चलते-फिरते, उठते-बैठते अक्सर कभी-कभी हर किसी को फार्टिंग होती है। मगर इन दिनों फिटनेस फ्रीक्स के बीच ये शब्द बार-बार रिपीट हो रहा है। इसकी वजह है वॉक का एक नया तरीका, फार्ट वॉक। जी हां, फार्ट वॉक उन लोगों के लिए सुझायी जा रही है, जिन्हें अकसर गैस, ब्लोटिंग और अपच की समस्या रहती है। आमतौर पर लोग बैकवर्ड वॉकिंग (Backward walking) और ब्रिस्क वॉक (Brisk Walk) से दिन की शुरूआत करते हैं, मगर फार्ट वॉक दिन के अंत को सुखदायक बना सकती है। जानते हैं फार्ट वॉक क्या है और इससे स्वास्थ्य को क्या लाभ मिलते हैं (fart walk benefits)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस वॉक का मकसद फार्ट को रिलीज करने का अवसर देना है। फिज़ियोथेरेपिस्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि फार्ट वॉक (Fart Walk) को ब्रिस्क वॉक के समान ही किया जाता है। खाना खाने के बाद योग और स्ट्रेचिंग की जगह की जाने वाली वॉक शरीर को फायदा पहुंचाती है। अपच से बचने के लिए 60 मिनट वॉक की जाती है। मगर शरीर के स्टेमिना (Body stamina) को ध्यान में रखते हुए ये वॉक 15 से 20 मिनट भी की जा सकती है।
आरामदायक जूते पहनकर धीरे धीरे की जाने वाली इस वॉक से न केवल मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है बल्कि अपच से भी राहत मिल जाती है। जल्दी जल्दी वॉक करने से शरीर में थकान बढ़ने लगती है। ऐसे में खाने के बाद धीमी गति से सामान्य सैर पर जाएं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए पोसट डिनर वॉक आवश्यक है।
खाने के बाद वॉक के दौरान फार्टिंग की प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है, जिससे जीआई ट्रैक्ट को फायदा मिलता है और इनडाइजेशन की समस्या हल होने लगती है। दरअसल, रात को आहार में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है और वॉक के दौरान गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) यानि पाचनतंत्र उचित तरीके से अपना कार्य करने लगता है। वॉक करने से शरीर को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
टोरंटो स्थित कुकबुक लेखिका मैरलिन स्मिथ की बदौलत फार्ट वॉक इन दिनों खूब लोकप्रियता बटोर रही है। क्वीन ऑफ फाइबर के नाम से मशहूर स्मिथ के अनुसार रात में फाइबर रिच डाइट लेने के बाद 60 मिनट की वॉक शरीर को इनडाइजेशन, गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी से बचाती है। वॉक के दौरान होने वाली फार्टिंग इनटेस्टाइनल गैस को रिलीज़ करने का आसान तरीका है।
वॉक करने से हेल्दी वेट मेंटेन करने, हृदय फिटनेस में सुधार लाने और ऊर्जा का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। दरअसल, वॉक की मदद से पाचनतंत्र बूस्ट होता है। इससे मसल्स काट्रैक्शन की मदद से लार्ज इंटैस्टाइन के माध्यम से फूड को मूव करने में मदद मिलती है। इससे जीआई ट्रैक खाली हो जाता है पाचन को मज़बूती मिलती है।
शारीरिक गतिविधि से बॉवल मूवमेंट में रेगुलेरिटी आने लगती है। इससे अतिरिक्त गैस रिलीज़ होने लगती है। दरअसल, शरीर में गैस की अत्यधिक मात्रा ब्लोटिंग की समस्या को बढ़ा देती है। वॉक की मदद से पेट पर इंटरनल प्रैश बढ़ने लगता है, जिससे गैस आसानी से रिलीज़ होने लगती है।
अमेरिकल डायबिटीज़ एसोसिएशन की रिसर्च के अनुसार वे लोग जो डायबिटीज़ से ग्रस्त हैं, उन्हें दिन में 30 मिनट वॉक करने की सलाह दी जाती है। इससे ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है और ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है।