आपके मस्तिष्क को बीमार कर सकती है ज्यादा मीठा खाने की आदत, एक्सपर्ट बता रहे हैं कैसे

ज्यादातर लोग जानते हैं बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, आदि में चीनी से परहेज रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि इसके नुकसान यहीं तक सीमित नहीं हैं, यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।
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जानते हैं मस्तिष्क पर चीनी के प्रभाव से जुड़ी जानकारी। चित्र : अडोबी स्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 24 Nov 2023, 11:00 am IST
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आजकल चीनी को लेकर काफी ज्यादा विवाद छिड़े रहते हैं। पर इन विवादों के बीच हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि हमारे शरीर को ऊर्जा शक्ति के लिए चीनी की आवश्यकता होती है। ऐसे में शुगर कंज्यूम करना जरूरी है। परंतु चीनी कब लत बन जाए आपको इसका अंदाजा भी नहीं होता, वहीं इसकी अधिकता समग्र सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। जैसा कि ज्यादातर लोग जानते हैं बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, आदि में चीनी से परहेज रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि इसके नुकसान यहीं तक सीमित नहीं हैं, यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।

आप सोच सकती हैं कि भला चीनी मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है? आज हम आपके इसी सवाल का जवाब लेकर आए हैं। हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी पुणे, के सायकेट्री डिपार्मेंट के एचओडी प्रोफेसर डॉक्टर सुप्रकाश चौधरी से बात की। डॉक्टर ने मस्तिष्क पर चीनी के सेवन के प्रभाव से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दी है (too much sugar affects the brain)। तो चलिए जानते हैं, आखिर चीनी मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित कर सकती है (negative effects of sugar on the brain)।

ऊर्जा शक्ति के लिए मस्तिष्क को होती है, ग्लूकोज की आवश्यकता

न्यूरॉन मस्तिष्क की संरचनात्मक इकाई है। मानव शरीर को बनाने वाली सभी कोशिकाओं में से न्यूरॉन्स को सबसे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके लिए, ब्लड से ग्लूकोज की निरंतर डिलीवरी की आवश्यकता पड़ती है। मानव मस्तिष्क का वजन शरीर के कुल वजन का 2% होता है, लेकिन इसे शरीर में ग्लूकोज से प्राप्त ऊर्जा के लगभग 20% की आवश्यकता होती है।

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ग्लूकोज मस्तिष्क के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में आवश्यक है. चित्र : अडोबी स्टॉक

जानें शरीर में ग्लूकोज का स्रोत

यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आता है, जिसमें अधिकतर कार्बोहाइड्रेट होते हैं। वहीं फास्टिंग में शरीर स्वयं लीवर की मदद से ग्लूकोज रिलीज करती है। ग्लूकोज मस्तिष्क के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में आवश्यक है, इसे किसी अन्य पदार्थ से रिप्लेस नहीं किया जा सकता।

अब जानते हैं चीनी के प्रभाव से जुड़ी जानकारी

चीनी को रासायनिक भाषा में सुक्रोज कहा जाता है। सुक्रोज फल एवं सब्जियों में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। हालांकि, आमतौर पर अपने दैनिक जीवनशैली में हम सभी सुक्रोज के रिफाइंड फॉर्म का उपभोग करते हैं। गन्ना इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला स्रोत है। रिफाइंड शुगर का एक और इस्तेमाल किया जाने वाला रूप उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप है, जिसे कॉर्न स्टार्च से प्राप्त किया जाता है।

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शुगर को रिफाइन करने की प्रतिक्रिया के दौरान इनमें मौजूद सभी मिनरल्स और मूल्य पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं (how sugar and fat affect your brain)। अध्ययनों से पता चला है कि रिफाइंड शुगर ठीक ड्रग्स की तरह काम करती है। शुगर जितनी ज्यादा रिफाइंड होती है, वह उतनी ही जल्दी अवशोषित हो जाती है। रिफाइंड शुगर के सेवन से आपके टेस्ट बड्स को संतुष्टि मिलती है और आप जब इनसे परहेज करने की कोशिश करती हैं, तो आपको इसकी बहुत तेज क्रेविंग हो सकती है।

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ब्रेन के लिए खतरनाक हो सकती है चीनी। चित्र : शटरस्टॉक

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार रिफाइंड शुगर कोकेन की तरह काम करती है। वे मूड बदलने में तेज होते हैं, और इसलिए उनमें नशे की लत की संभावना अधिक होती है। शोध से यह पता चलता है, कि चीनी मस्तिष्क के उन्हीं क्षेत्रों को सक्रिय करती है, जिन क्षेत्रों को कोकीन भी सक्रिय रखता है।

जानें कैसे चीनी की अधिकता मस्तिष्क के लिए होती है हानिकारक (too much sugar affects the brain)

अधिक मात्रा में चीनी के सेवन को कॉग्निटिव टेस्ट में खराब बौद्धिक प्रदर्शन और तनाव, चिंता, अवसाद जैसे भावनात्मक विकारों से जुड़ा हुआ पाया गया है। तनाव और उच्च चीनी की खपत का बाईडायरेक्शनल रिलेशन है, जैसे कि लंबे समय से तनावग्रस्त व्यक्ति अधिक चीनी का सेवन कर सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार तनाव में व्यक्ति इसलिए अधिक चीनी लेता है, क्योंकि इस दौरान चीनी के सेवन से स्ट्रेस हार्मोन के स्तर में तत्काल कमी आती है।

हालांकि, लंबे समय में, चीनी का सेवन शरीर की तनाव से निपटने की प्रक्रिया को कमजोर कर देता है और इसके परिणामस्वरूप विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, फैटी लीवर, सूजन संबंधी विकार और कैंसर जैसी शारीरिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं मानसिक समस्याओं की बात करें तो डिप्रेशन, डिमेंशिया, एंग्जाइटी डिसऑर्डर, इनसोम्निया जैसी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं।

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रिफाइंड शुगर के इस्तेमाल को सिमित रखें। चित्र : एडॉबीस्टॉक

क्या है चीनी के सेवन का सही माप

अत्यधिक चीनी का सेवन हमें किसी प्रकार के फायदे प्रदान नहीं करता बल्कि यह हमें नुकसान पहुंचा सकता है। दैनिक चीनी की अनुशंसित मात्रा कुल कैलोरी सेवन का 5% है, और हमें इसे उस सीमा के भीतर रखने का प्रयास करना चाहिए। लो शुगर डाइट फॉलो करने वाले व्यक्ति का लिवर फंक्शन, कार्डियक हेल्थ, कॉग्निटिव फंक्शन और समग्र सेहत में सुधार देखने को मिलता है। इसलिए, कुछ अभ्यास और अनुशासन के साथ, हम चीनी से मिलने वाले स्वादिष्ट आनंद पर काबू पा सकते हैं। वहीं चीनी के कुछ स्वस्थ विकल्पों का उपभोग कर स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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