शरीर में कई अंगों के समुचित कार्य के लिए विटामिन ई एक जरूरी विटामिन है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट भी है। विटामिन ई प्राकृतिक रूप से आरआरआर-अल्फा-टोकोफ़ेरॉल के रूप में खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। विटामिन ई सप्लीमेंट नेचुरल विटामिन ई से भिन्न होता है। यह ऑल-रैक-अल्फ़ा-टोकोफ़ेरॉल के रूप में होता है। जब विटामिन ई की शरीर में कमी हो जाती है, तो यह सप्लीमेंट या कैप्सूल के रूप में लिया जाता है। विटामिन ई को हम आम तौर पर स्किन के लिए जरूरी मानते हैं। पर यह शरीर के सभी अंगों को मजबूती प्रदान करता है और कई रोगों से बचाव (Vitamin E Supplement) भी।
विटामिन ई सेल एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली में प्रमुख लिपिड-सोलूबल कंपोनेंट है। यह विशेष रूप से आहार से प्राप्त होता है। इसकी एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के कारण शरीर के भीतर इसकी कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। ऑक्सीडेशन को कैंसर, उम्र बढ़ने, अर्थराइटिस और कैटरेक्ट सहित कई संभावित स्थितियों और बीमारियों से जोड़ा गया है। विटामिन ई इनके विरुद्ध प्रभावी पाया गया है।
प्लेटलेट हाइपरएग्रिगेशन जो एथेरोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है। इसे विटामिन ई द्वारा रोका जा सकता है। इसके अलावा यह थ्रोम्बोक्सेन जैसे प्रोस्टाग्लैंडिंस के उत्पादन को कम करने में भी मदद करता है। यह प्लेटलेट क्लंपिंग का कारण बनता है।
विटामिन ई की कमी होने पर विटामिन ई कैप्सूल (Vitamin E Supplement) लिया जाता है। यह शरीर में विटामिन ई के लो लेवल का इलाज करता है। यह विटामिन कोशिकाओं की रक्षा करता है और अंगों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है। डॉक्टर के निर्देशानुसार, इन कैप्सूल या गोलियों को एक गिलास पानी के साथ ओरली लिया जाता है। जब आप इसे भोजन के साथ लेती हैं, तो यह दवा सबसे अच्छी तरह काम (Vitamin E Supplement) कर सकती है।
विटामिन ई का ओरल सप्लीमेंट शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकता है। यदि नियमित रूप से यह लिया जाये, तो स्किन शायनी हो सकती है। एंटी ओक्सिडेंट प्रोपर्टी फ्री रेडिकल्स को खत्म कर झुर्रियों से कुछ हद तक निजात दिला सकता है। इससे आप युवा दिख सकती हैं। हेयर फोलिकल को पोषण देने से लेकर कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देने तक इसके कई फायदे हैं। इसे चेहरे पर भी लगाया जा सकता है। ध्यान दें कि एडल्ट के लिए दैनिक विटामिन ई का सेवन 15 मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग की स्टडी बताती है कि विटामिन ई एंटीऑक्सिडेंट होने के कारण नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज के लक्षणों में सुधार कर सकता है। विटामिन ई डिफरेंशियेशन 36 प्रोटीन (CD36) के हेपेटिक क्लस्टर को डाउन-रेगुलेट करके लिवर की समस्या में सुधार लाता है। कुछ स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि दो साल तक ओरल विटामिन ई लेना इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ है।
विटामिन ई की कमी होने पर कैल्शियम की कमी भी प्रेरित हो जाते है। इससे हड्डियों के कैल्शियम अवशोषण में वृद्धि होती है और बॉन मिनरल डेंसिटी में कमी आती है। विटामिन ई बॉन मास को संरक्षित करने और हड्डी के फ्रैक्चर के खतरे को कम करने में सक्षम हो सकता है। यहां तक कि रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में भी। यह ऊतकों की टूट-फूट की मरम्मत कर हड्डी मजबूत बनाता है।
अत्यधिक व्यायाम, डिहाइड्रेशन और मिनरल की कमी मांसपेशियों में ऐंठन के मुख्य कारण हैं। विटामिन ई (Vitamin E Supplement) क्षतिग्रस्त कोशिका झिल्ली की मरम्मत के लिए शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इससे मांसपेशियों की ऐंठन कम हो जाती है।
विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ मुक्त कणों से लड़ता है। इससे कोशिका और मांसपेशियों की झिल्लियों को तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है। विटामिन ई कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाकर मांसपेशियों की क्षति से बचाव का काम करता है।
विटामिन ई सप्लीमेंट (Vitamin E Supplement) क्रोनिक इन्तेस्टाइन डिजीज गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी से गुजर चुके लोगों के लिए भी मददगार है। यह स्टूल को मुलायम कर बोवेल मूवमेंट में भी मदद कर सकता है।
ओरली विटामिन ई सप्लीमेंट (Vitamin E Supplement) लेने से पीएमएस वाले कुछ लोगों में एंग्जायटी, स्ट्रेस और अवसाद कम हो जाता है। इसे लेने पर माइंड काम और कूल हो सकता है।
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