कैंसर को हराने के लिए जरूरी है उसकी दस्‍तक और कारणों को पहचानना

बहुत सारे सेलिब्रिटीज को आपने कैंसर से मुकाबला कर जीतते देखा होगा। यह जरूरी भी है, क्‍योंकि कुछ घातक सेल्‍स की संख्‍या आपसे आपका जीने का अधिकार नहीं छीन सकती।
कैंसर की सही जानकारी के साथ, इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। चित्र-शॉरस्टॉक।
विनीत Published: 4 Feb 2021, 10:30 am IST
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लोगों को कैंसर के जोखिम से बचाने और उन्हें कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए, विश्व भर में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। साल 2019 से 2021 तक तीन साल के लिए विश्व कैंसर दिवस का विषय रखा गया है “मैं हूं और मैं रहूंगा” है। जिसका मतलब है कि हर किसी में क्षमता है कि वह कैंसर से लड़ सकता है। इसी थीम के अनुसार इन तीन सालों में कार्यक्रम होंगे।

विश्व कैंसर दिवस का उद्देश्य

हर साल विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को मनाया जाता है। UICC का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। साथ ही लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचान पाने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरुकता बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को दुनिया भर में इस बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करना है।

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महिलाओं में पाए जाने वाले मुख्य कैंसर

कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं में 5 तरह के कैंसर सबसे ज्यादा पाए जाए जाते हैं। जिसमें मुख्य रूप से ब्रेस्‍ट कैंसर, सर्विक्‍स कैंसर, ओवरी कैंसर, लिप एंड ओरल कैविटी कैंसर और कोलोरेक्‍टल कैंसर हैं।

कोलन कैंसर के लिए इसका पारिवारिक इतिहास भी कारण हो सकता है।

क्या हैं कैंसर के जोखिम कारक 

  • किसी व्यक्ति का पारिवारिक इतिहास
  • धूम्रपान करना
  • गुटखा, तम्‍बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों को चबाना
  • शराब पीना
  • धीमी आंच व धूंए मे पका भोजन (स्‍मोक्‍ड)
  • कुछ रसायन और दवाईयां
  • लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियां
  • कम उम्र में यौन सम्‍बन्‍ध और अनेक पुरूषों से यौन सम्‍बन्‍ध

क्‍या हो सकता है कैंसर का उपचार

सर्जरी : 

ब्रेस्‍ट कैंसर की सर्जरी के दो तरीके हैं। पूरा स्तन निकलवाने की प्रक्रिया को मास्टेक्टॉंमी कहते हैं और केवल कैंसरयुक्त लम्प और इसके आसपास के अस्‍वस्‍थ टिश्युओं की कुछ मात्रा निकलवाने को लुम्पेक्टोमी कहते हैं। 

रेडिएशन थेरेपी:

लुम्पेक्टोमी के बाद बची रह गई कैंसर कोशिकाओं को खत्‍म करने के लिए रेडिएशन थेरेपी की जाती है। इस थेरेपी को नहीं करने पर कैंसर के फिर से होने की आशंका 25 प्रतिशत बढ़ जाती है। रेडिएशन थेरेपी में कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए हाई एनर्जी और टार्गेटेड बीम का प्रयोग किया जाता है। 

कीमोथेरेपी:

कीमोथेरेपी की जरूरत इस पर निर्भर करती है कि कैंसर कितना फैल चुका है। कुछ मामलों में कीमोथेरेपी सर्जरी कराने से पहले की जाती है। ताकि बड़े ट्यूमर का आकार कम किया जा सके। 

हार्मोनल थेरेपी:

एरोमाटेज इनहिबिटर्स जैसी दवाएं, हार्मोनल थेरेपी का अन्य प्रकार हैं। इन दवाओं में शामिल हैं: एनास्ट्राज़ोल (आरिमिडेक्स), एक्सेमेस्‍टेन (एरोमासिन) और लेट्रोज़ोल (फीमेरा)। ये ओवरी के अलावा सभी अन्य‍ टिश्युओं में एस्ट्रोजन का बनना रोककर शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा घटा देती हैं। ये दवाएं मेनोपॉज वाली महिलाओं में बहुत लाभदायक हैं क्योंकि मेनोपॉज के बाद ओवरी में एस्ट्रोजन का बनना रुक जाता है।

टारगेटेड थेरेपी:

स्टैंडर्ड कीमोथैरेपी में मरीज के शरीर में मौजूद स्वस्थ और अस्वस्थ दोनों कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। जबकि टागरेटेड थैरेपी में कैंसर सेल्स को ब्लॉक करके केवल उसे नष्ट किया जाता है। इसलिए मरीज की स्वस्थ कोशिकाएं इस थेरेपी में बच जाती हैं। ये थेरेपी इस तरह डिज़ाइन की गई है कि इससे कैंसर सेल्स का अलग से पता लगाया जा सकता है।

कैंसर एक बहुत ही गंभीर रोग है। चित्र-शटरस्टॉक।

कैंसर से बचाव के उपाय

  • धूम्रपान, तम्‍बाकु, सुपारी, चना, पान, मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
  • विटामिन युक्‍त और रेशे वाला ( हरी सब्‍जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खायें।
  • कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायणों से युक्‍त भोजन धोकर खायें।
  • अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये गए तेल में पकाए गए और अधिक नमक में संरक्षित भोजन न खायें।
  • अपना वजन सामान्‍य रखें।
  • नियमित व्‍यायाम करें नियमित जीवन बितायें।
  • साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण की रचना करने में योगदान दें।

प्रारम्भिक अवस्‍था में कैंसर के निदान के लिए निम्‍नलिखित बातों का विशेष ध्‍यान दें

  • मूंह में सफेद दाग या बार-बार होने वाला घाव।
  • शरीर में किसी भी अंग या हिस्‍से में गांठ होने पर तुरन्‍त जांच करवायें।
  • मासिक धर्म के बाद हर महीने स्‍तनों की जांच करें
  • माहवारी बन्‍द होने के बाद रक्‍त स्‍त्राव होना खतरे की निशानी है पैप टैस्‍ट करवायें।
  • शरीर में या स्‍वास्‍थ्‍य में किसी भी असामान्‍य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।
  • नियमित रूप से जांच कराते रहें और अपने चिकित्‍सक से तुरन्‍त सम्‍पर्क करें।

याद रहे– प्रारम्भिक अवस्‍था में निदान होने पर ही सम्‍पूर्ण उपचार सम्‍भव है।

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