क्या है नास्य थेरेपी? क्या ये ओमिक्रोन से बचने में आपकी मदद कर सकती है

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में नास्य थेरेपी एक महत्वपूर्ण उपाय है, जो गला, नाक और मस्तिष्क संबंधी विकारों को दूर करने में इस्तेमाल की जाती है।
Nasya therapy covid me karegi aapki madad
शरीर में मौजूद तीन दोषों में से पित्त दोष की अधिकता को बालों के झड़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। चित्र : शटरस्टॉक
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देश में कोरोना वायरस संक्रमण के दौर ने हमें देखभाल और रहन-सहन का तरीका सिखा दिया है। कई अहम चीजों के महत्व पर भी लोगों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है। इन्हीं में से एक है आयुर्वेद चिकित्सा। आयुर्वेद का नाम सदियों से है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे अपने इलाज का माध्यम नहीं बनाते थे। 

जबकि कोरोना वायरस महामारी के दौर में ज्यादातर लोगों ने आयुर्वेद की ओर रुख किया है और इसकी विशेषताओं के बारे में समझा है। सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में आयुर्वेद को पहचान मिल रही है। पर अभी भी ऐसे बहुत से आयुर्वेदिक चिकित्सा उपाय हैं, जो लोगों के सामने खुलकर नहीं आ पाए। इन्हीं उपाय में से एक है नास्य थेरेपी (Nasya Therapy) । 

नास्य थेरेपी क्या है? इसकी विधि क्या है? यह किस तरह काम करती है? इसके फायदे क्या हैं और कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने में यह कितनी मदद कर सकती है? आज हम इन्हीं सवालों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

जानिए क्या है नास्य थेरेपी ? Know what is Nasya Therapy?

नास्य थेरेपी एक आयुर्वेदिक इलाज है, जो पंचकर्म उपचार में से एक है। नास्य थेरेपी को नास्य कर्म के नाम से भी जाना जाता है। नास्य का संदर्भ यहां नाक की नली से है। इस उपचार में सफल आयुर्वेदिक औषधि को नाक के माध्यम से शरीर में पहुंचाने का काम किया जाता है। 

आमतौर पर इन आयुर्वेदिक औषधियों में देसी घी, कई प्रकार के तेल और क्वाथ शामिल होता है। यह थैरेपी विशेष रूप से कान, नाक और गले के विकारों पर मददगार है। यह गर्दन के ऊपर के भागों में रोगों के लिए विशेष रूप से काम आता है।

Ayurveda ek lifestyle hai
आयुर्वेद एक जीवन शैली है। चित्र : शटरस्टॉक

“नासा ही शिरसो द्वारं” यह बात आयुर्वेद में स्पष्ट कही गई है। इसका अर्थ यह है कि हमारी नाक ही हमारे मस्तिष्क का रास्ता है। इसलिए मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों का भी इलाज नाक के जरिए आयुर्वेदिक औषधि डालकर किया जा सकता है। लेकिन क्या यह कोरोना संक्रमण के दौर में भी हमारी मदद कर सकता है? 

पहले समझिए क्या होता है पंचकर्म उपचार? 

पंचकर्म उपचार (Panchakarma Treatment) 5 तरह के आयुर्वेदिक कर्म ( थैरेपी) हैं। आसान भाषा में समझा जाए, तो यह पांचो हमारे शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन का एक प्रोसेस है। पंचकर्म उपचार में पांच आयुर्वेदिक उपचार शामिल हैं:

  1.  वमन (Medicated Emesis)
  2. विरेचन (Purgation)
  3. नस्यम या नास्य (Nasal Instillation)
  4. कषाय बस्ती (Enema)
  5. स्नेहा बस्ती (Enema)

अब जानिए कि क्या कोरोना से बचाव में मददगार है नास्य थरेपी 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोरोना वायरस संक्रमण का प्रवेश हमारे शरीर में नाक के माध्यम से ही होता है। संक्रमण का नया वेरिएंट ओमिक्रोन भी गले तक ही रहता है। इसके अलावा नास्य थेरेपी आपकी इम्यूनिटी बूस्ट करने का काम करती है। 

कोरोना काल में आपके काम आएगी नास्य थेरेपी। चित्र: शटरस्‍टॉक

ऐसे में महीने में आप यदि एक बार इस थेरेपी से गुजरती हैं, तो यह आपको कोरोना वायरस संक्रमण से काफी हद तक बचाने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा यदि आप पहले से संक्रमित हैं, तो यह आपको संक्रमण से जंग जीतने में भी काफी मददगार होगा।

जानिए आपके लिए कितनी फायदेमंद है नास्य थेरेपी?

  1. कई प्रकार के दर्द से मिलता है आराम 

सदियों से इस थेरेपी का इस्तेमाल सिरदर्द व माइग्रेन के दर्द में किया जा रहा है। यह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का भी एक आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट है जो वाकई काफी असरदार है। औषधीय तेल मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण केंद्रों को उत्तेजित करते हैं जो दर्द की धारणा को कम करते हैं ।

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  1. इम्यूनिटी बढ़ाने का करता है काम 

इस थेरेपी के माध्यम से हम अपनी इम्यूनिटी बूस्ट कर सकते हैं। हमारे शरीर में जो आयुर्वेदिक औषधियां इस थेरेपी के माध्यम से पहुंचाई जाती हैं, उसमें मौजूद तत्व हमारी इम्यूनिटी को बढ़ावा देने का काम करती है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में इम्यूनिटी ही संक्रमण से जंग जीतने में हमारी मदद कर सकती है।

  1. तनाव दूर करती है नास्य थेरेपी 

कोरोना वायरस का कोई भी वैरिएंट क्यों न हो, तनाव की स्थिति उत्पन्न कर देता है। संक्रमण से जूझ रहे कई मरीजों ने डिप्रेशन और तनाव जैसी कई शिकायतें की है। कुछ लोगों को संक्रमण से ठीक होने के बावजूद भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में यह थेरेपी आपके काफी काम आएगी। यह मस्तिष्क के महत्वपूर्ण केंद्रों को उत्तेजित करता है जो भावनाओं को नियंत्रित करती हैं।

तनाव को दूर करती है नास्य थेरेपी। चित्र : शटरस्टॉक
  1. फालिज के इलाज में भी उपयोगी है यह थेरेपी

आयुर्वेद के अनुसार यह नास्यकर्म फालिज जैसे गंभीर रोगों में भी फायदेमंद है। यह रोग पूर्ण रूप से मानसिक समस्याओं के कारण होता है। आयुर्वेद मानता है कि मस्तिष्क का सीधा रास्ता हमारी नाक से होकर गुजरता है। ऐसे में कई तत्व हमारी इस समस्या को दूर करने में सहायता कर सकते हैं।

चलते- चलते

नास्यकर्म में अलग-अलग प्रकार की औषधियों का उपयोग अलग-अलग प्रकार के रोगों के लिए किया जाता है। इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि दुष्प्रभाव की संभावनाएं केवल तब ही नहीं है जब यह किसी एक्सपर्ट थेरेपिस्ट द्वारा किया जाए। 

यदि आप भी थेरेपी लेना चाहती हैं, तो आप अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। हालांकि इस थेरेपी को लेने के लिए बाजारों में कई किट भी मौजूद हैं। जिस पर दिए गए दिशा निर्देश का पालन कर घर पर भी इसको किया जा सकता है। लेकिन सलाह यही है कि किसी विशेषज्ञ के पास जाकर ही यह थेरेपी करवाएं।

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