कोरोनावायरस, वर्क फ्राॅम होम और अब कड़कती ठंड ने आपको घर पर रहने को मजबूर कर दिया है। जिसका एक बड़ा नुकसान देखने में आया है विटामिन डी की कमी। हालांकि महिलाओं में विटामिन डी की कमी एक आम बात है, पर इसे इग्नोर करना उनके लिए उतना ही खतरनाक हो सकता है। हम आपको उन गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका आपको विटामिन डी की कमी के कारण भविष्य में भी सामना करना पड़ सकता है।
शरीर में विटामिन-डी की कमी का एक मुख्य कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में धूप न मिल पाना है। अगर आपकी स्किन टोन डार्क होती जा रही है, तो इसके चलते भी शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। क्योंकि आपकी स्किन टोन डार्क होने के कारण सूरज के प्रकाश से विटामिन-डी ठीक से अवशोषित नहीं हो पाता है या उसे अवशोषित होने में काफी समय लगता है।
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आपकी जीवनशैली इसका एक बड़ा कारण है, विटामिन-डी से भरपूर फू़्ड्स का सेवन नहीं करना, और जंक फूड्स का सेवन अधिक करना भी विटामिन डी का एक मुख्य कारण है। जिसका असर आपकी किडनी और लिवर पर पड़ता है। किडनी और लिवर के ठीक से काम न कर पाने के कारण भी शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है।
इसके अलावा आपका वजन बढ़ने के कारण भी शरीर में विटामिन-डी की कमी हो सकती है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार, विटामिन-डी की प्राथमिक भूमिकाओं में हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखना है। विटामिन-डी के निम्न स्तर से हड्डियों के कैल्शियम की मात्रा कम होती है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
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इस प्रकार, विटामिन-डी की कमी लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस के लिए जोखिम में डाल सकती है। यह तब होता है जब नई हड्डी पुरानी हड्डी के नुकसान के समान गति से उत्पन्न नहीं होती है।
विटामिन-डी की कमी के कारण आपको अवसाद की समस्या हो सकती है। अगर आप सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से परिचित हैं, तो आपको यह सुनकर आश्चर्य नहीं होगा कि विटामिन डी की कमी अवसाद के उच्च जोखिम से जुड़ी हो सकती है। ऐसे कई शोध हैं जो मूड और विटामिन-डी के स्तर के बीच एक संबंध को दर्शाते हैं, जहां शरीर में विटामिन-डी की कमी अवसाद से संबंधित है।
जर्नल न्यूरोलॉजी में अगस्त 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि बुजुर्ग वयस्कों में मध्यम और गंभीर विटामिन-डी की कमी अल्जाइमर रोग सहित डिमेंशिया के जोखिम को डबल कर देती है। डिमेंशिया में सोच, व्यवहार और स्मृति में गिरावट शामिल है, जो दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। अल्जाइमर एसोसिएशन के अनुसार, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे सामान्य रूप है।
विटामिन-डी के निम्न स्तर और डायबिटीज के बीच संबंध स्पष्ट है। बायोकेमिकल जर्नल में मार्च 2017 में प्रकाशित एक समीक्षा में पाया गया कि जब शरीर में विटामिन-डी की कमी होती है, तो शरीर में कई सेलुलर प्रक्रियाएं टूटने लगती हैं। यह डायबिटीज जैसी बीमारियों की शुरुआत के लिए चरण निर्धारित करता है।
सर्कुलेशन रिसर्च में जनवरी 2014 में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, रक्त में विटामिन-डी के कम स्तर, हृदय रोग और उससे संबंधित जटिलताओं के बीच संबंध को दर्शाया गया है। विटामिन-डी के न्यूनतम स्तर के कारण एथेरोस्क्लेरोसिस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का जोखिम शामिल हैं।
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