देश भर में बड़े पैमाने पर कोविड टीकाकरण अभियान जारी है। इसी अभियान के अंतर्गत 1 मई से अब 18 की उम्र और उससे बड़े सभी जन कोविड वैक्सीन ले पाएंगे। इसके लिए केंद्र और राज्यों ने सभी जरूरी तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं। पर सबसे ज्यादा जरूरी है आपकी तैयारी। आपको इसके लिए कैसे तैयार होना है, इस बारे में एक्सपर्ट दे रहे हैं जरूरी सलाह।
बहुत से लोगों को लग रहा है कि अब कोरोना वायरस की वैक्सीन आ गई है, तो अब डरने की कुछ बात नहीं है। ऐसा मानते हुऐ कई लोग वैक्सीन लेने बाद मास्क पहने बिना घूमते दिखाई दे रहे है। लेकिन वैक्सीन लेने के बाद भी जरूरी सावधानियां आपको बरतनी चाहिए।
वास्तव में वैक्सीन लेने के बाद भी वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। इसलिए वैक्सीन लेने के बाद लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। वैक्सीन न लिए व्यक्ति के संपर्क में आने से दोबारा कोविड-19 संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।
वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को बाहरी खतरे से बचाती है। लेकिन कोरोना वैक्सीन दो बार लेनी पड़ती है। इन दोनों डोज में एक महीने का अंतर होना चाहिए। क्योंकि शरीर में इम्युनिटी के निर्माण में कुछ हफ्तों का समय लगता है। इस दौरान खुद का ध्यान रखना जरूरी है।
वैक्सीनेशन के बाद भी एहतियाती उपायों का पालन किया जाना चाहिए और सावधानियां बरती जानी चाहिए।
कोविड-19 वैक्सीन लेने से शरीर की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली बढाने में मदद मिलती है। साथ ही इससे बीमारी के संक्रमण का खतरा कम होता है।
कोविड-19 वैक्सीन बॉडी के इम्यून सिस्टम को रोगों से लडाई के लिए तैयार करती है। वैक्सीन को वायरस के खिलाफ मानव शरीर को सुरक्षित रखने के लिए विकसित किया जाता है। वैक्सीन लगने के बाद इम्यून सिस्टम वायरस के हमले से सचेत हो जाता है और उसके बढ़ने से पहले ही मौजूद प्रतिरक्षा तंत्र उसे खत्म कर हमारी सुरक्षा करता है।
कोविड-19 वैक्सीन तभी पूरी तरह प्रभावित होगी जब इसकी दोनों डोज की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी।
वैक्सीन की पहली डोज के बाद 28 वें दिन दूसरी डोज लेनी होगी। दूसरी डोज लेने के बाद ही वैक्सीन पूरी तरह से प्रभावी होगी। वैक्सीन लगवाने के बाद भी स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है।
वैक्सीन लगने बाद दोबारा संक्रमण की भी आशंका होती है। यह तभी संभव हो सकेगा जब वायरस का ज्यादा हैवी लोड होगा, लेकिन ऐसा होने की उम्मीद बहुत कम रहती है।
यह भी पढ़ें – Proning : कोविड पॉजिटिव होने पर कैसे मददगार हो सकता उल्टे लेटना या पट पड़ के सोना