हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी सूचनाओं से पता चला है कि कोरोना संक्रमण का अनुपात अब युवाओं और बच्चों में पहले से काफी ज्यादा हो गया है। यह दावा 2020 के फरवरी माह से जुलाई तक 60 लाख लोगों पर आधरित एक अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया गया है। जिसके अनुसार ढाई करोड़ कोरोना संक्रमित लोगों में अब 5 से 24 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में संक्रमण का अनुपात बढ़ रहा है। भारत में अनलॉक 4 के मद्देनजर यह डराने वाली खबर है।
कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केर्खोव ने कहा कि युवा आबादी की ओर महामारी का चलन एक “चिंताजनक” संकेत है। इस बारे में संभावना जताई जा रही है कि अनेक देशों द्वारा लॉक डाउन प्रतिबंधों को कम करना या लॉकडाउन को हटा देना इसके लिए जिम्मेदार है।
हालांकि “युवाओं में संक्रमण के लक्षण मामूली पाए जाते हैं, लेकिन यह उनके साथ रहने वाले बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चे और युवा कासंक्रमित होते हैं, तो उनकी मोबिलिटी के कारण कोरोनावायरस के प्रसार की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।”
इन साठ लाख मामलों के उपलब्ध आंकड़ों में एक तिहाई संयुक्त राज्य अमेरिका के हैं| उनमें, पांच से 14 वर्ष के संक्रमित लोगों का अनुपात 0.8 प्रतिशत से 4.6 प्रतिशत तक बढ़ गया, 15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों में 4.5 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के चीफ टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) युवाओं को संबोधित करते हुए कहते हैं – `कोरोना आज युवाओं के जीवन पर एक बड़ा प्रभाव डाल रहा है और भविष्य के रोजगार और शिक्षा के अवसरों के बारे में चिंता पैदा कर रहा है। इसकी प्रतिक्रिया में आपकी बड़ी भूमिका है, इसलिए इससे सुरक्षित रहें और इस महामारी को समाप्त करने में मदद करें।`
कोरोना विशेषज्ञ वान केराखोव के अनुसार तथाकथित “लॉकडाउन” के महीनों के बाद जन-जीवन को फिर से खोलना इसका कारण है। लोग अपनी सामान्य दिनचर्या पर लौट रहे हैं। यही संक्रमण में वृद्धि के लिए संभावित योगदान का कारण है।
“लॉक डाउन खुलने से, हमारे व्यवहार में एक बदलाव आया है। अब अधिक लोग बाहर जा रहे हैं, काम पर वापस जाने लगे हैं, सामाजिक आयोजनों में भाग ले रहे हैं … हमारा यह बदला हुआ व्यवहार युवाओं में संक्रमण को बढ़ा रहा है।“
एक अन्य कारण इस रोग निगरानी रणनीति में बदलाव है। शुरुआत में हम कोविड सहित नई बीमारियों के लिए प्रारंभिक निगरानी, शुरुआत में अधिक गंभीर मामलों पर केंद्रित रहे हैं, लेकिन अब देशों ने जांच दायरे बढ़ा दिए हैं और गंभीर मामलों के अलावा भी टेस्ट किये जा रहे हैं।
पिछले महीने, डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि कुछ देशों में हाल के दिनों में स्पाइक यानी संक्रमण के तेजी से बढ़ने का आंशिक कारण युवाओं की गतिविधि का बढ़ते जाना है। “उत्तरी गोलार्ध में गर्मी बढ़ने के कारण लोगों ने सुरक्षा इंतजाम में ढिलाई बरतनी शुरू कर दी है।
अमीर देशों व अमीर लोगों में जहां मौज-मस्ती इसका कारण हो सकती है, वहीँ गरीब देशों व गरीब लोग रोजगार की मजबूरी, भूखों मरने की नौबत से बाहर निकल पड़े हैं |
विशेषज्ञ कहते हैं कि हालांकि बड़ी उम्र के लोगों में कोरोना वायरस से गंभीर बीमारी होने का अधिक खतरा है, लेकिन नए कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी– से युवा “अजेय” नहीं हैं।
अनेक युवाओं में न केवल इस रोग के गंभीर मामले सामने आये हैं अपितु मृत्यु भी देखी गई है |
आपने देखा कि कई अमीर एक्टर व राजनेता जिनके पास अकूत धन सम्पति के अलावा सुरक्षा साधनों की कोई कमी नहीं है वे भी इसकी चपेट में आ गए हैं| भारत में ही नहीं ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा यहां तक कि अमेरिका के अनेक गणमान्य लोग भी इसकी चपेट में आ चुके हैं |
अब भी ध्यान रखना बहुत जरुरी है, बल्कि ज्यादा जरुरी है। जिस तरह सड़क पर कार चलाते हुए चालक को न केवल खुद अपना वाहन तरीके से संभल कर चलाना होता है, अपितु दूसरे वाहन चालक की गलती से भी बचाव करना होता है, उसी तरह अपना और अपनों का ख्याल तो रखिये ही, साथ-साथ लापरवाही करने वाले लोगों को भी चेताते रहिये |
1 याद रखिये वायरल बीमारियों की दवा नहीं होती। जो होती हैं वह केवल गंभीरता को कम कर सकती है, रोग खत्म नहीं करती |
2- अभी वैक्सीन आने में वक्त लगेगा। जल्द से जल्द अगले साल के मध्य तक यह आ सकती है। आने के बाद ही उसके द्वारा कितनी सुरक्षा मिलेगी इसका आकलन संभव होगा।
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