधानीपूर्वक निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। इस समस्या के बढ़ने से हृदय और गुर्दे की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

आमतौर पर डिलीवरी के बाद होने वाला 140/90 एमएमएचजी से ज्यादा ब्लड प्रेशर पोस्टपार्टम हाई ब्लडप्रेशर के रूप में जाना जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में ये समस्या देखने को मिलती हैं। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान कुल रक्त की मात्रा दोगुनी हो जाती है, जिससे रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

High blood pressure ka skin par asar
प्रेगनेंसी के बाद हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना संभव है। भले ही आपको पहले कभी यह न हुआ हो।
चित्र अडोबी स्टॉक

इन कारणों से बढ़ने लगती है पोस्टपार्टम हाइपरटेंशन की समस्या (Causes of postpartum hypertension)

1. हार्मोनल परिवर्तन आना

पीरियड्स और मेनोपॉज के अलावा डिलीवरी के बाद भी हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता हैं। इसके चलते शरीर में तेज़ी से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में कमी आने लगती है। इससे शरीर में ब्लडप्रेशर में उतार चढ़ाव आने लगते हैं।

2. नींद की कमी

शिशु की देखभाल के चलते महिलाएं अपने खाने और सोने का ख्याल नहीं रख पाती है। इससे तनाव और नींद की कमी का अनुभव करती हैं, जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ने लगता है। नींद की कमी शरीर में कई समस्याओं का कारण बनने लगती है।

postpartum sleep
नींद बॉडी को हिल होने में और जल्द से जल्द रिकवर करने में मदद करता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

3. तनाव का बढ़ता स्तर

शरीर को आराम न मिल पाने के चलते व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। ऐसे में तनाव की स्थिति उत्पन्न होने से हाईब्ल्ड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में दिन में कुछ वक्त अपने लिए समय निकाल पाने से व्यक्ति खुद को रिलैक्स महसूस करने लगता है।

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4. लाइफस्टाइल में आने वाले बदलाव

खानपान में आने वाले बदलाव और आहार में ज्यादा नमक व स्मोकिंग हाई ब्ल्ड प्रेशर का कारण साबित होती है। इसके लिए अपनी मील्स को संतुलित रखें और समय पर खाना अवश्य खाएं। इससे ब्रेस्टफीडिंग में भी मदद मिलती है और ब्लडप्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है।
पोस्टपार्टम हाई ब्ल्डप्रेशर से राहत पाने के उपाय

5. ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग

महिलाओं को डिलीवरी के बाद बढ़ने वाली हाई ब्लड प्रेशर की समस्या कई कारणों से परेशान करने लगती है। ऐसे में नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चेक करने से उसे आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। डॉक्टर की ओर से सुझाई गई दवा के अलावा खुद रक्तचाप का ख्याल रखना आवश्यक है। इससे

6. स्वस्थ आहार लें

आहार में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर रखें, ताकि शररी में सोडियम के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। हेल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर को संतुलित रखने में मदद करता है।

postpartum diet
आहार में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करें।चित्र : एडॉबीस्टॉक

7. हाइड्रेटेड रहें

शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। इससे शरीर को डिटॉक्स रखने में मदद मिलती है। दिनभर में 8 गिलास पानी पिएँ। साथ ही कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें।

8. योग की मदद लें

ब्लड के सर्कुलेशन को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से योग करें, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव और हेल्दी रहता है। सुबह उठकर योग करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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