शरीर में पसीना आना स्वाभाविक है। और गर्मियों में यह शरीर को ठंडा रखने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। मगर कुछ लोगों को ज़रूरत से ज़्यादा पासीं आता है। इतना कि वे न किसी से हाथ मिला सकते हैं और न ही किसी से गले मिल सकते हैं।
साथ ही, यह कई बार शर्मींदगी का भी कारण बनता है। क्योंकि इसकी वजह से कई बार आपके पूरे कपड़े भीग जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोगों में पसीना आने की टेंडेंसी ज़्यादा होती है।
यह जानने के लिए हमने डॉ सुबोध सिरूरी, सलाहकार त्वचा विशेषज्ञ, मसीना अस्पताल, मुंबई से बात की – उनका कहना है कि पसीना आना आम बात हो सकती है, लेकिन जिन लोगों को अधिक पसीना आता है, उनके लिए यह असहज हो सकता है और नियमित गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि हथेलियों पर सामान्य से अधिक पसीना आने पर लिखने में परेशानी।”
ऐसे में कुछ लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एंटी – स्वेट पिल्स (Anti Sweat Pills) का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह कैसे काम करती हैं? और कितनी फायदेमंद हैं? कहीं इसके कोई साइड एफ़ेक्ट्स तो नहीं? चलिये जानते हैं इसके बारे में।
कई मौखिक दवाएं हैं जिनका उपयोग कुछ प्रकार के अत्यधिक पसीने को प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है। जैसे एंटीपर्सपिरेंट्स, इंजेक्टेबल्स, मिराड्राई, या आयनोफोरेसिस – ये सभी एंटी स्वेट पिल्स हैं। ये दवाएं पसीने को सीमित करने के लिए कई तरह से काम करती हैं। यह पसीने की ग्रंथियों की उत्तेजना को रोकने में मदद करती हैं और इस प्रकार, पसीना कम करती हैं।
जिन लोगों को ज़्यादा पसीना आता है वे हाइपरहाइड्रोसिस के शिकार हैं। वे हाथ, पैर, अंडरआर्म्स या चेहरे जैसे कुछ क्षेत्रों से अत्यधिक पसीना बहाते हैं। यह स्थिति अक्सर किशोरावस्था में उभरती है लेकिन कुछ वर्षों बाद तक इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। 2004 के अध्ययन के आधार पर, लगभग 8 मिलियन अमेरिकी – या यू.एस. की लगभग 3% आबादी – हाइपरहाइड्रोसिस (Hyperhidrosis) से पीड़ित है।
अत्यधिक पसीने के प्रबंधन के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं एंटीकोलिनर्जिक्स हैं। इनमें ग्लाइकोप्राइरोलेट, ऑक्सीब्यूटिनिन, बेंज़ट्रोपिन, प्रोपेन्थलाइन और अन्य जैसी दवाएं शामिल हैं। कई हाइपरहाइड्रोसिस रोगियों को एंटीकोलिनर्जिक थेरेपी के साथ सफलता का अनुभव होता है।
जामा न्यूरोलॉजी 2016 और जामा इंटरनल मेडिसिन 2015 के अध्ययन में यह सामने आया कि एंटी स्वेट पिल्स और डिमेंशिया के बीच संबंध है।
डॉ सुबोध का कहना है कि – ”स्वेट पिल्स उपलब्ध हैं जो पसीना कम करती हैं लेकिन इन गोलियों को चिकित्सकीय देखरेख में लिया जाना चाहिए। यदि मौखिक और स्थानीय दवाएं वांछित परिणाम नहीं देती हैं, तो आयनोफोरेसिस सप्ताह में दो या तीन बार दिया जा सकता है।”
”बोटुलिनम टॉक्सिन ए इंजेक्शन भी दिया जा सकता है लेकिन ये महंगा हो सकता है, क्योंकि बार-बार इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। आपका त्वचा विशेषज्ञ यह आकलन करेगा कि क्या अत्यधिक पसीने का कोई अंतर्निहित कारण है और उसके अनुसार उपचार करना चाहिए।”
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