लोगों को कैंसर के जोखिम से बचाने और उन्हें कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए, विश्व भर में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। साल 2019 से 2021 तक तीन साल के लिए विश्व कैंसर दिवस का विषय रखा गया है “मैं हूं और मैं रहूंगा” है। जिसका मतलब है कि हर किसी में क्षमता है कि वह कैंसर से लड़ सकता है। इसी थीम के अनुसार इन तीन सालों में कार्यक्रम होंगे।
हर साल विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को मनाया जाता है। UICC का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। साथ ही लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचान पाने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरुकता बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को दुनिया भर में इस बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करना है।
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कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं में 5 तरह के कैंसर सबसे ज्यादा पाए जाए जाते हैं। जिसमें मुख्य रूप से ब्रेस्ट कैंसर, सर्विक्स कैंसर, ओवरी कैंसर, लिप एंड ओरल कैविटी कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर हैं।
ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के दो तरीके हैं। पूरा स्तन निकलवाने की प्रक्रिया को मास्टेक्टॉंमी कहते हैं और केवल कैंसरयुक्त लम्प और इसके आसपास के अस्वस्थ टिश्युओं की कुछ मात्रा निकलवाने को लुम्पेक्टोमी कहते हैं।
लुम्पेक्टोमी के बाद बची रह गई कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए रेडिएशन थेरेपी की जाती है। इस थेरेपी को नहीं करने पर कैंसर के फिर से होने की आशंका 25 प्रतिशत बढ़ जाती है। रेडिएशन थेरेपी में कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए हाई एनर्जी और टार्गेटेड बीम का प्रयोग किया जाता है।
कीमोथेरेपी की जरूरत इस पर निर्भर करती है कि कैंसर कितना फैल चुका है। कुछ मामलों में कीमोथेरेपी सर्जरी कराने से पहले की जाती है। ताकि बड़े ट्यूमर का आकार कम किया जा सके।
एरोमाटेज इनहिबिटर्स जैसी दवाएं, हार्मोनल थेरेपी का अन्य प्रकार हैं। इन दवाओं में शामिल हैं: एनास्ट्राज़ोल (आरिमिडेक्स), एक्सेमेस्टेन (एरोमासिन) और लेट्रोज़ोल (फीमेरा)। ये ओवरी के अलावा सभी अन्य टिश्युओं में एस्ट्रोजन का बनना रोककर शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा घटा देती हैं। ये दवाएं मेनोपॉज वाली महिलाओं में बहुत लाभदायक हैं क्योंकि मेनोपॉज के बाद ओवरी में एस्ट्रोजन का बनना रुक जाता है।
स्टैंडर्ड कीमोथैरेपी में मरीज के शरीर में मौजूद स्वस्थ और अस्वस्थ दोनों कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। जबकि टागरेटेड थैरेपी में कैंसर सेल्स को ब्लॉक करके केवल उसे नष्ट किया जाता है। इसलिए मरीज की स्वस्थ कोशिकाएं इस थेरेपी में बच जाती हैं। ये थेरेपी इस तरह डिज़ाइन की गई है कि इससे कैंसर सेल्स का अलग से पता लगाया जा सकता है।
याद रहे– प्रारम्भिक अवस्था में निदान होने पर ही सम्पूर्ण उपचार सम्भव है।
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