अनेक रिपोर्ट श्वसन पथ के संक्रमण (आरटीआई) के जोखिम/गंभीरता को कम करने में विटामिन डी (Vitamin D) की एक सुरक्षात्मक भूमिका का समर्थन करती है, विशेष रूप से इन्फ्लूएंजा और कोविड 19 के संदर्भ में। प्रमुख नैदानिक रिपोर्टों से पता चलता है कि विटामिन डी की कमी तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) एवं कोविड इन्फ़ेक्शन में योगदान करती है और यह भी देखा गया कि विटामिन डी की कमी के कारण मृत्यु दर भी बढ़ती है।
कोविड 19 का प्रकोप मुख्य रूप से सर्दियों के समय में होता है, जब रक्त में 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी (25 (ओएच) डी-कैल्सीडिओल या कैल्सीफिडियोल) का स्तर सबसे कम होता है। धूप में पराबैंगनी बी (यूवीबी) की कमी के कारण है। जबकि गर्मियों के अंत के करीब दक्षिणी गोलार्ध में मामलों की संख्या कम पाई जाती है।
हम जानते हैं कि कोविड में स्टेरोइड की महत्वपूर्ण भूमिका है। विटामिन डी एक स्टेरायडल हार्मोन (डी हार्मोन) है और यह कोविड 19 में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकता है। विटामिन डी3 का लगभग 20% हमारे आहार के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। जबकि 80% बी पराबैंगनी (यूवीबी) के संपर्क के बाद प्रोविटामिन डी या क्लेकैल्सीफेरोल त्वचा (80%) द्वारा संश्लेषित होता है।
1983 में पहली बार प्रतिरक्षा में सक्रिय टी कोशिकाओं और मोनोसाइट्स में वीडीआर की उपस्थिति में सुझाव दिया कि प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में विटामिन डी की भूमिका हो सकती है।
विटामिन डी ने इससे पहले कई पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में अपनी भागीदारी के लिए दुनिया भर के चिकित्सकों का ध्यान आकर्षित किया है। संक्रामक रोगों के अलावा, टाइप 1 मधुमेह और ऑटोइम्यून जोड़ों की बीमारियां, जो प्रतिरक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप कर सकते हैं में इसका हाथ पाया गया।
प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के साथ-साथ विटामिन डी के अंतिम सक्रिय मेटाबोलाइट, अर्थात कैल्सीट्रियोल की कोलेस्ट्रॉल से संरचनात्मक मिलाप के कारण, वैज्ञानिकों-शोधकर्ताओं द्वारा इसे आणविक रूप से एक स्टेरॉयड हार्मोन (डी) माना जाता है। हार्मोन जो दूसरे स्टेरॉयड हार्मोन्स की तरह (यानी, सेक्स हार्मोन, कोर्टिसोल) और ग्लूकोकार्टिकोइड्स की तरह इम्यूनोमॉड्यूलेटरी/ एंटी-इंफ्लेमेटरी गतिविधियों में सहायक हो सकते हैं।
इसके अलावा, मेजबान (Host) की प्रतिरक्षा इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया तीव्रता और गुणवत्ता वायरल रोग (जैसे इन्फ्लूएंजा और कोविड -19 की मृत्यु दर को प्रभावित कर सकती है, ऐसा माना जा रहा है।
कोविड 19 रोगियों में जोखिम और गंभीरता को कम करने में विटामिन डी रिप्लेसमेंट थेरेपी (वीडीआरटी) की सकारात्मक भूमिका कई नैदानिक साक्ष्यों द्वारा प्रूव्ड है। साथ ही हमें, वीडीआर ( Vitamin D Receptor) से संबंधित पिछले अनुभव जिनमें फेफड़ों के वायरल संक्रमण अध्ययनों से उपलब्ध हैं, वे इस तथ्य का समर्थन करते पाए गए हैं।
विटामिन डी से कई जैविक/आणविक (Biological and metabolic) मेकेनिज़्म द्वारा इन महत्वपूर्ण टिप्पणियों की पुष्टि की जाती है, कि विटामिन डी आमतौर पर संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता हैं। साथ ही प्रतिरक्षा व भड़काऊ प्रतिक्रिया (इम्यूनिटी व इन्फ़्लेमेटरी रिएक्शन) को कम कर सकते हैं।
वास्तव में, यह दोनों प्रकार की इम्यूनिटी जन्मजात और अनुकूलित प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं (Adaptive immunity) में बढ़ोतरी करने में भूमिका निभाते हैं।
अंत में, ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ जिसका जिक्र कोविड-19 में अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसे जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली की सक्रियता और अनुकूलित प्रतिरक्षा की अत्यधिक वृद्धि के लिए जाना जाता है। हालांकि ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ की पैथोफिज़ियोलॉजी के बारे में अभी बहुत कुछ समझना बाकी है, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि यह
तीव्र प्रतिक्रिया ही फेफड़े में क्षति, व्यापक ऊतक क्षति (Cellular Damage) व बहु-अंग विफलता (Multi Organ Failure) जो अक्सर मृत्यु का कारण बनती है।
साइटोकोनिन स्टॉर्म समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं – मान लीजिए किसी बाजार में किसी दुकान में दो तीन लुटेरे घुस गए, दुकानदार ने बचाओ का शोर मचाया, कुछ पड़ोसी घुस गए डंडे लेकर पीटने। उधर लुटेरे डंडे चला रहे थे, इधर दुकानदार उसके नौकर व पड़ोसी डंडे चला रहे थे। जगह कम थी बंदे ज्यादा। डंडो से न केवल लुटेरों को लग रहे थे अपितु दुकान में रखे सामान को भी लग रहे थे। जिससे सामान टूट गया।
कुछ ऐसा ही शरीर में होता है। वायरस शरीर में घुसा तो जन्मजात इम्यूनिटी सक्रिय हो कर पहुंच गई वायरस से लड़ने। जब देखा कि वायरस ज्यादा है, जन्मजात इम्युनिटी ने एडोप्टिव इम्यूनिटी को संदेश भेजा। तब एडोप्टिव इम्यूनिटी के सिपाही यानि टी सेल आ गए। अब उस ऑर्गन में भीड़ बढ़ गई, तो टी सेल्स ने ऑर्गन में ही तोडफोड शुरू कर दी। अक्सर यही कुछ कोविड में गंभीर स्थिति पैदा करता है एवं मृत्यु का कारण बनता है।
जन्मजात प्रतिरक्षा (Innate immunity) बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति है और रोगज़नक़ के संपर्क में आने के कुछ घंटों के भीतर सक्रिय हो जाती है।
विटामिन डी का एक घटक Calcitriol (1,25(OH)2D3) इंफ्लेमेटरी टी सेल साइटोकिन्स जैसे इंटरल्यूकिन (IL)-2 और IL-17 और मोनोसाइट्स -जैसे रिसेप्टर्स को रोक कर बचाव कर सकता है।
स्वस्थ व्यक्तियों में भी कैल्सीट्रियोल की उच्च खुराक ( प्रति दिन दो बार 1 माइक्रोग्राम एक सप्ताह देने पर पेरिफरल मोनोन्यूक्लियर कोशिकाओं द्वारा स्रावित प्रिनफ्लेमेटरी साइटोकाइन आईएल -6 के स्तर में नाटकीय कमी कर देता है। इस अध्ययन से साबित होता है कि विटामिन डी संभवत कोविड में लाभदायक हो सकता है।
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